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राजसमंद : स्वतंत्रता सेनानी लीलाधर गुर्जर का 95 वर्ष की उम्र में निधन

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Published : Apr 14, 2021, 9:26 AM IST

वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्री लीलाधर गुर्जर का मंगलवार को निधन हो गया. वे अपने पीछे तीन बेटों और दो बेटियों का भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं. लीलाधर गुर्जर ने 95 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. वे पिछले 6 माह से अस्वस्थ चल रहे थे.

freedom fighter liladhar gurjar
स्वतंत्रता सेनानी लीलाधर गुर्जर का निधन

नाथद्वारा (राजसमंद). स्वतंत्रता सेनानी लीलाधर गुर्जर का 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. स्वतंत्रता सेनानी के निधन की सूचना मिलते ही प्रशासन के आला अधिकारी उनके घर पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की. तहसीलदार ब्रिजेश गुप्ता और वृत निरीक्षक पुरण सिंह राजपुरोहित ने उन्हें निवास स्थान पर श्रद्धांजलि अर्पित की.

पढ़ें : घातक बन रही कोरोना की दूसरी लहर, जनता लाॅकडाउन जैसा संयमित व्यवहार करे: मुख्यमंत्री गहलोत

वहीं, रात्रि का समय होने के कारण उन्हें निवास स्थान पर ही गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, लेकिन सलामी नहीं दी गई. बता दें कि मंगलवार रात्रि को ही लीलाधर गुर्जर का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान कोविड गाइडलाइन के चलते सीमित संख्या में ही लोग सम्मिलित हुए. लीलाधर गुर्जर ने छात्र जीवन से ही स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था. जिसके बाद उन्होंने मेवाड़ प्रजा आंदोलन में भाग लिया व जेल भी गए.

freedom fighter liladhar gurjar
लीलाधर गुर्जर ने 95 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली...

लीलाधर गुर्जर को 9 अगस्त 2016 को क्रांति दिवस पर दिल्ली राष्ट्रपति भवन में कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था. कार्यक्रम में देश के 95 स्वतंत्रता सेनानी सम्मानित हुए. राजसमंद जिले से नाथद्वारा के लीलाधर गुर्जर को चुना गया था. इसके अलावा प्रति वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह में भी वे सम्मनित किए जाते रहे हैं. पिछले वर्ष ही 12 अगस्त को कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने उनके घर जाकर उनसे मुलाकात की थी व उनका सम्मान किया था.

पढ़ें : चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना

उन्होंने 2019 में ईटीवी भारत को दिए विशेष इंटरव्यू में बताया था कि पहले के समय (आजादी की लड़ाई का दौर) में इतनी आजादी नहीं थी और लोग शिक्षित में नहीं थे, ना ही उस समय इतने अखबार थे. कुछ भी नहीं था, राजा-रइसों का जमाना था. अंग्रेजों की जो मर्जी पड़ी वह कर देते थे, कोई उनके खिलाफ बोलता तो उसको अत्याचार करके जेल में डाल देते. आजादी मिलने के बाद लोगों में कुछ शांति आई और लोग कुछ जानने लगे, शिक्षित होने लगे. आज जैसा माहौल उस वक्त था ही नहीं.

freedom fighter liladhar gurjar
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ लीलाधर गुर्जर...

उन्होंने बताया था कि महात्मा गांधी जी ने जो आंदोलन चलाया था, उससे उन्हें भी प्रेरणा मिली और सभी लोगों अत्याचार के खिलाफ जेलों में गए और अपने भारत को आजाद कराने के लिए कई लोग जेल यात्रा तक की. आजादी के समय पाकिस्तान का मसला सामने आया. लड़ाई-झगड़ा कम हो, इसलिए एक हिस्सा इनको दें और एक हिस्सा यहां रखें, ताकि सुख शांति हो. लेकिन आज तो उसका दुरुपयोग हो रहा है. आज पाकिस्तान हमारी आजादी को छीनने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने बताया था कि पंडित नेहरू जब यहां नाथद्वारा की मॉर्डन स्कूल का उद्घाटन करने आये थे, तब उनसे मुलाकात का मौका मिला था.

नाथद्वारा (राजसमंद). स्वतंत्रता सेनानी लीलाधर गुर्जर का 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. स्वतंत्रता सेनानी के निधन की सूचना मिलते ही प्रशासन के आला अधिकारी उनके घर पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की. तहसीलदार ब्रिजेश गुप्ता और वृत निरीक्षक पुरण सिंह राजपुरोहित ने उन्हें निवास स्थान पर श्रद्धांजलि अर्पित की.

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वहीं, रात्रि का समय होने के कारण उन्हें निवास स्थान पर ही गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, लेकिन सलामी नहीं दी गई. बता दें कि मंगलवार रात्रि को ही लीलाधर गुर्जर का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान कोविड गाइडलाइन के चलते सीमित संख्या में ही लोग सम्मिलित हुए. लीलाधर गुर्जर ने छात्र जीवन से ही स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था. जिसके बाद उन्होंने मेवाड़ प्रजा आंदोलन में भाग लिया व जेल भी गए.

freedom fighter liladhar gurjar
लीलाधर गुर्जर ने 95 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली...

लीलाधर गुर्जर को 9 अगस्त 2016 को क्रांति दिवस पर दिल्ली राष्ट्रपति भवन में कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था. कार्यक्रम में देश के 95 स्वतंत्रता सेनानी सम्मानित हुए. राजसमंद जिले से नाथद्वारा के लीलाधर गुर्जर को चुना गया था. इसके अलावा प्रति वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह में भी वे सम्मनित किए जाते रहे हैं. पिछले वर्ष ही 12 अगस्त को कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने उनके घर जाकर उनसे मुलाकात की थी व उनका सम्मान किया था.

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उन्होंने 2019 में ईटीवी भारत को दिए विशेष इंटरव्यू में बताया था कि पहले के समय (आजादी की लड़ाई का दौर) में इतनी आजादी नहीं थी और लोग शिक्षित में नहीं थे, ना ही उस समय इतने अखबार थे. कुछ भी नहीं था, राजा-रइसों का जमाना था. अंग्रेजों की जो मर्जी पड़ी वह कर देते थे, कोई उनके खिलाफ बोलता तो उसको अत्याचार करके जेल में डाल देते. आजादी मिलने के बाद लोगों में कुछ शांति आई और लोग कुछ जानने लगे, शिक्षित होने लगे. आज जैसा माहौल उस वक्त था ही नहीं.

freedom fighter liladhar gurjar
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ लीलाधर गुर्जर...

उन्होंने बताया था कि महात्मा गांधी जी ने जो आंदोलन चलाया था, उससे उन्हें भी प्रेरणा मिली और सभी लोगों अत्याचार के खिलाफ जेलों में गए और अपने भारत को आजाद कराने के लिए कई लोग जेल यात्रा तक की. आजादी के समय पाकिस्तान का मसला सामने आया. लड़ाई-झगड़ा कम हो, इसलिए एक हिस्सा इनको दें और एक हिस्सा यहां रखें, ताकि सुख शांति हो. लेकिन आज तो उसका दुरुपयोग हो रहा है. आज पाकिस्तान हमारी आजादी को छीनने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने बताया था कि पंडित नेहरू जब यहां नाथद्वारा की मॉर्डन स्कूल का उद्घाटन करने आये थे, तब उनसे मुलाकात का मौका मिला था.

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