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राजसमंदः महिलाओं ने मनाया बछ बारस पर्व, गाय और बछड़े की हुई पूजा - राजसमंद में बछ बारस

राजसमंद जिला मुख्यलय सहित देवगढ़, भीम, आमेट सहित नाथद्वारा में रविवार को महिलाओं ने अपने पुत्र की लम्बी आयु के लिए बछ बारस का पर्व हर्षोल्लास से मनाया. इसके साथ ही उन्होंने बछड़े वाली गौमाता का विधिवत रोली, श्रीफल आदि से पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना की.

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बछ बारस पर्व
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Published : Aug 16, 2020, 4:52 PM IST

देवगढ़ (राजसमंद). जिले भर में महिलाओं ने रविवार को बछ बारस का पर्व मनाया. महिलाएं सुबह शुभ मुहूर्त में श्रंगार कर हाथों में पूजा की थाल लिए मंगलगान करती हुई नजर आई. इसके साथ ही उन्होंने बछड़े वाली गौमाता का विधिवत रोली, श्रीफल आदि से पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना की.

स्थानीय महिलाओं के मुताबिक बछ बारस के पर्व पर गाय और बछड़े को चना, मूंग, मोठ, मक्का, दही खिला कर वस्त्र ओढ़ाकर पूजा-अर्चना की जाती है. गाय के पूंछ को सिर पर लगाकर महिलाओं ने गाय-बछड़े की परिक्रमा कर पुत्र के लिए मंगल कामना करती हैं. वहीं, महिलाओं ने गाय के गोबर से एक कुंड का निर्माण कर उसमें भैंस का दूध, दही आदि भरकर कथा वाचन किया और अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि के लिए कामनाएं मांगी.

पढ़ेंः चाकसू में 'बछ बारस' पर महिलाओं ने रखा व्रत, किया गौ पूजन

महिलाओं ने बताया कि गौमाता में श्री कृष्ण सहित 33 करोड़ देवताओं का वास होता है. गाय की पूजा-अर्चना करने से सभी देवी-देवताओं का शुभ आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है. इसी लिए भाद्रपद कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं अपने घरों में चकु से कटे हुए फल सब्जियों का सेवन नहीं करती है और गाय के दूध दही भी इस व्रत के अंदर वर्जित माना जाता है.

देवगढ़ (राजसमंद). जिले भर में महिलाओं ने रविवार को बछ बारस का पर्व मनाया. महिलाएं सुबह शुभ मुहूर्त में श्रंगार कर हाथों में पूजा की थाल लिए मंगलगान करती हुई नजर आई. इसके साथ ही उन्होंने बछड़े वाली गौमाता का विधिवत रोली, श्रीफल आदि से पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना की.

स्थानीय महिलाओं के मुताबिक बछ बारस के पर्व पर गाय और बछड़े को चना, मूंग, मोठ, मक्का, दही खिला कर वस्त्र ओढ़ाकर पूजा-अर्चना की जाती है. गाय के पूंछ को सिर पर लगाकर महिलाओं ने गाय-बछड़े की परिक्रमा कर पुत्र के लिए मंगल कामना करती हैं. वहीं, महिलाओं ने गाय के गोबर से एक कुंड का निर्माण कर उसमें भैंस का दूध, दही आदि भरकर कथा वाचन किया और अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि के लिए कामनाएं मांगी.

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महिलाओं ने बताया कि गौमाता में श्री कृष्ण सहित 33 करोड़ देवताओं का वास होता है. गाय की पूजा-अर्चना करने से सभी देवी-देवताओं का शुभ आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है. इसी लिए भाद्रपद कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं अपने घरों में चकु से कटे हुए फल सब्जियों का सेवन नहीं करती है और गाय के दूध दही भी इस व्रत के अंदर वर्जित माना जाता है.

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