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राजसमंद नामांकन रद्द प्रकरणः कोर्ट के आदेश के बाद कलेक्टर समेत अधिकारियों की बढ़ी मुश्किलें

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Published : Feb 10, 2021, 4:21 PM IST

जिले में हुए पंचायती राज चुनाव को लेकर जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल समेत कुछ सरकारी अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. जिला परिषद वार्ड नंबर 23 में प्रशासन ने कांग्रेस प्रत्याशी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया था. लेकिन, प्रशासन की ओर से अयोग्य करार दिए जाने पर भाजपा प्रत्याशी ने कानूनी तौर पर न्यायालय में चुनौती दी है.

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राजसमंद नामांकन रद्द प्रकरण...

राजसमंद. जिले में हुए पंचायती राज चुनाव को लेकर जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल समेत कुछ सरकारी अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. जिला परिषद वार्ड नंबर 23 में प्रशासन ने कांग्रेस प्रत्याशी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया था. लेकिन, प्रशासन की ओर से अयोग्य करार दिए जाने पर भाजपा प्रत्याशी ने कानूनी तौर पर न्यायालय में चुनौती दी है.

राजसमंद नामांकन रद्द प्रकरण में कोर्ट के आदेश के बाद कलेक्टर समेत अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ी...

राजसमंद जिले में हुए जिला परिषद चुनाव में वार्ड नंबर 23 से सीता देवी ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया था. प्रशासन ने तीन संतान के नियम के चलते सीता देवी का नामांकन रिजेक्ट कर दिया गया और कांग्रेस प्रत्याशी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया था. इस मामले को लेकर अयोग्य करार दी गई सीता देवी ने भीम न्यायालय की शरण ली. सीता देवी की इस याचिका पर न्यायालय ने भीम थाना पुलिस को जिला परिषद सदस्य वार्ड नंबर 23 तारा देवी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुमित्रा देवी, भीम BDO डॉ. रमेश चंद्र मीणा, भीम ब्लाक कमेटी के अध्यक्ष प्रभु दयाल नागर और जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल के खिलाफ जांच के आदेश दिया है.

पढ़ें: भाजपा प्रत्याशी सीता देवी का नामांकन रद्द करने का मामला... अधिकारियों से लेकर कलेक्टर तक जांच के घेरे में

सीता देवी ने बताया कि गलत दस्तावेज तैयार कर उसका नामांकन रद्द करवा दिया गया. जिसके बाद उसने कोर्ट की शरण ली है और कोर्ट से न्याय की पूरी उम्मीद है. वहीं, सीता देवी के वकील नंदकिशोर चौहान ने न्यायालय को दिया परिवाद में बताया कि मिलीभगत से आंगनबाड़ी के रजिस्टर में सीता देवी के तीसरी संतान होना गलत दर्ज किया गया है. वकील चौहान ने बताया कि रिटर्निंग अधिकारी ने 21 नवंबर 2002 को आंगनबाड़ी रजिस्टर में सीता देवी को गर्भवती बताते हुए एक माह के अंदर जाने 21 दिसंबर तक तीसरी संतान का जन्म होना दर्शाया, जबकि इसी संतान को 2001 के सब रजिस्टर में तीसरी संतान के रूप में अंकित किया गया था. सर्वे रजिस्टर में 2001 के समय उसकी उम्र डेढ़ साल दर्ज की गई थी. कोर्ट में सभी दस्तावेजों का अध्ययन कर संबंधित अधिकारियों को खिलाफ भीम थाना पुलिस को जांच के आदेश दिए हैं.

राजसमंद. जिले में हुए पंचायती राज चुनाव को लेकर जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल समेत कुछ सरकारी अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. जिला परिषद वार्ड नंबर 23 में प्रशासन ने कांग्रेस प्रत्याशी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया था. लेकिन, प्रशासन की ओर से अयोग्य करार दिए जाने पर भाजपा प्रत्याशी ने कानूनी तौर पर न्यायालय में चुनौती दी है.

राजसमंद नामांकन रद्द प्रकरण में कोर्ट के आदेश के बाद कलेक्टर समेत अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ी...

राजसमंद जिले में हुए जिला परिषद चुनाव में वार्ड नंबर 23 से सीता देवी ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया था. प्रशासन ने तीन संतान के नियम के चलते सीता देवी का नामांकन रिजेक्ट कर दिया गया और कांग्रेस प्रत्याशी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया था. इस मामले को लेकर अयोग्य करार दी गई सीता देवी ने भीम न्यायालय की शरण ली. सीता देवी की इस याचिका पर न्यायालय ने भीम थाना पुलिस को जिला परिषद सदस्य वार्ड नंबर 23 तारा देवी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुमित्रा देवी, भीम BDO डॉ. रमेश चंद्र मीणा, भीम ब्लाक कमेटी के अध्यक्ष प्रभु दयाल नागर और जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल के खिलाफ जांच के आदेश दिया है.

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सीता देवी ने बताया कि गलत दस्तावेज तैयार कर उसका नामांकन रद्द करवा दिया गया. जिसके बाद उसने कोर्ट की शरण ली है और कोर्ट से न्याय की पूरी उम्मीद है. वहीं, सीता देवी के वकील नंदकिशोर चौहान ने न्यायालय को दिया परिवाद में बताया कि मिलीभगत से आंगनबाड़ी के रजिस्टर में सीता देवी के तीसरी संतान होना गलत दर्ज किया गया है. वकील चौहान ने बताया कि रिटर्निंग अधिकारी ने 21 नवंबर 2002 को आंगनबाड़ी रजिस्टर में सीता देवी को गर्भवती बताते हुए एक माह के अंदर जाने 21 दिसंबर तक तीसरी संतान का जन्म होना दर्शाया, जबकि इसी संतान को 2001 के सब रजिस्टर में तीसरी संतान के रूप में अंकित किया गया था. सर्वे रजिस्टर में 2001 के समय उसकी उम्र डेढ़ साल दर्ज की गई थी. कोर्ट में सभी दस्तावेजों का अध्ययन कर संबंधित अधिकारियों को खिलाफ भीम थाना पुलिस को जांच के आदेश दिए हैं.

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