राजसमंद. राजसमंद जिला अपने सफेल मार्बल के लिए दुनिया भर में मशहूर है. लेकिन अब मार्बल व्यवसाय संकट में है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि यहां करीब 1 हजार से ज्यादा मार्बल की खदानों में से 500 से ज्यादा यानि करीब आधी खदानें बंद हो चुकी हैं. इस वजह से मार्बल के उत्पादन में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है.
विश्व पटल पर सफेद मार्बल के नाम से विख्यात मार्बल व्यवसाय अब धीरे-धीरे अपनी चमक खोता हुआ नजर आ रहा है. इस मार्बल व्यवसाय की चमक खोने के कई कारण हैं.
मार्बल व्यवसाय की चमक खोने के प्रमुख कारण...
- खदानें गहरी होने से मार्बल की गुणवत्ता में गिरावट आई
- खदान गहरी होने से खर्च बढ़ा
- सिरेमिक, विट्रिफाइड टाइल्स से मार्बल की बिक्री पर पड़ा असर
- कम लागत, आसानी से मकानों में लग जाने की वजह से लोग टाइल्स ज्यादा पसंद कर रहे
- मार्बल लगाने में खर्च होता है ज्यादा पैसा
- GST लागू होने से व्यवसाय पर पड़ा असर
सांसद ने लोस में उठाया मुद्दा...
सांसद दीया कुमारी ने भी मार्बल व्यवसाय में GST कम करने को लेकर लोकसभा में सवाल उठा चुकी हैं. प्रदेश की अर्थव्यवस्था सही करने में इस व्यवसाय का बड़ा योगदान है. मार्बल पर GST की उच्च दरों के कारण इस उद्योग को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.
ज्यादा रायल्टी राशि...
मार्बल व्यवसाय में राज्य सरकार पत्थर की कीमत से ज्यादा रायल्टी राशि वसूल रही है. ज्यादा टैक्स वसूली की दोहरी नीति की वजह से भी लगातार मार्बल की बिक्री घटती जा रही है.
मार्बल व्यवसायियों के मुताबिक वर्तमान में कॉम्प्लेक्स और अन्य मकानों में मार्बल के प्रचलन में भी कमी आई है. मार्बल लगाने वाले कारीगर भी अब कम हो गए हैं. जबकि इसकी तुलना में सिरेमिक टाइल्स आसानी से लगाई जा सकती है.
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राजसमंद की कई मार्बल खदानों ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है. इनमें आरके मार्बल्स भी शामिल है, लेकिन वर्तमान में आरके मार्बल्स की खदान पर भी मंदी का असर नजर आ रहा है. आलम है, कि यहां काम में पहले की तुलना में 50 प्रतिशत गिरावट आई है, जिसका खामियाजा यहां काम करने वाले लोगों और ट्रक चालकों को उठाना पड़ रहा है. इस वजह से ट्रक और ट्रेलर चालकों के व्यवसाय में भी गिरावट आई है.