देवगढ़ (राजसमंद). जिले देवगढ़ क्षेत्र में खरीफ की फसलों में बहुतायत रूप से बोई जाने वाली मक्का की फसल में इन दिनों फॉल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप दिखाई देने लगा है. कृषि विभाग की ओर से देवगढ़ उपखंड क्षेत्र के किसानों को इस कीट से बचाव को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है. देवगढ़ कृषि विभाग के आलाधिकारी मंगलवार को क्षेत्र की विभिन्न ग्राम पंचायत में जाकर किसानों को इस कीट के प्रकोप से बचाव के उपायों की विस्तार से जानकारी दी गई.
मंगलवार को सहायक कृषि अधिकारी शंकरलाल सहायक कृषि अधिकारी राजेश मेहश्वरी ने देवगढ़ क्षेत्र की लसानी, विजयपुरा, आंजणा, दौलपुरा आदि ग्राम पंचायत का भम्रण कर इसके लिए किसानों को सतर्कता बरतने की चेतावनी दी गई है.
अधिकारी ने बताया कि इस कीट का आस पड़ोस के जिले में काफी प्रकोप चल रहा था. अब अपने क्षेत्र में भी इसका असर दिखाई देने लगा है. किसानों को फॉल आर्मी वर्म कीट की पहचान करना और इसके नियंत्रण करने की जानकारी दी गई. यह कीट वयस्क मादा एक बार में 50 से 200 अंडे पौधे के तने के पत्ते में देती है.
कीट मादा अपने जीवन काल में 10 बार यानी 1200 से 2 हजार तक अंडे दे सकती है. अंडे दो तीन दिन में फूट भी जाते हैं. इस कीट में सुंडी प्रथम अवस्था में हरे रंग की होती है. शिर काले रंग का होता है. ये कीट नवजात पौधे के तने में छेद कर अंदर घुस जाते हैं फिर मक्का के पत्तों में छेद होने लग जाता है. जैसे जैसे कीट बड़ा होता है पौधे के अंदर के भाग को पूरा खोकला कर देता है.
पढ़ें- SPECIAL : स्कूल-कॉलेज बंद, बैग कारोबारियों का धंधा पड़ा मंदा
साथ ही ये कीट पौधे के अंदर के भाग को खाते रहते हैं. जिस स्थान से सुण्डी खाती है बन्ध काकी विष्ट इकट्ठी हो जाती है. जो इस कीट की पहचान का लक्षण है. सुंडियों की संख्या बढ़ने पर मक्का के भुट्टे में भी छेद कर घुस जाती है. जिससे मक्के के उत्पादन में 15 से 75 प्रतिशत तक की गिरावट आ जाती है.
मादा एक रात में 100 से 150 किलोमीटर तक दूरी तय कर अपने संक्रमण को फैला सकती है. यह लट्ट सुबह से शाम तक सक्रिय रहती है. यह बहु फसल कीट लट्ट है जो 50 से ज्यादा फसलों को खराब कर नुकसान पहुंचा सकती है. रासायनिक दवाओं का छिड़काव कर नियंत्रण रखा जा सकता है. कीटनाशी में अमोबेक्टिन बेंजोएट sg 0.4 gm/ltr या स्पिनोशेड 45 ईसी 0.3 ml/ltr या कलोरो फायरिफॉस 20ईसी 2ml/ltr पानी में घोलकर छिड़काव करें. ये सभी दवाइयां कृषि विभाग की ओर से 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध है.