पाली. पिछले 20 दिनों पहले पाली जिले में जिस प्रकार से मानसून की स्थिति बनी हुई थी, उससे इस बार पाली में पेयजल संकट मंडराता नजर आ रहा था. पाली का सबसे बड़ा पेयजल स्त्रोत जवाई बांध में भी पानी की आवक नहीं हुई थी. उधर, मानसून की बारिश भी औसत से ना के बराबर हुई थी. ऐसे में अचानक से मानसून ने अपनी करवट बदली और पाली के सबसे बड़े पेयजल स्त्रोत जवाई बांध को तेजी से भरना शुरू कर दिया.
अब हालात यह हो चुके हैं कि जवाई बांध 1 साल तक आराम से में पाली जिले को पेयजल उपलब्ध करा सकता है. इतना ही नहीं इससे करीब 50 हजार से ज्यादा किसान भी आसानी से अपने खेतों की सिंचाई कर सकेंगे. जवाई बांध में आए पानी के बाद में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के चेहरे पर खुशी लौट आई है और अभी भी जवाई बांध के सहायक बांध सेई से तेजी से पानी की आवक हो रही है. वहीं अरावली की पहाड़ियों में हो रही बारिश से अभी भी जवाई बांध तेजी से बढ़ता जा रहा है. जवाई बांध अब 48.25 फीट तक पहुंच चुका है.
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बता दें कि पश्चिमी राजस्थान में पेयजल के मामले में जवाई बांध सबसे बड़ा स्रोत है. जवाई बांध में साल भर पाली के हलक तर करने का पानी आ चुका है. अब सेई बांध के पानी की आवक भी तेजी से चल रही है. सेई बांध का पानी पूरा जवाई बांध में आने के बाद जवाई बांध से जुड़े गांव का दायरा और भी बढ़ा दिया जाएगा. फिलहाल, जवाई बांध से पाली के 10 शहर और 563 गांव के हलक तर की जा रही है.
इधर, अब आगामी वर्ष में जवाई बांध से 224 नए गांव को जोड़ा जाएगा. इसके बाद जिले के 1017 गांव में से 786 गांव की हलक जवाई बांध से तर होगी. साथ ही बचे हुए 230 गांव के हलक तर स्थानीय पेयजल स्त्रोतों से की जाएगी. शुक्रवार शाम तक जवाई बांध के स्थिति की बात करें तो उसमें 48.25 फीट पानी आ चुका था. इस पानी की कैपेसिटी 4352 एमसीएफटी है. जवाई बांध के कुल क्षमता की बात करें तो 5500 एमसीएफटी पानी जवाई बांध में आता है.
54 गांवों के 50 हजार किसानों को मिलेगा फायदा
जवाई बांध के पानी से पाली और जालोर जिले की 38,671 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है. इसके लिए जवाई बांध परियोजना की मुख्य नहर बनाई गई है, जिसकी लंबाई 23 किलोमीटर और उसकी 21 वितरिका ओर मायनरो की कुल लंबाई 234 किलोमीटर है. इन सभी के माध्यम से पाली जिले के 33 और जालोर के 24 गांव में स्थित कमांड क्षेत्र भूमि की सिंचाई की जाती है.
अब जवाई बांध से और भी गांव जुड़ेंगे...
बता दें कि जवाई बांध से पाली जिले के 10 शहर और 563 गांव में पेयजल आपूर्ति की जाती है. अब इसका दायरा बढ़ाया जा रहा है. इसके तहत आगामी वर्ष में सुमेरपुर, बाली, देसूरी, रानी, सोजत, रायपुर और जैतारण के 224 नए गांव जवाई बांध पेयजल परियोजना से जुड़ जाएंगे. इन सभी गांव में पेयजल पाइप लाइन बिछाने का काम तेज गति से चल रहा है. साथ ही जवाई बांध का पानी मारवाड़ जंक्शन क्षेत्र में भी पहुंचाने को लेकर कार्य शुरू हो चुका है.
1954 में पूरा हुआ था जवाई का निर्माण
जानकारी के अनुसार जवाई बांध का निर्माण 1946 में शुरू किया गया था. उस समय जोधपुर में पानी की काफी किल्लत पड़ी थी. तत्कालीन पूर्व नरेश महाराज उम्मेद सिंह ने 22 मई 1946 को अरावली से गिरी पहाड़ियों के बीच जवाई बांध का निर्माण कार्य शुरू करवाया था. इस बांध का निर्माण कार्य 1957 में पूरा हुआ था. इसके निर्माण में कुल 2 करोड़ 7 लाख रुपए का खर्चा आया था. इस बांध से 200 किलोमीटर लंबी नहर जोधपुर पहुंचाई गई थी, जो पाली शहर से होकर गुजरती थी. इसी नहर से जोधपुर में पेयजल आपूर्ति की जाती थी.
11 बार खोले जा चुके हैं जवाई के गेट
जवाई बांध के निर्माण को 63 साल हो चुके हैं. इन 63 सालों में जवाई बांध के गेट 11 बार खोले जा चुके हैं. यानी कि जवाई बांध इन 63 सालों में 11 बार पूरी तरह से भरकर छलक चुका है. वहीं 10 बार जवाई में ऐसी भी स्थिति रही है कि पानी 30 फुट से नीचे ही रहा है. जल संसाधन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1973-74, 1983-84, 1990-91, 1992-93, 1993-94, 1994-95, 2006-07, 2007-08, 2016-17 और 2017- 18 में जवाई बांध ओवरफ्लो हुए थे और इसके गेट खोले गए थे.