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स्पेशल: संकट में मार्बल व्यापारी, 500 से ज्यादा खदानें बंद - मार्बल व्यवसाय

मेवाड़ का राजसमंद जिला अपनी कई खूबियों के लिए जाना जाता है. मार्बल व्यवसाय भी इन्हीं में से एक है. राजसमंद में मार्बल की कई खदानें हैं. भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में यहां के सफेद मार्बल को लोग पसंद करते हैं. लेकिन अब मार्बल व्यवसाय पर ग्रहण सा लग गया है.

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एशिया के सबसे बड़े मार्बल व्यवसाय पर लगा ग्रहण
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Published : Dec 30, 2019, 10:16 AM IST

Updated : Dec 30, 2019, 10:55 AM IST

राजसमंद. राजसमंद जिला अपने सफेल मार्बल के लिए दुनिया भर में मशहूर है. लेकिन अब मार्बल व्यवसाय संकट में है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि यहां करीब 1 हजार से ज्यादा मार्बल की खदानों में से 500 से ज्यादा यानि करीब आधी खदानें बंद हो चुकी हैं. इस वजह से मार्बल के उत्पादन में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है.

विश्व पटल पर सफेद मार्बल के नाम से विख्यात मार्बल व्यवसाय अब धीरे-धीरे अपनी चमक खोता हुआ नजर आ रहा है. इस मार्बल व्यवसाय की चमक खोने के कई कारण हैं.

एशिया के सबसे बड़े मार्बल व्यवसाय पर लगा ग्रहण

मार्बल व्यवसाय की चमक खोने के प्रमुख कारण...

  • खदानें गहरी होने से मार्बल की गुणवत्ता में गिरावट आई
  • खदान गहरी होने से खर्च बढ़ा
  • सिरेमिक, विट्रिफाइड टाइल्स से मार्बल की बिक्री पर पड़ा असर
  • कम लागत, आसानी से मकानों में लग जाने की वजह से लोग टाइल्स ज्यादा पसंद कर रहे
  • मार्बल लगाने में खर्च होता है ज्यादा पैसा
  • GST लागू होने से व्यवसाय पर पड़ा असर

सांसद ने लोस में उठाया मुद्दा...

सांसद दीया कुमारी ने भी मार्बल व्यवसाय में GST कम करने को लेकर लोकसभा में सवाल उठा चुकी हैं. प्रदेश की अर्थव्यवस्था सही करने में इस व्यवसाय का बड़ा योगदान है. मार्बल पर GST की उच्च दरों के कारण इस उद्योग को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.

ज्यादा रायल्टी राशि...

मार्बल व्यवसाय में राज्य सरकार पत्थर की कीमत से ज्यादा रायल्टी राशि वसूल रही है. ज्यादा टैक्स वसूली की दोहरी नीति की वजह से भी लगातार मार्बल की बिक्री घटती जा रही है.
मार्बल व्यवसायियों के मुताबिक वर्तमान में कॉम्प्लेक्स और अन्य मकानों में मार्बल के प्रचलन में भी कमी आई है. मार्बल लगाने वाले कारीगर भी अब कम हो गए हैं. जबकि इसकी तुलना में सिरेमिक टाइल्स आसानी से लगाई जा सकती है.

यह भी पढ़ेंः अलविदा 2019 : राजस्थान पुलिस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा साल

राजसमंद की कई मार्बल खदानों ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है. इनमें आरके मार्बल्स भी शामिल है, लेकिन वर्तमान में आरके मार्बल्स की खदान पर भी मंदी का असर नजर आ रहा है. आलम है, कि यहां काम में पहले की तुलना में 50 प्रतिशत गिरावट आई है, जिसका खामियाजा यहां काम करने वाले लोगों और ट्रक चालकों को उठाना पड़ रहा है. इस वजह से ट्रक और ट्रेलर चालकों के व्यवसाय में भी गिरावट आई है.

राजसमंद. राजसमंद जिला अपने सफेल मार्बल के लिए दुनिया भर में मशहूर है. लेकिन अब मार्बल व्यवसाय संकट में है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि यहां करीब 1 हजार से ज्यादा मार्बल की खदानों में से 500 से ज्यादा यानि करीब आधी खदानें बंद हो चुकी हैं. इस वजह से मार्बल के उत्पादन में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है.

विश्व पटल पर सफेद मार्बल के नाम से विख्यात मार्बल व्यवसाय अब धीरे-धीरे अपनी चमक खोता हुआ नजर आ रहा है. इस मार्बल व्यवसाय की चमक खोने के कई कारण हैं.

एशिया के सबसे बड़े मार्बल व्यवसाय पर लगा ग्रहण

मार्बल व्यवसाय की चमक खोने के प्रमुख कारण...

  • खदानें गहरी होने से मार्बल की गुणवत्ता में गिरावट आई
  • खदान गहरी होने से खर्च बढ़ा
  • सिरेमिक, विट्रिफाइड टाइल्स से मार्बल की बिक्री पर पड़ा असर
  • कम लागत, आसानी से मकानों में लग जाने की वजह से लोग टाइल्स ज्यादा पसंद कर रहे
  • मार्बल लगाने में खर्च होता है ज्यादा पैसा
  • GST लागू होने से व्यवसाय पर पड़ा असर

सांसद ने लोस में उठाया मुद्दा...

सांसद दीया कुमारी ने भी मार्बल व्यवसाय में GST कम करने को लेकर लोकसभा में सवाल उठा चुकी हैं. प्रदेश की अर्थव्यवस्था सही करने में इस व्यवसाय का बड़ा योगदान है. मार्बल पर GST की उच्च दरों के कारण इस उद्योग को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.

ज्यादा रायल्टी राशि...

मार्बल व्यवसाय में राज्य सरकार पत्थर की कीमत से ज्यादा रायल्टी राशि वसूल रही है. ज्यादा टैक्स वसूली की दोहरी नीति की वजह से भी लगातार मार्बल की बिक्री घटती जा रही है.
मार्बल व्यवसायियों के मुताबिक वर्तमान में कॉम्प्लेक्स और अन्य मकानों में मार्बल के प्रचलन में भी कमी आई है. मार्बल लगाने वाले कारीगर भी अब कम हो गए हैं. जबकि इसकी तुलना में सिरेमिक टाइल्स आसानी से लगाई जा सकती है.

यह भी पढ़ेंः अलविदा 2019 : राजस्थान पुलिस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा साल

राजसमंद की कई मार्बल खदानों ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है. इनमें आरके मार्बल्स भी शामिल है, लेकिन वर्तमान में आरके मार्बल्स की खदान पर भी मंदी का असर नजर आ रहा है. आलम है, कि यहां काम में पहले की तुलना में 50 प्रतिशत गिरावट आई है, जिसका खामियाजा यहां काम करने वाले लोगों और ट्रक चालकों को उठाना पड़ रहा है. इस वजह से ट्रक और ट्रेलर चालकों के व्यवसाय में भी गिरावट आई है.

Intro:राजसमंद- मेवाड़ के मध्य में स्थित राजसमंद जिला अपने आप में कई विशेषताओं के लिए ख्याति प्राप्त है. ऐसी ही एक विशेषता है.कि राजसमंद में सबसे ज्यादा मार्बल की खदानें हैं. जिसके कारण भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में राजसमंद के सफेद मार्बल को लोग पसंद करते हैं.लेकिन वर्तमान परिदृश्य में विश्व प्रसिद्ध मार्बल राजसमंद की व्यवसाय पर ग्रहण सा लग गया है. यही कारण है.कि करीब 1006 मार्बल की खदानों में से वर्तमान में 500 से अधिक खदानें बंद हो चुकी हैं. जिसके कारण मार्बल के उत्पादन में 50% की गिरावट आई है.लेकिन देखा जाए तो विश्व की पटल पर सफेद मार्बल के नाम से विख्यात मार्बल व्यवसाय अब धीरे-धीरे अपनी चमक खोता हुआ नजर आ रहा है.

मार्बल व्यवसाय की चमक खोने के प्रमुख कारण इस प्रकार
1, मार्बल की खदानें गहरी होने के कारण अब पहले की तुलना में मार्बल की गुणवत्ता में भी गिरावट आई है. यह भी एक प्रमुख कारण है. खान गहरी होने से खर्च बढ़ गया.

2, सिरामिक विट्रीफाइड विदेशी टाइल बाजार में आने के बाद मार्बल की बिक्री पर भी काफी प्रभाव पड़ा है. जिसकी वजह से मार्बल उद्योग का व्यवसाय गड़बड़ा गया है. क्योंकि इनटाइल की लागत भी बहुत कम है. जबकि मार्बल की तुलना में ही है बड़े मकानों में आसानी से लगाई जा सकती हैं. जबकि अब लोग मार्बल की तुलना में इन्हें ज्यादा पसंद कर रहे हैं. क्योंकि मार्बल की लागत और उसके बाद उसकी गसाई और उसके लगाई में अधिक पैसा खर्च होने लगा.

3, तीसरा प्रमुख कारण देखे तो केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई जीएसटी का भी इस व्यवसाय पर गहरा प्रभाव पड़ा यही कारण है.कि सांसद दीया कुमारी ने भी इस व्यवसाय में जीएसटी कम करने को लेकर लोकसभा में सवाल उठाए. राजस्थान की अर्थव्यवस्था में इस व्यवसाय का बड़ा योगदान है. मार्बल पर जीएसटी की उच्च दरों के कारण पूरे उद्योग को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.

4, मार्बल व्यवसाय में पत्थर की कीमत से ज्यादा रॉयल्टी राशि वसूल राज्य सरकार कर रही है.ज्यादा टैक्स वसूली की दोहरी नीति की वजह से भी लगातार मार्बल की बिक्री घटती जा रही है.


Body:मार्बल व्यवसाई बताते हैं. कि यह कुछ प्रमुख कारण है. जिसके कारण मार्बल में गिरावट आई वहीं दूसरी तरफ देखे तो वर्तमान में कॉन्प्लेक्स और अन्य मकानों में लोगों द्वारा मार्बल के प्रचलन में भी कमी देखने को मिली है. वे बताते हैं मार्बल की लगाई को लेकर कारीगर भी अब कम हो गए. जबकि इसकी तुलना में सिरामिक टाइल्स आसानी से लगाई जा सकती है. राजसमंद में कई ऐसी मार्बल्स की खदानें हैं. जिन्हें गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करवाया है.जैसे आरके मार्बल्स लेकिन वर्तमान में आरके मार्बल्स की खदान पर भी मंदी का असर नजर आ रहा है. यही कारण है.कि यहां काम पहले की तुलना में 50% काम में गिरावट आई है. जिसका खामियाजा यहां काम करने वाले लोगों को और ट्रक चालकों को उठाना पढ़ रहा है. यही कारण है कि ट्रक ट्रेलर चालकों के व्यवसाय में भी गिरावट आई है.


Conclusion:अब देखना होगा कि सरकार इस व्यवसाय को फिर से उठाने के लिए क्या कुछ कदम उठाती है.
Last Updated : Dec 30, 2019, 10:55 AM IST
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