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ग्राउण्ड रिपोर्ट: गांवों में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति खराब, 8.45 बजे तक 12 में 10 स्वास्थ्य केन्द्रों पर लगे मिले ताले

कोरोना काल में लोगों के लिए स्वास्थ्य व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने को लेकर सरकार की ओर से बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने सीकर जिले के 12 स्वास्थ्य केंद्रों का दौरा किया, जिसमें 2 स्वास्थ्य केंद्र समय पर खुले मिले. बाकी 10 स्वास्थ्य केंद्रों में ताले लगे मिले.

Reality check of hospitals in Sikar, ground report of hospitals in Sikar
गांवों में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति खराब
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Published : May 27, 2021, 10:11 AM IST

फतेहपुर (सीकर). सरकार जहां स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े बड़े दावे कर रही है. वहीं गांवों में इसकी स्थिति उसके विपरीत है. ईटीवी भारत की टीम ने 8 बजे से 8.45 तक 12 स्वास्थ्य केन्द्रों का दौरा किया, जिनमें से 10 स्वास्थ्य केन्द्रों पर ताले लगे मिले तथा केवल 2 स्वास्थ्य केन्द्र खुले मिले. ऐसे गांवों में कोरोना की दूसरी लहर से कैसे निपटा जा सकता है, जबकि कोरोना की दूसरी लहर का असर सबसे अधिक गांवों में देखने को मिल रहा है. स्थिति यह है कि साढ़े आठ बजे तक तो पीएचसी पर स्टाफ ही नहीं आया था.

सीकर जिले के 12 स्वास्थ्य केंद्रों की ग्राउंड रिपोर्ट

प्रदेश में गर्मियों के मौसम में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व उपस्वास्थ्य केन्द्र खोलने का समय सुबह 8 बजे का निर्धारित है. इसके बावजूद 8.45 बजे तक कहीं भी स्टाफ नहीं पहुंचा, जो लोग बीमार हो रहे उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए स्टाफ के आने का इंतजार करना पड़ता है. इस संबंध में ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दलीप कुल्हरी से बातचीत की गई. उन्होंने कहा कि ऐसी बात है, तो इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं दूसरी ओर अपने स्टाफ को बचाते भी दिखे कि कहीं गांव में कोई बीमार हो गया होगा. जहां पर एएनएम उसे देखने के लिए गई होगी.

पीएचसी के डॉक्टरों के बारे में पूछने पर बताया कि टीकाकरण में ड्यूटी होने के कारण शायद वैक्सीन लेने के लिए फतेहपुर आये होंगे. ऐसे में जिम्मेदार ही जब पल्ला झाड़ रहे हैं तो फिर पूछने वाला ही कौन है.

पढ़ें- कोरोना से मौतों की ऑडिट के लिए गहलोत सरकार ने बनाई 3 टीमें, राजस्थान ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य

टीम सुबह आठ बजे ताजसर पहुंची. इस दौरान मुख्य रोड पर बनी पीएचसी में ताला लगा हुआ था. वहां पर मौजूद एक महिला से खुलने का समय पूछा तो उसने कहा पता नहीं. इसके बाद एक लड़का आया और पीछे से चाबी लाकर गेट खोलकर अंदर चला गया. संवाददाता ने पूछा कि डॉक्टर कब आयेंगे तो उसने कहा कि पूरा स्टाफ नौ बजे आयेगा. इसके बाद 8.37 मिनट पर वापस चेक किया, तब वहां पर न दवा केन्द्र खुला था और न ही कोई स्टाफ नजर आया. वहीं बलोद छोटी में आंगनबाड़ी केन्द्र में ही उपस्वास्थ्य केन्द्र संचालित है. वहां पर ताला लगा हुआ था. जब आस पड़ोस के घरों में पूछा तो पता चला कि एएनएम कभी कभार आती हैं. उदनसर गांव में मुख्य रोड पर बने उपस्वास्थ्य केन्द्र के भी यही हाल थे.

वहीं दूसरी टीम पहले जालेउ व देवास पहुंची. इन देनों गांवों में केन्द्र खुले थे. इसके बाद टीम गोरास पहुंची. यहां पर साढ़े आठ बजे भी उपस्वास्थ्य केन्द्र पर ताले लटके हुए थे. इसके बाद टीम 8.36 मिनट पर दाडूंदा में बने उप स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुंची, यहां पर भी ताले लगे हुए थे. नारसरा गांव में बने उपस्वास्थ्य केन्द्र पर साढ़े आठ बजे भी ताले लटके हुए थे. बाठोद पर बने आयुर्वेद उपस्वास्थ्य केन्द्र पर 8.18 बजे देखा तो ताले लगे हुए थे. शेखीसर, हुडेरा, बारी गांव में बने उपस्वास्थय केन्द्र पर 8.15 बजे ताले लटके मिले.

फतेहपुर (सीकर). सरकार जहां स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े बड़े दावे कर रही है. वहीं गांवों में इसकी स्थिति उसके विपरीत है. ईटीवी भारत की टीम ने 8 बजे से 8.45 तक 12 स्वास्थ्य केन्द्रों का दौरा किया, जिनमें से 10 स्वास्थ्य केन्द्रों पर ताले लगे मिले तथा केवल 2 स्वास्थ्य केन्द्र खुले मिले. ऐसे गांवों में कोरोना की दूसरी लहर से कैसे निपटा जा सकता है, जबकि कोरोना की दूसरी लहर का असर सबसे अधिक गांवों में देखने को मिल रहा है. स्थिति यह है कि साढ़े आठ बजे तक तो पीएचसी पर स्टाफ ही नहीं आया था.

सीकर जिले के 12 स्वास्थ्य केंद्रों की ग्राउंड रिपोर्ट

प्रदेश में गर्मियों के मौसम में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व उपस्वास्थ्य केन्द्र खोलने का समय सुबह 8 बजे का निर्धारित है. इसके बावजूद 8.45 बजे तक कहीं भी स्टाफ नहीं पहुंचा, जो लोग बीमार हो रहे उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए स्टाफ के आने का इंतजार करना पड़ता है. इस संबंध में ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दलीप कुल्हरी से बातचीत की गई. उन्होंने कहा कि ऐसी बात है, तो इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं दूसरी ओर अपने स्टाफ को बचाते भी दिखे कि कहीं गांव में कोई बीमार हो गया होगा. जहां पर एएनएम उसे देखने के लिए गई होगी.

पीएचसी के डॉक्टरों के बारे में पूछने पर बताया कि टीकाकरण में ड्यूटी होने के कारण शायद वैक्सीन लेने के लिए फतेहपुर आये होंगे. ऐसे में जिम्मेदार ही जब पल्ला झाड़ रहे हैं तो फिर पूछने वाला ही कौन है.

पढ़ें- कोरोना से मौतों की ऑडिट के लिए गहलोत सरकार ने बनाई 3 टीमें, राजस्थान ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य

टीम सुबह आठ बजे ताजसर पहुंची. इस दौरान मुख्य रोड पर बनी पीएचसी में ताला लगा हुआ था. वहां पर मौजूद एक महिला से खुलने का समय पूछा तो उसने कहा पता नहीं. इसके बाद एक लड़का आया और पीछे से चाबी लाकर गेट खोलकर अंदर चला गया. संवाददाता ने पूछा कि डॉक्टर कब आयेंगे तो उसने कहा कि पूरा स्टाफ नौ बजे आयेगा. इसके बाद 8.37 मिनट पर वापस चेक किया, तब वहां पर न दवा केन्द्र खुला था और न ही कोई स्टाफ नजर आया. वहीं बलोद छोटी में आंगनबाड़ी केन्द्र में ही उपस्वास्थ्य केन्द्र संचालित है. वहां पर ताला लगा हुआ था. जब आस पड़ोस के घरों में पूछा तो पता चला कि एएनएम कभी कभार आती हैं. उदनसर गांव में मुख्य रोड पर बने उपस्वास्थ्य केन्द्र के भी यही हाल थे.

वहीं दूसरी टीम पहले जालेउ व देवास पहुंची. इन देनों गांवों में केन्द्र खुले थे. इसके बाद टीम गोरास पहुंची. यहां पर साढ़े आठ बजे भी उपस्वास्थ्य केन्द्र पर ताले लटके हुए थे. इसके बाद टीम 8.36 मिनट पर दाडूंदा में बने उप स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुंची, यहां पर भी ताले लगे हुए थे. नारसरा गांव में बने उपस्वास्थ्य केन्द्र पर साढ़े आठ बजे भी ताले लटके हुए थे. बाठोद पर बने आयुर्वेद उपस्वास्थ्य केन्द्र पर 8.18 बजे देखा तो ताले लगे हुए थे. शेखीसर, हुडेरा, बारी गांव में बने उपस्वास्थय केन्द्र पर 8.15 बजे ताले लटके मिले.

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