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कपड़ा व्यवसाय पर लॉकडाउन की मार...100 से 150 करोड़ का कारोबार प्रभावित, सरकार से मदद की गुहार

'साहब किराए का दुकान है, पैसे देने है, अपना पेट पाले या अपने परिवार का, समझ नहीं नहीं आ रहा, आखिर कहा से लाए पैसे, अब तो पैसे भी नहीं बचे है.' ये आवाज उन कपड़ा व्यवसायियों की है, जिन्हें इस लॉकडाउन में भारी नुकसान उठाना पड़ा है. पिछले 2 महीने से बंद इस व्यवसाय पर अब आर्थिक संकट छा गया है. जब ईटीवी भारत ने इन व्यवसायियों से बात की तो आइए जानें इन्होंने क्या कहा...

राजसमंद समाचार, rajsamand news
कपड़ा व्यवसायियों की सरकार से मदद की गुहार
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Published : May 25, 2020, 12:05 PM IST

राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बीच देशभर में लॉकडाउन से लगभग सभी व्यापार पर इसकी मार पड़ी है. इसके चलते हर व्यवसाय को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. खास कर कपड़ा व्यवसायियों को खासा नुकसान हुआ है. पिछले 2 महीनों से बंद पड़े कपड़ा व्यापार पर भी आर्थिक मंदी का दौर आन पड़ा है. लॉकडाउन-4.0 लागू होने के बाद सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी की गई और 2 महीने के लंबे समय के बाद दुकान भी कुल गए लेकिन व्यवसाय ने अब तक कुछ खास रफ्तार नहीं पकड़ी. जब ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर राजसमंद के कपड़ा व्यापारियों से बात की तो उन्होंने इस दौरान उत्पन्न हुई परेशानियों से अवगत कराया.

कपड़ा व्यवसायियों की सरकार से मदद की गुहार

कपड़ा व्यवसायियों का कहना है कि लॉकडाउन के दरमियान उनके व्यवसाय का सबसे महत्वपूर्ण सीजन तो गुजर चुका है. क्योंकि, इसी समय शादी और त्यौहारों का सीजन होता था, जिनसे इन छोटे दुकानदारों को बड़ा मुनाफा कमाने का मौका मिलता था. लेकिन इन व्यापारियों पर लॉकडाउन की ऐसी मार पड़ी कि इन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है.

पढ़ें- खाद्य सुरक्षा योजना में चयनित परिवारों को मिल रहा फायदा, जून में 445 मीट्रिक टन दाल की जाएगी वितरित

इस दौरान व्यापार संघ के अध्यक्ष दीपक जैन से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण वस्त्र व्यापार को भारी नुकसान हुआ है. क्योंकि, कपड़ा व्यवसाय का सबसे महत्वपूर्ण सीजन शादी-विवाह का सीजन होता है. इसके साथ ही लॉकडाउन के दरमियान आखातीज का अभिजीत मुहूर्त भी गुजर चुका है. इस दौरान 2 महीने की बंदी ने कपड़ा व्यासायियों की कमर तोड़कर रख दी है. उन्होंने बताया कि आखातीज आने को लेकर एक डेढ़ महीने पहले से ही माल इकट्ठा कर लेते है, जिससे कि लोगों को खरीदारी में परेशानी ना हो. लेकिन एकदम से जारी हुए लॉकडाउन की वजह से पूरा माल दुकानों में ही पड़ा रह गया है.

उन्होंने बताया कि राजसमंद जिले में करीब 1500 से 1600 दुकानें कपड़े से जुड़ी हुई हैं. इसके चलते करीब 100 से 150 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित हुआ है. इन सभी आकड़ों में छोटे व्यापारी भी शामिल है, जो किराए की दुकान लेकर अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए अपना व्यवसाय चलाते है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से उन पर दोहरी मार पड़ी है. अब ऐसे में वो दुकान का किराया दें या अपने परिवार का पेट पालें, ये सोचनी वाली बात है.

पढ़ें- लॉकडाउन में व्यापारियों का करोबार 'लॉक'...100 करोड़ से अधिक की लगी चपत

वहीं, कपड़ा व्यापारी प्रवीण पगारिया ने बताया कि लॉकडाउन के चलते कपड़ा व्यवसाय को भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में दुकान का किराया भी देना है और जो दुकान में काम करते है, उन लड़कों को तनख्वाह भी देना है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन-4.0 में जारी आदेशों के बाद दुकान तो शुरू हो गई है, लेकिन पहले जैसी दिनभर लगने वाली भीड़ अब नहीं दिखती है. दिनभर में सिर्फ एक ही दो लोग आते है. इससे रोजी-रोटी पर संकट आ गया है.

व्यापारियों ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि सरकार को आगे आकर निम्न और मध्यम वर्गीय व्यापारियों को राहत देनी चाहिए, इस संकट की घड़ी में इस व्यापार की जो टूटी हुई रीड की हड्डी है, वो दोबारा से सुव्यवस्थित हो सके. इसके साथ ही सरकार को जीएसटी और टैक्स में भी छूट देनी चाहिए और छोटे व्यापारियों के लिए एक राहत पैकेज का भी ऐलान करना चाहिए, जिससे वे अपना और अपने परिवार का खर्चा उठा सके.

राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बीच देशभर में लॉकडाउन से लगभग सभी व्यापार पर इसकी मार पड़ी है. इसके चलते हर व्यवसाय को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. खास कर कपड़ा व्यवसायियों को खासा नुकसान हुआ है. पिछले 2 महीनों से बंद पड़े कपड़ा व्यापार पर भी आर्थिक मंदी का दौर आन पड़ा है. लॉकडाउन-4.0 लागू होने के बाद सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी की गई और 2 महीने के लंबे समय के बाद दुकान भी कुल गए लेकिन व्यवसाय ने अब तक कुछ खास रफ्तार नहीं पकड़ी. जब ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर राजसमंद के कपड़ा व्यापारियों से बात की तो उन्होंने इस दौरान उत्पन्न हुई परेशानियों से अवगत कराया.

कपड़ा व्यवसायियों की सरकार से मदद की गुहार

कपड़ा व्यवसायियों का कहना है कि लॉकडाउन के दरमियान उनके व्यवसाय का सबसे महत्वपूर्ण सीजन तो गुजर चुका है. क्योंकि, इसी समय शादी और त्यौहारों का सीजन होता था, जिनसे इन छोटे दुकानदारों को बड़ा मुनाफा कमाने का मौका मिलता था. लेकिन इन व्यापारियों पर लॉकडाउन की ऐसी मार पड़ी कि इन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है.

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इस दौरान व्यापार संघ के अध्यक्ष दीपक जैन से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण वस्त्र व्यापार को भारी नुकसान हुआ है. क्योंकि, कपड़ा व्यवसाय का सबसे महत्वपूर्ण सीजन शादी-विवाह का सीजन होता है. इसके साथ ही लॉकडाउन के दरमियान आखातीज का अभिजीत मुहूर्त भी गुजर चुका है. इस दौरान 2 महीने की बंदी ने कपड़ा व्यासायियों की कमर तोड़कर रख दी है. उन्होंने बताया कि आखातीज आने को लेकर एक डेढ़ महीने पहले से ही माल इकट्ठा कर लेते है, जिससे कि लोगों को खरीदारी में परेशानी ना हो. लेकिन एकदम से जारी हुए लॉकडाउन की वजह से पूरा माल दुकानों में ही पड़ा रह गया है.

उन्होंने बताया कि राजसमंद जिले में करीब 1500 से 1600 दुकानें कपड़े से जुड़ी हुई हैं. इसके चलते करीब 100 से 150 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित हुआ है. इन सभी आकड़ों में छोटे व्यापारी भी शामिल है, जो किराए की दुकान लेकर अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए अपना व्यवसाय चलाते है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से उन पर दोहरी मार पड़ी है. अब ऐसे में वो दुकान का किराया दें या अपने परिवार का पेट पालें, ये सोचनी वाली बात है.

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वहीं, कपड़ा व्यापारी प्रवीण पगारिया ने बताया कि लॉकडाउन के चलते कपड़ा व्यवसाय को भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में दुकान का किराया भी देना है और जो दुकान में काम करते है, उन लड़कों को तनख्वाह भी देना है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन-4.0 में जारी आदेशों के बाद दुकान तो शुरू हो गई है, लेकिन पहले जैसी दिनभर लगने वाली भीड़ अब नहीं दिखती है. दिनभर में सिर्फ एक ही दो लोग आते है. इससे रोजी-रोटी पर संकट आ गया है.

व्यापारियों ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि सरकार को आगे आकर निम्न और मध्यम वर्गीय व्यापारियों को राहत देनी चाहिए, इस संकट की घड़ी में इस व्यापार की जो टूटी हुई रीड की हड्डी है, वो दोबारा से सुव्यवस्थित हो सके. इसके साथ ही सरकार को जीएसटी और टैक्स में भी छूट देनी चाहिए और छोटे व्यापारियों के लिए एक राहत पैकेज का भी ऐलान करना चाहिए, जिससे वे अपना और अपने परिवार का खर्चा उठा सके.

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