पाली. लॉकडाउन में सस्ते भाव में बिक रहीं हरी सब्जियों के दाम अचानक आसमान पर पहुंच गए हैं. बारिश और डीजल के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी से माला भाड़ा बढ़ने के कारण सब्जियों के दामों में तेजी से उछाल आया है. भिंडी, नेनुआ, करेला, लौकी सहित अन्य सब्जियों के दाम तीन गुना बढ़ गए हैं. वहीं टमाटर 80 रुपए किलो बिक रहा है.
हरी सब्जी अब गरीब की थाली से दूर होती जा रही है. दिन-ब-दिन सब्जियों के बढ़ते दाम ने गृहिणियों की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. जहां पहले प्याज आंसू निकाल रहा है तो वहीं अब टमाटर और भी लाल हो गया है. पिछले एक हफ्ते से सब्जियों के दामों में इजाफा हो रहा है. अभी प्याज के बढ़ रहे दामों को लेकर किचन के बजट को संभाल भी नहीं पाए थे कि अब सब्जियों के बढ़ रहे भाव ने उनकी जेब ढीली कर दी है. आम घरों में दिन में एक बार इस पर चर्चा जरूर होती है कि आज घर में सब्जी बने या फिर दाल.
हफ्ते में एक से दो बार ही बन रही हरी सब्जी
आसमान छूते हरी सब्जी के भाव के कारण अब आम आदमी अपनी घरेलू सब्जियों का ही उपयोग वाजिब समझ रहा है. पोषण को महत्वता देते हुए जहां लोग दोनों समय अपनी थाली में हरी सब्जी बनाते थे, वह लोग अब सप्ताह में एक या दो दिन ही हरी सब्जी का उपयोग कर रहे हैं.
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पिछले 10 दिनों की बात करें तो पाली में हरी सब्जी के भाव आसमान छूने को आ चुके हैं. जहां 10 दिन पहले तक पाली में टमाटर 10 से 15 रुपए किलोग्राम तक बिक रहा था. वहीं टमाटर अभी बाजार में 70 से 80 रुपए किलो तक बिक रहा है.
विक्रेता से लेकर ग्राहक सभी परेशान
बढ़ती महंगाई को देखते हुए आम आदमी के साथ सब्जी विक्रेता भी खासे परेशान नजर आ रहे हैं. सब्जियां महंगी होती देख लोगों ने सब्जी मंडी और सब्जी की दुकानों से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है. ऐसे में सब्जी विक्रेता सभी ग्राहकों की कमी को महसूस कर आर्थिक संकट को भांप रहे हैं.
बता दें कि पाली में हरी सब्जियां महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश से सबसे ज्यादा आती हैं. यहां से प्रतिदिन हजारों टन हरी सब्जियां पाली की सभी सब्जी मंडियों में उतरती हैं. लेकिन पिछले 2 सप्ताह से विभिन्न क्षेत्रों में हो रही बारिश के चलते वहां सब्जी की फसलों को खासा नुकसान हुआ है. ऐसे में इन सभी प्रदेशों से सब्जी की आवक बहुत कम हो चुकी है.
वहीं पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के कारण भी सब्जी के भाव पर खासा असर देखने को मिल रहा है, क्योंकि जिले में जो सब्जियां बिक रही हैं वे स्थानीय खेतों से काफी कम आती है. इन सब्जियों को बाहर से मंगाया जाता है. ऐसे में जब पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा दिए गए हैं, तो सब्जियों का आयात-निर्यात भी प्रभावित हुआ है.
'क्या है हरी सब्जियों का विकल्प'
हरी सब्जियों से दूर जाता आम आदमी अब एक बार फिर से हरी सब्जियों के भाव उतरने का इंतजार कर रहा है. तब तक यह सभी लोग अपने घरों में बनने वाली राबोडी, पापड़, खींचया और गट्टे सहित सूखी सब्जियों का उपयोग करते नजर आ रहे हैं.
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घर की रसोई को संभालने वाली ग्रहणियों की मानें तो सब्जियों के बढ़ रहे दाम के कारण घर की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ रही है. लॉकडाउन के बाद लोगों में रोजगार का खतरा और आर्थिक संकट पहले से ही गले का फांस बना हुआ है. वहीं अब बढ़ती मंहगाई आम जनता को सता रही है.