पाली. अपने ही पार्टी के पदाधिकारियों की खिलाफत होने के बाद पाली सांसद पीपी चौधरी के टिकिट पर काले बादल मंडराना शुरू हो गए थे. लेकिन, अब यह बादल छंट गए हैं. लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की पहली सूची में पाली सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री पीपी चौधरी के नाम पर भाजपा ने फिर से मुहर लगा दी है.
दरअसल पीपी चौधरी को फिर से टिकट दिए जाने के पीछे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक सर्वे कराया था जिसमें उन्होंने अच्छे अंक हासिल किए. चुनाव से पहले उम्मीदवारी को लेकर जो सर्वे हुआ उसमें खुद के वेतन से संसदीय क्षेत्र की महिलाओं का बीमा, सीएसआर फंड से कई गांवों में सोलर लाइट लगवाना और संदन में अच्छी छवि को देखते हुए चुनाव में उनको भाजपा के योद्धा के रूप में दूसरी बार मौका दिया गया है.
भाजपा के इस गोपनीय सर्वे में ही चौधरी को पाली लोकसभा सीट से उपयुक्त उम्मीदवार माना गया. हालांकि उनकी उम्मीदवारी को लेकर क्षेत्र के प्रमुख जनप्रतिनिधि एवं वरिष्ठ पदाधिकारी लगातार मोर्चा खोले हुए थे. विरोध करने वालों ने प्रदेश प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर से जयपुर में मिलकर खिलाफत की थी. लेकिन पार्टी ने तह तक जाकर ये पाया कि जो विरोध करने वाले हैं वे यां तो खुद दावेदारी जता रहे हैं या फिर दावेदारों के रिश्तेदार हैं और उनके लिए टिकट की मांग कर रहे हैं.
यही वजह है कि सर्वे में रिकॉर्ड अच्छा मिलने के बाद पार्टी ने इन तमाम विरोधी स्वरों को दरकिनार कर दिया. सूत्रों रे मुताबिक कुल 13 नेताओं ने चौधरी के विरोध में हस्ताक्षर किए थे. विरोध का एक ज्ञापन सोशल मीडिया भी पर काफी वायरल हुआ था. जिन जिन लोगों के हस्ताक्षर वायरल हुए थे उनमें से अधिकांश नेताओं ने बाद में विरोध की बात से इनकार कर दिया था.
टिकिट मिलने में अहम भूमिका के मजबूत पक्ष
- केंद्रीय नेतृत्व तक सीधी पकड़.
- महिला बीमा, हर गांव में सौलर लाइट लगाना.
- जिले में खुद की जाती का सबसे बड़ा वोट बैंक होना.
केन्द्रीय मंत्री के कमजोर पक्ष
- खुद की पार्टी में ही बड़े नेताओं का विरोध.
- केंद्र की कमेटियों में संगठन कार्यकर्ताओं को स्थान नहीं दिलाना.
- अधिकांश वक्त दिल्ली रहने से मतदाता में सीधी पकड़ नहीं.