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EXCLUSIVE : नाथद्वारा पहुंची राष्ट्रीय रिकॉर्ड होल्डर भावना जाट से ईटीवी भारत की खास बातचीत

नेशनल रिकॉर्ड होल्डर भावना जाट गुरुवार को नाथद्वारा पहुंची. जहां नगर कांग्रेस कमेटी व नगर पालिका पार्षदों की तरफ से भी भावना जाट का स्वागत किया गया. इस दौरान भावना ने ईटीवी भारत से खास बातचीत भी की. देखिए राजसमंद से ये खास रिपोर्ट...

नेशनल रिकॉर्ड होल्डर भावना जाट, राजस्थान न्यूज, ओलंपिक की टिकट ,राजसमंद न्यूज
भावना जाट नाथद्वारा पहुंची
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Published : Feb 20, 2020, 6:23 PM IST

नाथद्वारा (राजसमंद). जिले की बेटी और नेशनल रिकॉर्ड होल्डर भावना जाट गुरुवार को नाथद्वारा पहुंची. जहां नाथद्वारा के युवाओं ने उनका जोरदार स्वागत किया. इसके साथ ही नगर कांग्रेस कमेटी और नगर पालिका पार्षदों की तरफ से भी भावना जाट का स्वागत किया गया. इस दौरान जिला कांग्रेस अध्यक्ष देवकीनंदन गुर्जर, नगर कांग्रेस अध्यक्ष रमेश जैन, पालिका पार्षद गण सहित पालिकाध्यक्ष मनीष राठी अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता तथा युवा मौजूद रहे.

राष्ट्रीय रिकॉर्ड होल्डर भावना जाट से खास बातचीत

बता दें कि स्थानीय न्यू कॉटेज में स्वागत के बाद भावना प्रभु श्रीनाथजी की राजभोग झांकी के दर्शन करने पहुंची. जहां मंदिर मंडल के अधिकारी सुधाकर शास्त्री ने मंदिर परंपरानुसार उपरना ओढ़ाकर और प्रभु श्रीजी का प्रसाद भेंट कर भावना का स्वागत किया. इससे पूर्व न्यू कॉटेज में स्वागत के दौरान नाकोड़ा धाम के रमेश राठौर एंड ग्रुप की ओर से 51000 रुपये की सहायत राशि देने की घोषणा की गई.

पढ़ें- बजट में शिक्षा विभाग को मिली सौगातों से उत्साहित हैं डोटासरा, कहा- मौजूदा बजट मील का पत्थर साबित होगा

प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन के बाद भावना ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि उनका ये सफर किस तरह का रहा. उन्होंने बताया कि उनका बचपन काफी मुश्किलों से भरा हुआ था, खेती किसानी करने वाले उनके पिता रुपयों से इतने सक्षम नहीं थे फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. भावना ने बताया कि उनके शुरुआती दिनों में उनके स्कूल के शारीरिक शिक्षक ने उन्हें सपोर्ट किया. वहीं हिंदुस्तान जिंक से उन्हें जूते खरीदने के पैसे मिले.

भावना ने बताया कि बैंगलोर शाही में सलेक्शन होने के बाद रहना खाना उन्ही की ओर से होता था. रेलवे में नौकरी लगने के बाद वे इंडिपेंडेंट हुई लेकिन फिर भी काफी खर्च होता था. उनके पिता और भाई का उनके सफर में काफी योगदान रहा है.

नौकरी और खेल में सामंजस्य बिठाने के सवाल पर भावना ने बताया कि नौकरी के बाद भी वे अपने लक्ष्य को लेकर साफ थी. उन्होंने अपने खेल पर फोकस बनाये रखा और आज इस मुकाम को हासिल किया. उन्होंने बताया कि अभी तक प्रशासन की ओर से कुछ खास सहायता उन्हें प्राप्त नही हुईं है. उन्होंने अपनी रेलवे की तनख्वाह से ही अपनी प्रेक्टिस जारी रखी हुई थी. साथ ही अब उन्हें सहायता की बहुत दरकार है, क्योंकि अब उनका दो से तीन हजार रुपये प्रतिदिन का खर्च होगा, तब वे ओलंपिक के लिए तैयारी कर पाएंगी.

पढ़ें- शिक्षा का बजट-2020 : शिक्षा को मिले 39 हज़ार 524 करोड़ रुपए, यहां देखें शिक्षा क्षेत्र की प्रमुख घोषणाएं


राजसमंद की अन्य बेटियों के लिए संदेश में उन्होंने कहा कि अभी भी क्षेत्र में सुविधाओं का काफी अभाव है. साथ ही माता-पिता भी बेटियों को उतना प्रोत्साहन नहीं देते हैं, लेकिन वे चाहेंगी की राजसमंद से ओर भी प्रतिभाएं आगे आएं. साथ ही लोगों से भी अपील करते हुए कहा कि अपने क्षेत्र की बेटियों की मदद करें.
उन्होंने बताया कि वे पूरी तरह से आश्वस्त है कि ओलंपिक में भी वे अच्छा प्रदर्शन करेंगी और भारत को मेडल दिलाएंगी.

नाथद्वारा (राजसमंद). जिले की बेटी और नेशनल रिकॉर्ड होल्डर भावना जाट गुरुवार को नाथद्वारा पहुंची. जहां नाथद्वारा के युवाओं ने उनका जोरदार स्वागत किया. इसके साथ ही नगर कांग्रेस कमेटी और नगर पालिका पार्षदों की तरफ से भी भावना जाट का स्वागत किया गया. इस दौरान जिला कांग्रेस अध्यक्ष देवकीनंदन गुर्जर, नगर कांग्रेस अध्यक्ष रमेश जैन, पालिका पार्षद गण सहित पालिकाध्यक्ष मनीष राठी अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता तथा युवा मौजूद रहे.

राष्ट्रीय रिकॉर्ड होल्डर भावना जाट से खास बातचीत

बता दें कि स्थानीय न्यू कॉटेज में स्वागत के बाद भावना प्रभु श्रीनाथजी की राजभोग झांकी के दर्शन करने पहुंची. जहां मंदिर मंडल के अधिकारी सुधाकर शास्त्री ने मंदिर परंपरानुसार उपरना ओढ़ाकर और प्रभु श्रीजी का प्रसाद भेंट कर भावना का स्वागत किया. इससे पूर्व न्यू कॉटेज में स्वागत के दौरान नाकोड़ा धाम के रमेश राठौर एंड ग्रुप की ओर से 51000 रुपये की सहायत राशि देने की घोषणा की गई.

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प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन के बाद भावना ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि उनका ये सफर किस तरह का रहा. उन्होंने बताया कि उनका बचपन काफी मुश्किलों से भरा हुआ था, खेती किसानी करने वाले उनके पिता रुपयों से इतने सक्षम नहीं थे फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. भावना ने बताया कि उनके शुरुआती दिनों में उनके स्कूल के शारीरिक शिक्षक ने उन्हें सपोर्ट किया. वहीं हिंदुस्तान जिंक से उन्हें जूते खरीदने के पैसे मिले.

भावना ने बताया कि बैंगलोर शाही में सलेक्शन होने के बाद रहना खाना उन्ही की ओर से होता था. रेलवे में नौकरी लगने के बाद वे इंडिपेंडेंट हुई लेकिन फिर भी काफी खर्च होता था. उनके पिता और भाई का उनके सफर में काफी योगदान रहा है.

नौकरी और खेल में सामंजस्य बिठाने के सवाल पर भावना ने बताया कि नौकरी के बाद भी वे अपने लक्ष्य को लेकर साफ थी. उन्होंने अपने खेल पर फोकस बनाये रखा और आज इस मुकाम को हासिल किया. उन्होंने बताया कि अभी तक प्रशासन की ओर से कुछ खास सहायता उन्हें प्राप्त नही हुईं है. उन्होंने अपनी रेलवे की तनख्वाह से ही अपनी प्रेक्टिस जारी रखी हुई थी. साथ ही अब उन्हें सहायता की बहुत दरकार है, क्योंकि अब उनका दो से तीन हजार रुपये प्रतिदिन का खर्च होगा, तब वे ओलंपिक के लिए तैयारी कर पाएंगी.

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राजसमंद की अन्य बेटियों के लिए संदेश में उन्होंने कहा कि अभी भी क्षेत्र में सुविधाओं का काफी अभाव है. साथ ही माता-पिता भी बेटियों को उतना प्रोत्साहन नहीं देते हैं, लेकिन वे चाहेंगी की राजसमंद से ओर भी प्रतिभाएं आगे आएं. साथ ही लोगों से भी अपील करते हुए कहा कि अपने क्षेत्र की बेटियों की मदद करें.
उन्होंने बताया कि वे पूरी तरह से आश्वस्त है कि ओलंपिक में भी वे अच्छा प्रदर्शन करेंगी और भारत को मेडल दिलाएंगी.

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