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SPECIAL : लॉकडाउन ने बढ़ाई मार्बल इंडस्ट्री की मुसीबतें, 50 हजार श्रमिक बेरोजगार

राजसमंद की आर्थिक रीढ़ मार्बल उद्योग को ग्रहण लग गया है. मार्बल मंडियों के कारोबार में अब तक कोरोड़ों का घाटा हो गया है. इसके साथ ही यहां काम करने वाले 50 हजार से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं.

कोरोना वायरस का प्रभाव, लॉकडाउन के नुकसान, problem due to lockdown, marble factory of rajsamand
लॉकडाउन के चलते मार्बल मंडियों को करोड़ों का घाटा
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Published : May 3, 2020, 3:48 PM IST

राजसमंद. कोरोना वायरस को लेकर हालांकी राजसमंद की स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले बेहतर मानी गई है. लेकिन लॉकडाउन के चलते राजसमंद का मार्बल व्यवसाय मंदी की चपेट में आ गया है. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा स्थानीय श्रमिकों को भुगतना पड़ रहा है. जो फैक्ट्रियों के बंद होने के साथ ही अपने घरों पर बैठने को मजबूर हैं.

लॉकडाउन के चलते मार्बल मंडियों को करोड़ों का घाटा

क्या कहते हैं आंकड़ें...

  • राजसमंद में मार्बल माइंस करीब 1 हजार से अधिक
  • ग्रेनाइट कटर लगभग 600 से अधिक
  • जिनमें 5000 से अधिक श्रमिक कार्यरत
  • वहीं गैंगसा यूनिट 400 के लगभग
  • करीब 5000 से अधिक श्रमिक करते हैं काम
  • वहीं मिनरल प्लांट 300 से अधिक
  • जिसमें करीब 3000 से भी अधिक श्रमिक कार्यरत

एक अनुमान के अनुसार करीब 50 हजार से अधिक लोग बेरोजगारी की चपेट में आ गए हैं. इनमें प्रवासी श्रमिक भी शामिल है. हालांकि वे अपने-अपने घर चले गए हैं.

कोरोना वायरस का प्रभाव, लॉकडाउन के नुकसान, problem due to lockdown, marble factory of rajsamand
इन व्यवसायियों पर भी पड़ रहा प्रभाव

दुनिया भर में सफेद मार्बल के नाम से विख्यात मार्बल का व्यवसाय लॉकडाउन के कारण पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है. जिसके कारण इस व्यवसाय में काम करने वाले हजारों श्रमिक बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. राजसमंद में विश्व का सर्वाधिक मार्बल खनन होता है. और इसी कारण मार्बल यहां की आजीविका का सबसे बड़ा साधन है. मार्बल उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लाखों लोगों की आजीविका का साधन है.

पहले नोटबंदी ने मारा अब कोरोना का कहर

मार्बल व्यवसायी बताते हैं कि इस व्यवसाय में लगातार गिरावट आ रही है. उन्होंने बताया कि पहले नोटबंदी के बाद से ही राजसमंद मार्बल उद्योग वैसे ही परेशानी से गुजर रहा था. उसके बाद जीएसटी की दरों में बढ़ोतरी के बाद मार्बल की हालत और ज्यादा खराब हो गई. और अब कोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन ने रही सही कसर भी पूरी कर दी.

देश दुनिया में राजसमंद का मार्बल व्यवसाय प्रसिद्ध से जाना जाता है. यहां का मार्बल भारत और दुनिया में निर्यात होता है. मगर विगत कुछ समय से राजसमंद मार्बल उद्योग भयंकर मंदी के दौर से गुजर रहा है. अब कोरोना महामारी का दौर में यह पूरा उद्योग चौपट होने के कगार पर पहुंच गया है.

मार्बल की कम हो रही है डिमांड

हमने जब यहां के मार्बल व्यवसायियों से बात की तो उन्होंने बताया कि आने वाले करीब 6 महीने से भी अधिक समय तक फिर से इस व्यवसाय को उभार पाना बड़ी चुनौती भरा होगा. उन्होंने बताया कि पहले से ही टाइल्स उद्योग ने मार्बल को गर्त में पहुंचा दिया है. सिरेमिक टाइल्स के कारण मार्बल को आजकल लोग कम पसंद करने लगे हैं. मार्बल गैंगसा एसोसिएशन अध्यक्ष रवि शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण इस व्यवसाय पर खासा प्रभाव पड़ा है.

कोरोना वायरस का प्रभाव, लॉकडाउन के नुकसान, problem due to lockdown, marble factory of rajsamand
पहले नोटबंदी ने मारा अब कोरोना का कहर

रवि शर्मा के मुताबिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 50 हजार से भी अधिक लोग इसके कारण बेरोजगार हुए हैं. इनमें ज्यादातर प्रवासी श्रमिक शामिल है.

इन व्यवसायियों पर भी पड़ रहा प्रभाव

  • मार्बल व्यवसाय से जुड़े 5 हजार से अधिक बड़े ट्रक ड्रायवर प्रभावित
  • 3 हजार से अधिक छोटे पिकअप वाले उठा रहे नुकसान
  • 10 हजार से भी अधिक श्रमिक बेरोजगार
  • हर दिन 20 से 25 हजार रुपए का घाटा

वहीं ट्रांसपोर्टेशन अध्यक्ष सतेंद्र सेन ने बताया कि जितने भी ट्रक चालक हैं. वे सब इस मार्बल व्यवसाय पर आश्रित है. सरकार से उन्होंने मांग की है कि इस भीषण परिस्थिति में सरकार आगे आकर इन ट्रक चालकों की भी सहायता करनी चाहिए.

राजसमंद. कोरोना वायरस को लेकर हालांकी राजसमंद की स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले बेहतर मानी गई है. लेकिन लॉकडाउन के चलते राजसमंद का मार्बल व्यवसाय मंदी की चपेट में आ गया है. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा स्थानीय श्रमिकों को भुगतना पड़ रहा है. जो फैक्ट्रियों के बंद होने के साथ ही अपने घरों पर बैठने को मजबूर हैं.

लॉकडाउन के चलते मार्बल मंडियों को करोड़ों का घाटा

क्या कहते हैं आंकड़ें...

  • राजसमंद में मार्बल माइंस करीब 1 हजार से अधिक
  • ग्रेनाइट कटर लगभग 600 से अधिक
  • जिनमें 5000 से अधिक श्रमिक कार्यरत
  • वहीं गैंगसा यूनिट 400 के लगभग
  • करीब 5000 से अधिक श्रमिक करते हैं काम
  • वहीं मिनरल प्लांट 300 से अधिक
  • जिसमें करीब 3000 से भी अधिक श्रमिक कार्यरत

एक अनुमान के अनुसार करीब 50 हजार से अधिक लोग बेरोजगारी की चपेट में आ गए हैं. इनमें प्रवासी श्रमिक भी शामिल है. हालांकि वे अपने-अपने घर चले गए हैं.

कोरोना वायरस का प्रभाव, लॉकडाउन के नुकसान, problem due to lockdown, marble factory of rajsamand
इन व्यवसायियों पर भी पड़ रहा प्रभाव

दुनिया भर में सफेद मार्बल के नाम से विख्यात मार्बल का व्यवसाय लॉकडाउन के कारण पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है. जिसके कारण इस व्यवसाय में काम करने वाले हजारों श्रमिक बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. राजसमंद में विश्व का सर्वाधिक मार्बल खनन होता है. और इसी कारण मार्बल यहां की आजीविका का सबसे बड़ा साधन है. मार्बल उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लाखों लोगों की आजीविका का साधन है.

पहले नोटबंदी ने मारा अब कोरोना का कहर

मार्बल व्यवसायी बताते हैं कि इस व्यवसाय में लगातार गिरावट आ रही है. उन्होंने बताया कि पहले नोटबंदी के बाद से ही राजसमंद मार्बल उद्योग वैसे ही परेशानी से गुजर रहा था. उसके बाद जीएसटी की दरों में बढ़ोतरी के बाद मार्बल की हालत और ज्यादा खराब हो गई. और अब कोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन ने रही सही कसर भी पूरी कर दी.

देश दुनिया में राजसमंद का मार्बल व्यवसाय प्रसिद्ध से जाना जाता है. यहां का मार्बल भारत और दुनिया में निर्यात होता है. मगर विगत कुछ समय से राजसमंद मार्बल उद्योग भयंकर मंदी के दौर से गुजर रहा है. अब कोरोना महामारी का दौर में यह पूरा उद्योग चौपट होने के कगार पर पहुंच गया है.

मार्बल की कम हो रही है डिमांड

हमने जब यहां के मार्बल व्यवसायियों से बात की तो उन्होंने बताया कि आने वाले करीब 6 महीने से भी अधिक समय तक फिर से इस व्यवसाय को उभार पाना बड़ी चुनौती भरा होगा. उन्होंने बताया कि पहले से ही टाइल्स उद्योग ने मार्बल को गर्त में पहुंचा दिया है. सिरेमिक टाइल्स के कारण मार्बल को आजकल लोग कम पसंद करने लगे हैं. मार्बल गैंगसा एसोसिएशन अध्यक्ष रवि शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण इस व्यवसाय पर खासा प्रभाव पड़ा है.

कोरोना वायरस का प्रभाव, लॉकडाउन के नुकसान, problem due to lockdown, marble factory of rajsamand
पहले नोटबंदी ने मारा अब कोरोना का कहर

रवि शर्मा के मुताबिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 50 हजार से भी अधिक लोग इसके कारण बेरोजगार हुए हैं. इनमें ज्यादातर प्रवासी श्रमिक शामिल है.

इन व्यवसायियों पर भी पड़ रहा प्रभाव

  • मार्बल व्यवसाय से जुड़े 5 हजार से अधिक बड़े ट्रक ड्रायवर प्रभावित
  • 3 हजार से अधिक छोटे पिकअप वाले उठा रहे नुकसान
  • 10 हजार से भी अधिक श्रमिक बेरोजगार
  • हर दिन 20 से 25 हजार रुपए का घाटा

वहीं ट्रांसपोर्टेशन अध्यक्ष सतेंद्र सेन ने बताया कि जितने भी ट्रक चालक हैं. वे सब इस मार्बल व्यवसाय पर आश्रित है. सरकार से उन्होंने मांग की है कि इस भीषण परिस्थिति में सरकार आगे आकर इन ट्रक चालकों की भी सहायता करनी चाहिए.

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