प्रतापगढ़. नगर परिषद की ओर से बुधवार को वार्ड-2 बगवास में 'प्रशासन शहरों के संग' शिविर का आयोजित किया (Organizing a camp with the administration cities) गया. शिविर आयोजित करने के नाम पर पूरी तरह लीपापोती की गई. शिविर में न तो पूरे अधिकारी आए और न ही शहरवासी आए. यहां तक कि नगर परिषद में बुधवार के दिन आयुक्त का पदभार किसी अधिकारी के पास नहीं था. कार्यवाहक आयुक्त का काम देख रहे सहायक नगर नियोजक रमेश परिहार के पास भी इसका संशोधित आदेश नहीं आया था.
नगर परिषद ने प्रशासन शहरों के संग अभियान की पूरी झांकी सजाई. बगवास के सामुदायिक भवन में अन्य कैंपों की तरह अलग-अलग डेस्क बनाई गई. वहां कर्मचारी भी बैठाए गए, लेकिन कर्मचारी काम करने के बजाय मोबाइल चलाने में ज्यादा व्यस्त रहे. क्योंकि उनके पास कोई काम नहीं था. शिविर में आम आदमी की भी मौजूदगी नहीं थी. कर्मचारी काम करने के बजाय टरका रहे थे. सबके पास एक ही जवाब था नगर परिषद में आयुक्त ही नहीं है, साइन कौन करेगा? यह सवाल सही भी था.
एक भी पट्टा नहीं बंटा: प्रशासन शहरों के संग शिविर आयोजित करने के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य शहरों में लोगों को उनकी संपत्ति के पट्टे देना था. लेकिन इस शिविर में एक भी पट्टा नहीं दिया गया. क्योंकि पट्टों पर आयुक्त के हस्ताक्षर होते हैं. लेकिन नगर परिषद में लंबे समय से आयुक्त का पद रिक्त है.
पहले ही पता था कुछ नहीं होगा: स्थानीय पार्षद मनीष गुर्जर का कहना था कि यह शिविर मात्र खानापूूर्ति के लिए लगाया गया था. जब परिषद में आयुक्त का पद खाली चल रहा है तो काम कैसे होंगे? इसलिए मैंने भी वार्ड की जनता को नहीं बुलाया. उन्होंने कहा जब पहले से ही पता है कि जनता के कोई काम इस शिविर में नहीं होंगे तो पब्लिक को बुलाकर क्या करें. उन्होंने कहा मकान के पट्टे देना शिविर का मुख्य उद्देश्य है. लेकिन परिषद में पट्टों का वितरण होना तो दूर आवेदनों पर कोई कार्रवाई ही नहीं हो रही. ऐसे में जनता शिविर में आकर भी क्या करेगी.
पन्द्रह दिन के लिए बनाया जा रहा कार्यवाहक आयुक्त: नगर परिषद में गत दो साल से स्थायी आयुक्त नहीं आए हैं. सरकार कार्यवाहक आयुक्त का कार्यभार पन्द्रह-पन्द्रह दिन के लिए देती है. इन दिनों यह कार्यभार सहायक नगर नियोजक रमेश परिहार के पास चल रहा था. लेकिन उनके पन्द्रह दिन भी पूरे हो गए. बुधवार को उनके पास भी इसका कोई चार्ज नहीं आया था. इसी मामले पर सहायक नगर नियोजक रमेश परिहार ने बताया कि बुधवार के दिन आयुक्त का पदभार किसी के पास नहीं है. पट्टे पर आयुक्त के ही दस्तखत होते हैं. लेकिन जब आयुक्त ही नहीं हैं तो पट्टे कैसे बनें. इसके लिए स्थानीय निकाय विभाग को पत्र लिख दिया गया है. आगे की कार्रवाई सरकार ही करेगी.