प्रतापगढ़. जिले में लॉकडाउन के इस दौर में मजदूरों और किसानों को बैंकों में पड़े अपने रुपए को निकलवाने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आसपास के ग्रामीण इलाकों से आने वाले हैं लोग बैंक खुलने के दो घंटे पहले ही पहुंच जाते हैं. लंबे इंतजार के बाद जब पैसे लेने की बारी आती है तो इन्हें कई बार निराशा हाथ लगती है. यह सब हो रहा है बैंकों में नकदी की किल्लत होने के कारण. बैंकों के बाहर इनके बैठने के लिए कोई उचित व्यवस्था भी नहीं की गई है और नहीं यहां पर छाया पानी के कोई इंतजाम किए गए हैं.
शहर के राष्ट्रीय राजमार्ग 113 से सटे बैंक ऑफ इंडिया की शाखा के बाहर सुबह 8:00 बजे से ही आसपास के ग्रामीण इलाकों से आने वाले किसान और मजदूर जुटने लगते हैं. इसी राजमार्ग के किनारे सड़क पर बैठ जाते हैं. बैंक की ओर से अपने ग्राहकों के लिए सुविधाओं के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं. राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही लगातार बनी रहती है ऐसे में सड़क किनारे बैठे किसान और मजदूरों के साथ कभी भी अनहोनी हो सकती है.
पढ़ेंः पॉलिटिक्स ना करें, अपने लोगों को बुलाने के लिए लिखित में स्वीकृति दें सीएम गहलोत: गुजरात सांसद
किसान सूरजमल ने बताया कि उसने गेहूं बेचकर मिले 70 हजार रूपये के चेक को बैंक में जमा करवाया था. 10 दिन पहले जब वह बैंक में रुपए निकलवाने के लिए आया तो उसे कहा गया कि अभी बैंक में पैसा नहीं है. दोबारा वह 10 दिन बाद बैंक में पहुंचा है. साथ ही बताया कि सुबह जल्द ही अपने घर से निकलना पड़ता है, नहीं तो पुलिस वाले आने नहीं देते है.
इसी तरह 10 किलोमीटर दूर से आए एक और मजदूर हीरालाल ने बताया कि वह 5 दिन पहले बैंक में आया था. दो हजार रुपए निकलवाने थे लेकिन बैंक वालों ने 1000 रूपए देकर दोबारा आने की बात कह दी. बैंक के बाहर मजदूरों और किसानों की लगी लंबी लाइन इनकी मजबूरी को साफ तौर पर बयान करती है.
बता दें कि बैंक खुलने के 2 घंटे पहले से ही यह लोग अपनी बारी का इंतजार करते हुए नजर आ रहे हैं. साथ ही बैंकों में नकदी की किल्लत होने से मजदूरों और किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.