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सीकर : फतेहपुर में तीन दिवसीय डेयरी फार्मिंग प्रशिक्षण का आयोजन

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Published : Jul 9, 2020, 7:22 PM IST

सीकर के फतेहपुर में गुरुवार को गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अंतर्गत तीन दिवसीय डेयरी फार्मिंग प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में जिले के 35 श्रमिकों ने भाग लिया, जिन्हें प्रमाण पत्र वितरित किए गए.

डेयरी फार्मिंग प्रशिक्षण का आयोजन, Organizing dairy farming training
डेयरी फार्मिंग प्रशिक्षण का आयोजन

फतेहपुर (सीकर). भरतीय कृषि विज्ञान केन्द्र पर गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अंतर्गत तीन दिवसीय डेयरी फार्मिंग प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. केन्द्र के प्रभारी डॉ. रमेश कुमार दुलड़ ने बताया कि कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में पशुपालन व्यवसाय का विशेष महत्व है.

पशुपालन से ना केवल ग्रामीण लोगों को स्थाई रोजगार मिलता है, बल्कि पशुओं पर आधारित उद्योगों के विकास का मार्ग भी प्रशस्त होता है. डॉ. दुलड़ ने बताया कि केवीके द्वारा लॉकडाउन के दौरान अपने गृह जिले में लौटे प्रवासी कामगारों हेतु यह प्रशिक्षण आयोजित किया गया है.

पढ़ेंः CBSE के बाद अब RBSE का सिलेबस भी होगा कम, शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने दिए संकेत

कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. बनवारी लाल आसीवाल ने बताया कि केन्द्र द्वारा ऐसे 16 कौशल आधारित प्रशिक्षण आयोजित करवाए जाने प्रस्तावित हैं. प्रत्येक प्रशिक्षण में 35 प्रशिक्षणार्थी भाग ले सकते हैं और ऐसे प्रशिक्षण 16 सप्ताह तक लगातार जारी रहेंगे.

इन प्रशिक्षणों का मुख्य उदेश्य श्रमिकों को खेती के कार्य में दक्ष करके स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है. केन्द्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ. लालाराम ने पशुओं के लिए हरा चारा उत्पादन की तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाने के साथ ही पशुओं को हरा चारा खिलाने के फायदे और इनको सुरक्षित रखने के तरीको के बारे में भी विस्तारपूर्वक जानकारी उपलब्ध करवाई गई.

पढ़ेंः स्पेशल: वीरान हुई शिक्षा नगरी, हॉस्टल संचालकों को हो रहा भारी नुकसान

केन्द्र के ही उद्यान वैज्ञानिक डॉ. महेश चौधरी ने सहजन फसल के उत्पादन तकनीक सें लेकर जानवरों को इसको खिलाने के फायदे बताए, साथ ही इस पौधों को अधिक से अधिक उगाने का सुझाव भी दिया. कार्यक्रम में जिले के 35 श्रमिकों ने भाग लिया, जिन्हें प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए.

फतेहपुर (सीकर). भरतीय कृषि विज्ञान केन्द्र पर गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अंतर्गत तीन दिवसीय डेयरी फार्मिंग प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. केन्द्र के प्रभारी डॉ. रमेश कुमार दुलड़ ने बताया कि कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में पशुपालन व्यवसाय का विशेष महत्व है.

पशुपालन से ना केवल ग्रामीण लोगों को स्थाई रोजगार मिलता है, बल्कि पशुओं पर आधारित उद्योगों के विकास का मार्ग भी प्रशस्त होता है. डॉ. दुलड़ ने बताया कि केवीके द्वारा लॉकडाउन के दौरान अपने गृह जिले में लौटे प्रवासी कामगारों हेतु यह प्रशिक्षण आयोजित किया गया है.

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कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. बनवारी लाल आसीवाल ने बताया कि केन्द्र द्वारा ऐसे 16 कौशल आधारित प्रशिक्षण आयोजित करवाए जाने प्रस्तावित हैं. प्रत्येक प्रशिक्षण में 35 प्रशिक्षणार्थी भाग ले सकते हैं और ऐसे प्रशिक्षण 16 सप्ताह तक लगातार जारी रहेंगे.

इन प्रशिक्षणों का मुख्य उदेश्य श्रमिकों को खेती के कार्य में दक्ष करके स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है. केन्द्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ. लालाराम ने पशुओं के लिए हरा चारा उत्पादन की तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाने के साथ ही पशुओं को हरा चारा खिलाने के फायदे और इनको सुरक्षित रखने के तरीको के बारे में भी विस्तारपूर्वक जानकारी उपलब्ध करवाई गई.

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केन्द्र के ही उद्यान वैज्ञानिक डॉ. महेश चौधरी ने सहजन फसल के उत्पादन तकनीक सें लेकर जानवरों को इसको खिलाने के फायदे बताए, साथ ही इस पौधों को अधिक से अधिक उगाने का सुझाव भी दिया. कार्यक्रम में जिले के 35 श्रमिकों ने भाग लिया, जिन्हें प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए.

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