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SPECIAL: आजादी के 73 सालों बाद भी ना बिजली, ना पानी और ना ही सड़क... बेबस ग्रामीणों की सुनिए दास्तां​

आज के युग में बिजली, पानी और सड़क को मूलभूत सुविधा का आधार माना गया है और इसके बिना जीवन अधूरा है. वर्तमान में इन्हीं मूलभूत सुविधाओं के बिना प्रतापगढ़ क्षेत्र का एक गां­व अपना जीवन जी रहा है. देखिए प्रतापगढ़ से ये स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Jun 11, 2020, 8:27 PM IST

Updated : Jun 12, 2020, 4:37 PM IST

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मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा कठेड़ गांव

प्रतापगढ़. वर्तमान में लोग जहां बिजली, पानी, सड़क के बिना अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते. वहीं प्रतापगढ़ जिले का एक गांव आज भी अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए लड़ रह है. जिले के छोटी सादड़ी उपखंड मुख्यालय से महज 22 कि­लोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत पिलिखे­ड़ा के गांव कठेड़ में आज भी लोग बिजली, पानी जैसे सुविधाओं के बिना जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा कठेड़ गांव

बता दें कि इस गांव में लगभग 40 घर हैं. जिनमें 300 से ज्यादा ग्रामीण रहते हैं, जो इस गांव में 35 वर्षों से निवासरत हैं. इनमें से कईयों के तो राशन कार्ड तक भी नहीं बने हैं और ना ही इन्हें मतदान करने का अधि­कार दिया गया है. आजादी के 73 वर्षों के बाद भी यह गांव बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. इस गांव के बच्चों की शिक्षा के लिए एक प्राथमिक वि­द्यालय भी बना हुआ है. जिसमें एक अध्यापक की नियुक्ति भी है. यह अध्यापक प्रतिदिन उपखंड मु­ख्यालय से गांव की कच्ची सड़क पगडंडी मार्ग से आता जाता है. यह मार्ग नगर को गांव से जोड़ने का मुख्य मार्ग है.

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सूर्योदय के बाद खेती के लिए जाता ग्रामीण

गड्ढा खोदकर पा­नी पीने को​ मजबूर

ग्रामवासियों ने बताया कि गांव के लोग आज भी गांव के पास से गुजर रहे नाले के पास गड्ढा खोदकर पा­नी पीने को​ मजबूर हैं. साथ ही पानी एकत्रित कर सहेज कर अन्य कार्यों में उपयोग करते हैं. बिजली की व्यव­स्था नहीं होने के का­रण सूर्यास्त होने से पहले ही सभी अपने घरों में चले जाते हैं और सूर्योदय होने के बाद ही घर से बाहर निकलते हैं.

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कई ग्रामीण आधार कार्ड से वंचित

जंगली जानवरों का बना रहता है खतरा

उन्होंने बताया कि सीता माता वन अभ्यारण जंगल पास होने के कारण कई जं­गली जानवरों का खतरा भी गांव में मंडराता रहता है. ग्रामवासि­यों ने कई बार गांव में बिजली, पानी और सड़क की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जनप्रति­निधि सरपंच सचिव को अवगत करवाया, लेकिन हमेशा कोई ना कोई बहाना बना कर कार्य को टाल­ दिया गया. जबकि गांव से एक किलोमीटर की दू­री पर स्थित गांव मामा देव और रेठा में प्रशासन की ओर से बिजली, पानी और सड़क की सभी सु­विधाएं उपलब्ध हैं.

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गांव की उबड़-खाबड़ सड़क से गुजरता राहगीर

यह भी पढ़ें : SPECIAL: सीकर के किसान कान सिंह का कमाल, ऑर्गेनिक खेती से कर रहे लाखों की कमाई

चुनावों के समय में जहां एक ओर राजनीतिक दलों के नेता हर गांव में बिजली, पानी की सु­विधाएं मुहैया कराने का ढिंढोरा पीटते नजर आते हैं. वहीं दूसरी ओर इस गांव के हालात देखकर यहां के राजनीतिक दलों का जनता के प्रति स्नेह का प्रमाण देखा जा सकता है.

प्रतापगढ़. वर्तमान में लोग जहां बिजली, पानी, सड़क के बिना अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते. वहीं प्रतापगढ़ जिले का एक गांव आज भी अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए लड़ रह है. जिले के छोटी सादड़ी उपखंड मुख्यालय से महज 22 कि­लोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत पिलिखे­ड़ा के गांव कठेड़ में आज भी लोग बिजली, पानी जैसे सुविधाओं के बिना जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा कठेड़ गांव

बता दें कि इस गांव में लगभग 40 घर हैं. जिनमें 300 से ज्यादा ग्रामीण रहते हैं, जो इस गांव में 35 वर्षों से निवासरत हैं. इनमें से कईयों के तो राशन कार्ड तक भी नहीं बने हैं और ना ही इन्हें मतदान करने का अधि­कार दिया गया है. आजादी के 73 वर्षों के बाद भी यह गांव बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. इस गांव के बच्चों की शिक्षा के लिए एक प्राथमिक वि­द्यालय भी बना हुआ है. जिसमें एक अध्यापक की नियुक्ति भी है. यह अध्यापक प्रतिदिन उपखंड मु­ख्यालय से गांव की कच्ची सड़क पगडंडी मार्ग से आता जाता है. यह मार्ग नगर को गांव से जोड़ने का मुख्य मार्ग है.

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सूर्योदय के बाद खेती के लिए जाता ग्रामीण

गड्ढा खोदकर पा­नी पीने को​ मजबूर

ग्रामवासियों ने बताया कि गांव के लोग आज भी गांव के पास से गुजर रहे नाले के पास गड्ढा खोदकर पा­नी पीने को​ मजबूर हैं. साथ ही पानी एकत्रित कर सहेज कर अन्य कार्यों में उपयोग करते हैं. बिजली की व्यव­स्था नहीं होने के का­रण सूर्यास्त होने से पहले ही सभी अपने घरों में चले जाते हैं और सूर्योदय होने के बाद ही घर से बाहर निकलते हैं.

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कई ग्रामीण आधार कार्ड से वंचित

जंगली जानवरों का बना रहता है खतरा

उन्होंने बताया कि सीता माता वन अभ्यारण जंगल पास होने के कारण कई जं­गली जानवरों का खतरा भी गांव में मंडराता रहता है. ग्रामवासि­यों ने कई बार गांव में बिजली, पानी और सड़क की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जनप्रति­निधि सरपंच सचिव को अवगत करवाया, लेकिन हमेशा कोई ना कोई बहाना बना कर कार्य को टाल­ दिया गया. जबकि गांव से एक किलोमीटर की दू­री पर स्थित गांव मामा देव और रेठा में प्रशासन की ओर से बिजली, पानी और सड़क की सभी सु­विधाएं उपलब्ध हैं.

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गांव की उबड़-खाबड़ सड़क से गुजरता राहगीर

यह भी पढ़ें : SPECIAL: सीकर के किसान कान सिंह का कमाल, ऑर्गेनिक खेती से कर रहे लाखों की कमाई

चुनावों के समय में जहां एक ओर राजनीतिक दलों के नेता हर गांव में बिजली, पानी की सु­विधाएं मुहैया कराने का ढिंढोरा पीटते नजर आते हैं. वहीं दूसरी ओर इस गांव के हालात देखकर यहां के राजनीतिक दलों का जनता के प्रति स्नेह का प्रमाण देखा जा सकता है.

Last Updated : Jun 12, 2020, 4:37 PM IST
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