नाथद्वारा (राजसमंद). नगर स्थित पुष्टि मार्गीय वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधानपीठ श्रीनाथजी का दरबार अनूठी परंपराओं से सजा है. दिवाली पर प्रभु श्रीनाथजी को विशेष स्वर्ण के वस्त्रों और आभूषणों से श्रृंगार किया गया. इसके बाद श्रीनाथजी और नवनीत प्रियाजी के साथ कांच की हटड़ी में बिराजे और विशेष भोग लगाया गया. वहीं शाम के समय नाथूवास स्थित गोशाला से मंदिर में आई गोमाता को गोवर्धन पूजा चौक पर प्रभु के सामने रिझाया गया और कान जगाई की रस्म पूरी की गई.
इस दौरान आम दर्शनार्थियों का प्रवेश वर्जित रहा. केवल मंदिर प्रशासन के लोगों ने ही प्रभु के दर्शन किए. आज गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव मनाया जाएगा. गोशाला से पधारी गायों को गोवर्धन पूजा के लिए मंदिर के अंदर लाई जाएंगी, जहां उनका पूजन किया जाएगा और उनके कान में अगले साल जल्दी आने के लिए आग्रह किया जाएगा.
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इसके बाद रात्रि में श्रीनाथजी को अन्नकूट दर्शन से पूर्व छप्पन भोग लगाया जाएगा. वर्षों से ये परंपरा रही है कि श्रीनाथजी के दर्शनों के समय श्रीजी के सामने ही भील आदिवासी समाज के लोग चावल और सारी भोग सामग्री लूट कर ले जाते हैं. वर्षों से चली आ रही परंपरा को इस बार केवल सांकेतिक रूप से मनाया जाएगा. कुछ आदिवासी समुदाय के लोगों को ही मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा और क्रमबद्ध तरीके से लूट के लिए छोड़ जाएगा.