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सीकर में औसत से कम बारिश होने से बढ़ी किसानों की चिंता

सीकर में औसत से कम बारिश होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. दरअसल, बारिश नहीं होने से फसल नष्ट हो सकती है. कृषि विभाग के उपनिदेशक के शिवजी राम कटारिया ने बताया कि जिले में औसत वर्षा 460 एमएम मानी जाती है. लेकिन, अब तक सिर्फ 280 एमएम बरसात हुई है.

Sikar News, सीकर में बारिश
सीकर में औसत से कम बारिश, फसल नष्ट होने का खतरा
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Published : Aug 4, 2020, 9:36 PM IST

सीकर. जिले में मानसून की बेरुखी की वजह से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं. दरअसल, सीकर में इस साल अब तक औसत से लगभग आधी बारिश ही हुई है और इसी वजह से किसानों के सामने फसल बर्बाद होने का संकट खड़ा हो गया है. कृषि विभाग जिले में अब तक पूरी बुवाई होने का दावा कर रहा है. लेकिन, बारिश नहीं होने से फसल नष्ट हो सकती है.

सीकर में औसत से कम बारिश, फसल नष्ट होने का खतरा

पढ़ें: यूपीएससी : सिविल सेवा परीक्षा 2019 का परिणाम घोषित, प्रदीप सिंह बने टॉपर

सीकर में कृषि विभाग के उपनिदेशक के शिवजी राम कटारिया ने बताया कि जिले में औसत वर्षा 460 एमएम मानी जाती है. लेकिन, अब तक सिर्फ 280 एमएम बरसात हुई है. इसके साथ ही मानसून सीजन में लगभग 35 से 40 दिन औसत बरसात होती है. लेकिन, इस बार महज 20 दिन ही बरसात हुई है. सावन का महीना पूरा बीत चुका है. कम बरसात की वजह से खरीफ की फसलों को भारी नुकसान हो सकता है.

पढ़ें: विधायक खरीद-फरोख्त मामले में SOG ने राजद्रोह से जुड़ी तीनों FIR ली वापस

शिवजी राम कटारिया के मुताबिक जिले में मई के आखिरी में ही प्री-मानसून की बरसात होने लगी थी और उसी वक्त कई जगह किसानों ने बुवाई भी कर दी थी. इसके बाद कुछ दिन तक लगातार प्री-मानसून की बरसात हुई, जिससे बुवाई पूरी हो गई. लेकिन, अब बरसात नहीं होने की वजह से फसलों को बड़ा नुकसान हो रहा है.

सीकर. जिले में मानसून की बेरुखी की वजह से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं. दरअसल, सीकर में इस साल अब तक औसत से लगभग आधी बारिश ही हुई है और इसी वजह से किसानों के सामने फसल बर्बाद होने का संकट खड़ा हो गया है. कृषि विभाग जिले में अब तक पूरी बुवाई होने का दावा कर रहा है. लेकिन, बारिश नहीं होने से फसल नष्ट हो सकती है.

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सीकर में कृषि विभाग के उपनिदेशक के शिवजी राम कटारिया ने बताया कि जिले में औसत वर्षा 460 एमएम मानी जाती है. लेकिन, अब तक सिर्फ 280 एमएम बरसात हुई है. इसके साथ ही मानसून सीजन में लगभग 35 से 40 दिन औसत बरसात होती है. लेकिन, इस बार महज 20 दिन ही बरसात हुई है. सावन का महीना पूरा बीत चुका है. कम बरसात की वजह से खरीफ की फसलों को भारी नुकसान हो सकता है.

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शिवजी राम कटारिया के मुताबिक जिले में मई के आखिरी में ही प्री-मानसून की बरसात होने लगी थी और उसी वक्त कई जगह किसानों ने बुवाई भी कर दी थी. इसके बाद कुछ दिन तक लगातार प्री-मानसून की बरसात हुई, जिससे बुवाई पूरी हो गई. लेकिन, अब बरसात नहीं होने की वजह से फसलों को बड़ा नुकसान हो रहा है.

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