राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का दौर लगातार जारी है. हर गुजरते दिन के साथ कोरोना के मामले दिनों-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद भी राजसमंद के आरके अस्पताल की स्थिति दयनीय दिखाई पड़ रही है. सरकारी अस्पताल की बदहाली का अर्थ है, गरीब को स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम होना राजसमंद जिला अस्पताल की स्थिति कुछ यूं ही कमजोर नजर आ रही है.
भले ही लाख सरकारी दावे हो कि सरकार अपना काम कर रही है. लेकिन जिला अस्पताल की बदहाली की एक बानगी पेश कर रही है. कोरोना के काल में भी आमजन को लेकर फिक्र मंद सूबे की सरकार नहीं. राजसमंद के आरके अस्पताल में पिछले 6 महीनों से सोनोग्राफी की सुविधा बंद पड़ी है. जिला अस्पताल में लंबे समय से कोई स्थाई चिकित्सक नहीं है. ऐसे में हम और आप समझ सकते हैं कि मरीजों को कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. खासकर सोनोग्राफी मशीन का संचालन बंद होने से सबसे ज्यादा परेशानी यहां आने वाले प्रसूताओं को हो रही है.
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आरके अस्पताल में मरीजों को सोनोग्राफी सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम भी आरके के जिला अस्पताल पहुंची सोनोग्राफी मशीन बंद होने के पीछे के कारण जाने तो सामने आया जिला अस्पताल में लंबे समय से डेपुटेशन पर सोनोग्राफी का संचालन जो चिकित्सक कर रहे थे. उन्हें विभाग ने मूल पद पर भेज दिया. अब सोनोग्राफी की सुविधा बंद होने के बाद जिले के मरीजों के लिए समस्याएं खड़े हो रही है. जिसे आम मरीज को और ज्यादा परेशानियों से दिक्कत उठानी पड़ रही है. अस्पताल में कोरोना संक्रमण से पूर्व औसतन 45 सोनोग्राफी रोजाना होती थी. लेकिन सोनोग्राफी का संचालन करने के लिए चिकित्सक ना होने की वजह से सोनोग्राफी के कार्यालय पर ताले लगे हैं.
सोनोग्राफी करने वाला कोई नहीं बचा
वहीं आरके अस्पताल के पीएमओ डॉ. ललित पुरोहित का कहना है कि आरके जिला चिकित्सालय में दिसंबर 2016 में सोनोग्राफी का संचालन करने वाले डॉक्टर सतीश सिंगल पढ़ाई के लिए उदयपुर चले गए थे. जिसके बाद 22 अप्रैल 2017 में यहां उप जिला चिकित्सालय सलूंबर से डॉक्टर सुधीर को डेपुटेशन पर लगाया गया. तब से वही स्थाई रूप से सेवाएं दे रहे थे. लेकिन 1 मई 2020 को विभागीय आदेश आया कि उन्हें डेपुटेशन से बहाल करते हुए मूल पद पर भेजा जाए. जिससे अब यहां सोनोग्राफी करने वाला कोई नहीं बचा.
सोनोग्राफी करने में असुविधा
जिला अस्पताल में सोनोग्राफी की मशीनें हैं, लेकिन मशीन चलाने के लिए डॉक्टर ना होने की वजह से बंद पड़ी है. अब जिस अस्पताल को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तैयार किया गया हो जब वो सुविधाओं की छूत से परेशान हो फिर गरीब अपने इलाज के लिए कहां जाएं. इसका जवाब किसी के पास नहीं है. वहीं डॉक्टर ललित पुरोहित ने कहा कि अधिकारियों को इससे अवगत कराया जा चुका है, लेकिन अभी तक चिकित्सकों के ना मिलने की वजह से सोनोग्राफी करने में असुविधा हो रही है. वहीं ईटीवी भारत से बातचीत में कई मरीजों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि अस्पताल में सोनोग्राफी बंद होने की वजह से बाहर करवाने पर भारी मात्रा में पैसा देना पड़ रहा है. जिससे कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.