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मंदिर में जैसे ही प्रभु श्रीनाथजी ने लगाया छप्पन भोग, दौड़ते हुए आए आदिवासी युवा और लूट ले गए प्रसाद - Nathdwara Annakoot Festival Shrinathji Temple

राजसमंद में पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ श्री नाथद्वारा मंदिर में अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी, लालन को छप्पन भोग का भोग धराया गया.

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Published : Oct 29, 2019, 10:39 AM IST

Updated : Oct 29, 2019, 12:25 PM IST

नाथद्वारा (राजसमंद). वर्षों से प्रदेश में अन्नकूट महोत्सव अच्छे से मनाया जाता है. बता दें कि इस दिन आसपास के ग्रामीण अंचलों से आदिवासी श्रीनाथजी मंदिर आते हैं. जिसके साथ ही श्रीनाथजी के सन्मुख रखे छप्पन भोग को लूट कर ले जाते हैं.

प्रभु श्रीनाथजी ने अरोगा छप्पन भोग

बता दें कि श्री नाथद्वारा मंदिर में भी सोमवार को अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी, लालन को छप्पन भोग का भोग धराया गया. श्रीनाथजी के सामने पके हुए 150 क्विंटल चावल का भोग लगाया जाता है. इस चावल व अन्य भोग सामग्रियों को आदिवासी समाज के लोग लूट कर ले जाते हैं.

यह भी पढ़ें : भाई दूज : जानें शुभ मुहूर्त और इस पर्व का महत्व

बताया जा रहा है कि करीब 350 सालों से यह परंपरा निभाई जा रही है. यह आदिवासी लोग इस चावल का उपयोग अपने सगे संबंधियों में बांटने तथा औषधि के रूप में करते हैं. इस चावल को वे अपने घर में रखते हैं.

यह भी पढ़ें : स्पेशल रिपोर्टः डूंगरपुर में बढ़ रहा सड़क हादसों का ग्राफ, ढाई साल में 534 की मौत

उनकी मान्यता है कि इससे घर में धन-धान्य बना रहता है. वहीं रात 11 बजे अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई गई. आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए आदिवासी समाज के लोगो ने "धी.. धी.." की आवाज करते हुए अन्नकूट के चावल को लूटा. इस आयोजन में आसपास के ग्रामीण अंचलों से आए आदिवासियों ने भाग लिया और परंपरा को अनवरत जारी रखा. इस परंपरा को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला.

नाथद्वारा (राजसमंद). वर्षों से प्रदेश में अन्नकूट महोत्सव अच्छे से मनाया जाता है. बता दें कि इस दिन आसपास के ग्रामीण अंचलों से आदिवासी श्रीनाथजी मंदिर आते हैं. जिसके साथ ही श्रीनाथजी के सन्मुख रखे छप्पन भोग को लूट कर ले जाते हैं.

प्रभु श्रीनाथजी ने अरोगा छप्पन भोग

बता दें कि श्री नाथद्वारा मंदिर में भी सोमवार को अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी, लालन को छप्पन भोग का भोग धराया गया. श्रीनाथजी के सामने पके हुए 150 क्विंटल चावल का भोग लगाया जाता है. इस चावल व अन्य भोग सामग्रियों को आदिवासी समाज के लोग लूट कर ले जाते हैं.

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बताया जा रहा है कि करीब 350 सालों से यह परंपरा निभाई जा रही है. यह आदिवासी लोग इस चावल का उपयोग अपने सगे संबंधियों में बांटने तथा औषधि के रूप में करते हैं. इस चावल को वे अपने घर में रखते हैं.

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उनकी मान्यता है कि इससे घर में धन-धान्य बना रहता है. वहीं रात 11 बजे अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई गई. आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए आदिवासी समाज के लोगो ने "धी.. धी.." की आवाज करते हुए अन्नकूट के चावल को लूटा. इस आयोजन में आसपास के ग्रामीण अंचलों से आए आदिवासियों ने भाग लिया और परंपरा को अनवरत जारी रखा. इस परंपरा को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला.

Intro:छप्पन भोग के साथ डेढ़ सौ क्विंटल पके हुए चावल का लगाया जाता है भोग ।
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नाथद्वारा, राजसमन्द ।
पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ श्री नाथद्वारा मंदिर में आज अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया गया अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी, लालन को छप्पन भोग का भोग धराया गया वही रात्रि 11:00 बजे अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई गई ।
आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों से आये आदिवासी समुदाय के लोगो ने "धी.. धी.." की आवाज करते हुए अन्नकूट के चावल को लूटा ।
वर्षों से अन्नकूट महोत्सव के दिन आसपास के ग्रामीण अंचलों से आदिवासी श्रीनाथजी मंदिर आते हैं वहां श्रीनाथजी के सन्मुख रखें छप्पन भोग को लूट कर ले जाते हैं श्रीनाथजी के सामने पके हुए चावल का भोग लगाया जाता है इस चावल व अन्य भोग सामग्रियों को आदिवासी समुदाय के लोग लूट कर ले जाते हैं करीब साढे तीन सौ सालों से यह परंपरा निभाई जा रही है यह आदिवासी लोग इस चावल का उपयोग अपने सगे संबंधियों में बांटने तथा औषधि के रूप में करते हैं इस चावल को वे अपने घर में रखते हैं उनकी मान्यता है कि इससे घर में धन-धान्य बना रहता है । रात्रि करीब 11:00 बजे अन्नकूट लूटते हुए आयोजन में आसपास के ग्रामीण अंचलों से आए आदिवासियों ने भाग लिया व परंपरा को अनवरत जारी रखा ।


बाइट : दर्शनार्थी , नाथद्वारा ।
अन्नकूट लूटने वाले आदिवासी युवक , Conclusion:
Last Updated : Oct 29, 2019, 12:25 PM IST
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