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गौतमेश्वर तीर्थ स्थल पर बदलाव की बयार: आदिवासियों के हरिद्वार कहे जाने वाले गौतमेश्वर में लगा सात दिवसीय मेला - rajasthan hindi news

प्रतापगढ़. दक्षिणी राजस्थान के कांठल, वागड़, मालवा समेत आसपास के इलाकों में आदिवासियों का हरिद्वार कहा जाने वाला जिले के अरनोद उपखंड क्षेत्र में स्थित गौतमेश्वर तीर्थ अति प्राचीन है. गौतमेश्वर तीर्थ में दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. यहां सात दिवसीय मेला गुरुवार से शुरू हुआ (Seven day fair held in Gautameshwar pilgrimage site) है.

Seven day fair held in Gautameshwar pilgrimage site
गौतमेश्वर महादेव मंदिर
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Published : May 14, 2022, 4:27 PM IST

प्रतापगढ़. दक्षिणी राजस्थान के कांठल, वागड़, मालवा समेत आसपास के इलाकों में आदिवासियों का हरिद्वार कहा जाने वाला जिले के अरनोद उपखंड क्षेत्र में स्थित गौतमेश्वर तीर्थ अति प्राचीन है. पूर्णत: प्राकृतिक परिवेश में अवस्थित गौतमेश्वर तीर्थ में दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इसके लिए उन्हें कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता था, लेकिन अब यहां विकास दिखाई देने लगा है. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई विकास कार्य हुए हैं. हालांकि अभी यहां और भी विकास कार्य की दरकार है. इस स्थल को धार्मिक स्थल और पर्यटक स्थल के रूप में उभारने की आवश्यकता है. जिसके लिए राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर गंभीरता से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है.

गौतमेश्वर महादेव में प्रति वर्ष वैशाखी पूर्णिमा पर सात दिवसीय मेला लगता है. गत दो वर्षों से कोराना के कारण मेला नहीं लगा था. अब यहां सात दिवसीय मेला गुरुवार से शुरू हुआ (Seven day fair held in Gautameshwar pilgrimage site) है. मेले का शुभारंभ आनंदपुरी महाराज मठ गौतमेश्वर, व विधायक रामलाल मीणा के कर कमलों द्वारा शुभारंभ हुआ. जिसमें कई राज्यों के श्रद्धालु पहुंचेंगे.

ऋषिकेश मीणा, डीएसपी प्रतापगढ़

पढ़े:सितंबर से शुरू होगी "वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा", जून से कर सकेंगे ऑनलाइन आवेदन

यहां होती है खंडित शिवलिंग की पूजा: गौतमेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग खंडित है. इसकी पूजा-अर्चना की जाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार खंडित शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती है. लेकिन यहां खंडित शिवलिंग की पूजा कई वर्षों से की जा रही है. पहाड़ी से नीचे उतरने पर एक तरफ आदिकाल की गुफाएं भी हैं. इस गुफा में महांकाल के मंदिर के पीछे डेढ़ फीट की ईंटों का गुफाद्वार भी है. इससे प्रतीत होता है कि यह स्थान नाथ योगियों की तपोस्थली रहा है.

पापमोचनी गंगाकुंड में पापमुक्ति प्रमाण पत्र: गौतमेश्वर तीर्थ में कई वर्षों से पापमुक्ति प्रमाण मिलता है. जो गौतमेश्वर अमीनात कचहरी की ओर से जारी किया जाता है. गौतमेश्वर की पूजा-अर्चना कर रहे पुजारियों ने बताया कि जब भी किसी व्यक्ति से जीव हत्या हो जाती है, उसका निवारण यहां पापमोचनी गंगाकुंड में स्नान, गौतमेश्वर की पूजा-अर्चना से होता है. इसके बाद उसे यहां से निर्धारित शुल्क जमा कराने पर पापमुक्ति प्रमाण पत्र भी जारी किया जाता है. इस प्रकार का प्रमाण-पत्र कई वर्षों से जारी किया जा रहा है. बताया जाता है कि यहां गौतम ऋषि को लगे गौहत्या के पाप का निवारण गंगाकुंड में स्नान करने से हुआ था. आज तक यहां जीवों की हत्या का पाप से मुक्ति मिलती है।.गिलहरी, टिटहरी, गो आदि की हत्या होने पर यहां प्रायश्चित कराया जाता है. इस प्रमाण पत्र से जीव हत्या के प्रायश्चित के रूप में विभिन्न समाजों में भी मान्यता दी हुई है.

पढ़े:यमुनोत्री पैदल मार्ग पर दो और तीर्थ यात्रियों की मौत, चारधाम यात्रा पर मरने वालों का आंकड़ा 32 पहुंचा

जलती है अखंड धूणी: यहां मंदिर के पहले ऊपर स्थान पर प्राचीन मठ है. जो पंच दशनाम जुूना दत्त अखाड़ा का है. इसमें अखंड धूणी जलती है. मठ के सामने एक मंदिर भी है. इसी प्रकार मंगलेश्वर महादेव मंदिर के पास ही गोस्वामी आश्रम है. यहां कई वर्षों से अखंड धूणी जल रही है. मंदिर के सामने सूर्य कुंड है. जिसमें पहाड़ों से रिसता पानी भरता है. गौतमेश्वर में शिवजी के साथ अन्य देवी-देवताओं के भी मंदिर है. पापमोचनी गंगाकुंड के पास ही एकलिंग का मंदिर है. कालिका माता का मंदिर भी यहां भैरव घाटी के पास है. जो करीब सात फीट की है. पहाड़ में हनुमानजी का मंदिर है. यहीं सामने सूर्यनारायण का मंदिर भी काफी प्राचीन है. गौतमेश्वर मंदिर के पास ही अन्नपूर्णा माता का मंदिर भी है. वहीं मुख्य मंदिरों के आगे गणेशजी की प्रतिमाएं विराजित है.

शृंग ऋषि की तपोस्थली: गौतमेश्वर महादेव ऋषियों की तपोभूमि और पाप निवारण का प्रमुख स्थल प्रकृति के सामिप्य का स्थल है. गौतमेश्वर महादेव तीर्थ सदियों पुराना है. कहा जाता है कि यह स्थान शृंग ऋषि की तपोस्थली भी रहा है. यहां पापमोचनी गंगाकुड के बाहर बोर्ड लगा हुआ है, जिस पर शृंग बोध से ली गई सूचना अंकित है. इसके तहत इस पर अंकित है कि यह स्थान त्रेता युग में महर्षि शृंग की तपोस्थली रही है. उनके तप से यहां गंगा प्रकट हुई. मान्यता है कि इस पवित्र कुंड में स्नान करने से न्याय शास्त्र के प्रणेता महर्षि गौतम को गो-हत्या के पाप से मुक्ति प्राप्त हुई थी.

पढ़े:चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं के हार्ट पर "अटैक", जानें कैसे बचाई जा सकती है जान

मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से भी आते हैं श्रद्धालु: आदिवासियों के हरिद्वार के नाम से जाने जाने वाले प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटक स्थल गौतमेश्वर महादेव मंदिर में राजस्थान के कई इलाकों से श्रद्धालु आते हैं. वहीं मध्यप्रदेशए गुजरात और महाराष्ट्र के श्रद्धालु भी दर्शन के लिए आते है. पौराणिक मान्यता के चलते इस मंदिर से लोगों का अधिक जुड़ाव है. इसके साथ ही खंडित शिवलिंग की पूजा भी लोगों को अपनी और आकर्षित करती है.

इस वर्ष हुए कई कार्य, निखरा सौन्दर्य: यहां गत वर्ष विधायक रामलाल मीणा के प्रयासों से कई विकास कार्यों की स्वीकृति हुई. ऐसे में यहां कार्य होने से गौतमेश्वर का सौंदर्य निखरने लगा है. प्रधान समरथ मीणा ने बताया कि यहां पर दोनों तरफ की सीढियां बनाई गई है. इसके साथ ही यहां मंदिर के सामने गार्डन बनाया जाएगा. कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष अशोककुमार सुथार ने बताया कि यहां सीसी रोड़, तीन शौचालय भी बनाए जाएंगे. श्मशान का विकास कार्य हुआ है. जबकि अरनोद से गौतमेश्वर का रोड भी टूलेन स्वीकृत किया गया है. गौतमेश्वर से सुहागपुरा और सालमगढ़ रोड भी बनाया जा रहा है.

प्रतापगढ़. दक्षिणी राजस्थान के कांठल, वागड़, मालवा समेत आसपास के इलाकों में आदिवासियों का हरिद्वार कहा जाने वाला जिले के अरनोद उपखंड क्षेत्र में स्थित गौतमेश्वर तीर्थ अति प्राचीन है. पूर्णत: प्राकृतिक परिवेश में अवस्थित गौतमेश्वर तीर्थ में दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इसके लिए उन्हें कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता था, लेकिन अब यहां विकास दिखाई देने लगा है. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई विकास कार्य हुए हैं. हालांकि अभी यहां और भी विकास कार्य की दरकार है. इस स्थल को धार्मिक स्थल और पर्यटक स्थल के रूप में उभारने की आवश्यकता है. जिसके लिए राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर गंभीरता से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है.

गौतमेश्वर महादेव में प्रति वर्ष वैशाखी पूर्णिमा पर सात दिवसीय मेला लगता है. गत दो वर्षों से कोराना के कारण मेला नहीं लगा था. अब यहां सात दिवसीय मेला गुरुवार से शुरू हुआ (Seven day fair held in Gautameshwar pilgrimage site) है. मेले का शुभारंभ आनंदपुरी महाराज मठ गौतमेश्वर, व विधायक रामलाल मीणा के कर कमलों द्वारा शुभारंभ हुआ. जिसमें कई राज्यों के श्रद्धालु पहुंचेंगे.

ऋषिकेश मीणा, डीएसपी प्रतापगढ़

पढ़े:सितंबर से शुरू होगी "वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा", जून से कर सकेंगे ऑनलाइन आवेदन

यहां होती है खंडित शिवलिंग की पूजा: गौतमेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग खंडित है. इसकी पूजा-अर्चना की जाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार खंडित शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती है. लेकिन यहां खंडित शिवलिंग की पूजा कई वर्षों से की जा रही है. पहाड़ी से नीचे उतरने पर एक तरफ आदिकाल की गुफाएं भी हैं. इस गुफा में महांकाल के मंदिर के पीछे डेढ़ फीट की ईंटों का गुफाद्वार भी है. इससे प्रतीत होता है कि यह स्थान नाथ योगियों की तपोस्थली रहा है.

पापमोचनी गंगाकुंड में पापमुक्ति प्रमाण पत्र: गौतमेश्वर तीर्थ में कई वर्षों से पापमुक्ति प्रमाण मिलता है. जो गौतमेश्वर अमीनात कचहरी की ओर से जारी किया जाता है. गौतमेश्वर की पूजा-अर्चना कर रहे पुजारियों ने बताया कि जब भी किसी व्यक्ति से जीव हत्या हो जाती है, उसका निवारण यहां पापमोचनी गंगाकुंड में स्नान, गौतमेश्वर की पूजा-अर्चना से होता है. इसके बाद उसे यहां से निर्धारित शुल्क जमा कराने पर पापमुक्ति प्रमाण पत्र भी जारी किया जाता है. इस प्रकार का प्रमाण-पत्र कई वर्षों से जारी किया जा रहा है. बताया जाता है कि यहां गौतम ऋषि को लगे गौहत्या के पाप का निवारण गंगाकुंड में स्नान करने से हुआ था. आज तक यहां जीवों की हत्या का पाप से मुक्ति मिलती है।.गिलहरी, टिटहरी, गो आदि की हत्या होने पर यहां प्रायश्चित कराया जाता है. इस प्रमाण पत्र से जीव हत्या के प्रायश्चित के रूप में विभिन्न समाजों में भी मान्यता दी हुई है.

पढ़े:यमुनोत्री पैदल मार्ग पर दो और तीर्थ यात्रियों की मौत, चारधाम यात्रा पर मरने वालों का आंकड़ा 32 पहुंचा

जलती है अखंड धूणी: यहां मंदिर के पहले ऊपर स्थान पर प्राचीन मठ है. जो पंच दशनाम जुूना दत्त अखाड़ा का है. इसमें अखंड धूणी जलती है. मठ के सामने एक मंदिर भी है. इसी प्रकार मंगलेश्वर महादेव मंदिर के पास ही गोस्वामी आश्रम है. यहां कई वर्षों से अखंड धूणी जल रही है. मंदिर के सामने सूर्य कुंड है. जिसमें पहाड़ों से रिसता पानी भरता है. गौतमेश्वर में शिवजी के साथ अन्य देवी-देवताओं के भी मंदिर है. पापमोचनी गंगाकुंड के पास ही एकलिंग का मंदिर है. कालिका माता का मंदिर भी यहां भैरव घाटी के पास है. जो करीब सात फीट की है. पहाड़ में हनुमानजी का मंदिर है. यहीं सामने सूर्यनारायण का मंदिर भी काफी प्राचीन है. गौतमेश्वर मंदिर के पास ही अन्नपूर्णा माता का मंदिर भी है. वहीं मुख्य मंदिरों के आगे गणेशजी की प्रतिमाएं विराजित है.

शृंग ऋषि की तपोस्थली: गौतमेश्वर महादेव ऋषियों की तपोभूमि और पाप निवारण का प्रमुख स्थल प्रकृति के सामिप्य का स्थल है. गौतमेश्वर महादेव तीर्थ सदियों पुराना है. कहा जाता है कि यह स्थान शृंग ऋषि की तपोस्थली भी रहा है. यहां पापमोचनी गंगाकुड के बाहर बोर्ड लगा हुआ है, जिस पर शृंग बोध से ली गई सूचना अंकित है. इसके तहत इस पर अंकित है कि यह स्थान त्रेता युग में महर्षि शृंग की तपोस्थली रही है. उनके तप से यहां गंगा प्रकट हुई. मान्यता है कि इस पवित्र कुंड में स्नान करने से न्याय शास्त्र के प्रणेता महर्षि गौतम को गो-हत्या के पाप से मुक्ति प्राप्त हुई थी.

पढ़े:चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं के हार्ट पर "अटैक", जानें कैसे बचाई जा सकती है जान

मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से भी आते हैं श्रद्धालु: आदिवासियों के हरिद्वार के नाम से जाने जाने वाले प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटक स्थल गौतमेश्वर महादेव मंदिर में राजस्थान के कई इलाकों से श्रद्धालु आते हैं. वहीं मध्यप्रदेशए गुजरात और महाराष्ट्र के श्रद्धालु भी दर्शन के लिए आते है. पौराणिक मान्यता के चलते इस मंदिर से लोगों का अधिक जुड़ाव है. इसके साथ ही खंडित शिवलिंग की पूजा भी लोगों को अपनी और आकर्षित करती है.

इस वर्ष हुए कई कार्य, निखरा सौन्दर्य: यहां गत वर्ष विधायक रामलाल मीणा के प्रयासों से कई विकास कार्यों की स्वीकृति हुई. ऐसे में यहां कार्य होने से गौतमेश्वर का सौंदर्य निखरने लगा है. प्रधान समरथ मीणा ने बताया कि यहां पर दोनों तरफ की सीढियां बनाई गई है. इसके साथ ही यहां मंदिर के सामने गार्डन बनाया जाएगा. कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष अशोककुमार सुथार ने बताया कि यहां सीसी रोड़, तीन शौचालय भी बनाए जाएंगे. श्मशान का विकास कार्य हुआ है. जबकि अरनोद से गौतमेश्वर का रोड भी टूलेन स्वीकृत किया गया है. गौतमेश्वर से सुहागपुरा और सालमगढ़ रोड भी बनाया जा रहा है.

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