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नाथद्वारा निकाय चुनाव में भाजपा जिलाध्यक्ष अपने भाई को भी नहीं जीता पाए, चिंतन और मनन जारी

राजसमंद के नाथद्वारा नगर पालिका का चुनाव भाजपा के लिए खासी शिकस्त वाला रहा. एक ओर जहां कांग्रेस को 29 वार्डों में जीत हासिल हुई है. तो वहीं भाजपा इस चुनाव में सिर्फ 10 सीटों पर आकर ही सिमट गई.

राजसमंद नगर पालिका चुनाव की खबर, Rajsamand municipality election news
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Published : Nov 23, 2019, 7:39 PM IST

राजसमंद. जिले के आमेट और नाथद्वारा नगर पालिका में हुए निकाय चुनाव परिणाम आने के बाद नाथद्वारा और आमेट दोनों जगह कांग्रेस का बोर्ड बनता हुआ दिखाई दे रहा है. लेकिन यह चुनाव नाथद्वारा नगर पालिका में भाजपा के लिए खासी शिकस्त भरा रहा.

नगर पालिका का चुनाव भाजपा के लिए खासी शिकस्त वाला रहा

क्योंकि भाजपा के लिए चुनाव प्रचार में सांसद दिया कुमारी, पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी, भाजपा के कई आला अधिकारी और पदाधिकारी चुनाव मैदान में पार्टी को जिताने के लिए उतरे थे. लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि वार्ड नंबर 23 से खड़े हुए भाजपा के जिलाध्यक्ष विरेंद्र पुरोहित के भाई भी इस मुकाबले में जीत अर्जित नहीं कर पाए.

पढ़ेंः राजसमंदः महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनने पर कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर दी बधाई

वहीं, भाजपा भी चुनाव परिणाम आने के बाद से लगातार आत्ममंथन में जुटी हुई है. भाजपा इस चुनाव में सिर्फ 10 सीटों पर आकर ही सिमट गई. वहीं, कांग्रेस को इस बार 29 वार्डों में जीत हासिल हुई है. गौरतलब है कि इस चुनाव प्रचार में भाजपा ने अपना पूरा लवाजमा लगा दिया था. लेकिन जीत का ताज बचाने में असफल रही. अब देखना होगा कि भाजपा की ओर से किए जा रहे आत्ममंथन से क्या निकलता है. क्योंकि जहां एक ओर नाथद्वारा में भाजपा का इस प्रकार से हारना आला नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता है. क्योंकि कुछ दिन पहले ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव में यहां से भारी-भरकम जीत हासिल की थी.

राजसमंद. जिले के आमेट और नाथद्वारा नगर पालिका में हुए निकाय चुनाव परिणाम आने के बाद नाथद्वारा और आमेट दोनों जगह कांग्रेस का बोर्ड बनता हुआ दिखाई दे रहा है. लेकिन यह चुनाव नाथद्वारा नगर पालिका में भाजपा के लिए खासी शिकस्त भरा रहा.

नगर पालिका का चुनाव भाजपा के लिए खासी शिकस्त वाला रहा

क्योंकि भाजपा के लिए चुनाव प्रचार में सांसद दिया कुमारी, पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी, भाजपा के कई आला अधिकारी और पदाधिकारी चुनाव मैदान में पार्टी को जिताने के लिए उतरे थे. लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि वार्ड नंबर 23 से खड़े हुए भाजपा के जिलाध्यक्ष विरेंद्र पुरोहित के भाई भी इस मुकाबले में जीत अर्जित नहीं कर पाए.

पढ़ेंः राजसमंदः महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनने पर कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर दी बधाई

वहीं, भाजपा भी चुनाव परिणाम आने के बाद से लगातार आत्ममंथन में जुटी हुई है. भाजपा इस चुनाव में सिर्फ 10 सीटों पर आकर ही सिमट गई. वहीं, कांग्रेस को इस बार 29 वार्डों में जीत हासिल हुई है. गौरतलब है कि इस चुनाव प्रचार में भाजपा ने अपना पूरा लवाजमा लगा दिया था. लेकिन जीत का ताज बचाने में असफल रही. अब देखना होगा कि भाजपा की ओर से किए जा रहे आत्ममंथन से क्या निकलता है. क्योंकि जहां एक ओर नाथद्वारा में भाजपा का इस प्रकार से हारना आला नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता है. क्योंकि कुछ दिन पहले ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव में यहां से भारी-भरकम जीत हासिल की थी.

Intro:राजसमंद- जिले के आमेट और नाथद्वारा नगर पालिका में हुए निकाय चुनाव परिणाम आने के बाद नाथद्वारा और आमेट दोनों जगह कांग्रेस का बोर्ड बनता हुआ दिखाई दे रहा है.लेकिन सबसे ज्यादा दिलचस्प इस बार नाथद्वारा नगर पालिका में भाजपा के लिए खासी शिकस्त भरा चुनाव रहा. क्योंकि जहां भाजपा के लिए चुनाव प्रचार में सांसद दिया कुमारी पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी और भाजपा के कई आला अधिकारी और पदाधिकारी चुनाव मैदान में पार्टी को जिताने के लिए उतरे.लेकिन गौर करने वाली बात है. कि वार्ड नंबर 23 से खड़े हुए.


Body:भाजपा के जिलाध्यक्ष विरेंद्र पुरोहित के भाई भी इस मुकाबले में जीत अर्जित नहीं कर पाए.जिसके कारण सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है.वहीं भाजपा भी चुनाव परिणाम आने के बाद से लगातार आत्ममंथन में जुटी हुई है. भाजपा इस चुनाव में सिर्फ 10 सीटों पर आकर ही सिमट गई. वही कांग्रेस को इस बार 29 वार्डो में जीत मिली. गौरतलब है. कि चुनाव प्रचार में भाजपा ने अपना पूरा लवाजमा लगा दिया. लेकिन जीत का ताज बचाने में असफल रही. वहीं वर्तमान में कांग्रेस को नतीजे आने के बाद डर सता रहा है.कोश वोटिंग का इसलिए वह अपने जीते हुए पार्षदों को अलग-अलग गुटों में


Conclusion:बड़ाबंदी किए हुए हैं.अब देखना होगा कि भाजपा के द्वारा किए जा रहे.आत्ममंथन से क्या निकलता है. क्योंकि जहां एक और नाथद्वारा में भाजपा का इस प्रकार से हारना कहीं ना कहीं आला नेताओं को और कार्यकर्ताओं के बीच अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता है. क्योंकि कुछ दिन पहले ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव में यहां से भारी-भरकम जीत हासिल की थी.
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