पाली. कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के चलते पाली में लॉकडाउन के 30 दिन बीत चुके है. प्रदेश के 8 जिलों से जुड़ा पाली जिला अभी इस वैश्विक महामारी से काफी सुरक्षित है. इस जिले के सभी रास्तों से लगातार लोगों का प्रवेश हो रहा है और बाहर जाने का भी सिलसिला जारी है. संक्रमण का खतरा भी पूरी तरह से मंडरा रहा है, लेकिन इसके बावजूद लॉकडाउन के इन 30 दिनों में पाली प्रशासन की मुस्तैदी ने पाली को अब भी काफी सुरक्षित कर रखा है.
बता दें, कि प्रदेश सरकार ने भी पाली को ग्रीन जोन में शामिल कर रखा है. हालांकि पाली में अभी तक 2 कोरोना पॉजिटिव मरीज भी सामने आए हैं, लेकिन यह दोनों प्रवासी होने के कारण पाली में इनके संक्रमण का खतरा ना के बराबर रहा. इसके बावजूद भी पाली प्रशासन ने इन 30 दिनों में 198 से ज्यादा कोरोना संदिग्ध मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया. जिनमें से सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई है.
पाली में कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रशासन लॉकडाउन के समय ही पूरी तरह से सतर्क हो गया था. प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोगों को अपने घरों में ही रखना था, लेकिन प्रशासन इस में खासा सफल रहा. इसके लिए प्रशासन की ओर से शहर सहित जिलेभर में उन लोगों को चिन्हित किया गया जो दिहाड़ी मजदूरी करते हैं, जिन एक समय के भोजन जुटाने के लिए भी मजदूरी करनी पड़ती है. इन सभी का आंकड़ा तैयार होने के बाद में पाली में बतौर भामाशाह के रूप में आगे आए कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर प्रशासन ने इन लोगों को घर पर ही सुखी सामग्री के किट देना शुरू कर दिया. ताकि यह लोग अपने घरों से भीड़ बनकर बाहर ना निकले और संक्रमण का खतरा ना रहे. इसके बाद में शासन की ओर से संक्रमण के खतरे को देखते हुए पाली की सब्जी मंडी को भी पूरी तरह से सोशल डिस्टेंस का उदाहरण बनाया गया.
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पाली में सबसे बड़ा खतरा सीमाओं से लगातार आ रहे प्रवासी लोगों का मंडराने लगा. इस पर प्रशासन के सामने कड़ी चुनौती प्रवासी ही बनकर सामने आए, क्योंकि पाली में जो दो पॉजिटिव मरीज मिले वह भी प्रवासी थे. प्रशासन की सबसे ज्यादा टीमें इन प्रवासी को चिन्हित करने में लगाई. पिछले 1 माह में अगर प्रशासन के चिन्हित करने वाले लोगों की बात करें तो पाली में 37 हजार से ज्यादा प्रवासी लोगों को चिन्हित कर उन्हें होम क्वॉरेंटाइन किया गया है और इनकी तीन से चार बार स्क्रीनिंग भी की जा चुकी है. वहीं, पाली में प्रशासन के निर्देशन में कई भामाशाह द्वारा द्वारा कम्युनिटी रसोई भी चलाई जा रही है. रसोई उन लोगों के लिए है जो बेसहारा रूप से सड़कों पर घूमते हैं या अन्य समस्याओं से घिरे हुए हैं.
हालांकि इन सभी के बीच कई लोग ऐसे भी थे जो इस लॉगडाउन में लापरवाही करते नजर आए. उन पर पुलिस का सख्त रवैया रहा. ऐसे में इस लॉकडाउन की पालना करवाने में पुलिस प्रशासन की अहम भूमिका रही. चिकित्सा विभाग की बात करें तो चिकित्सा विभाग ने लोगों के साथ ही जिले भर में स्क्रीनिंग के लिए अपनी मेडिकल टीमें लगा दी. चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का दावा है, कि पाली में अब तक 37 लाख लोगों की स्क्रीनिंग कराई की जा चुकी है. प्रशासन की यह सभी पहल है, कि अब तक पाली कोरोना वायरस कैसे संक्रमण से पूरी तरह से मुक्त है.
पाली के सुरक्षित रहने का कारण...
- रेड जोन में आए जोधपुर अजमेर से जुड़े 60 से ज्यादा रास्तों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है...
- पॉजिटिव मरीज या संदिग्ध मरीज आते ही उस पूरे क्षेत्र में कर्फ्यू...
- जिले के 50,000 से ज्यादा परिवारों को चिन्हित कर उनके घर पर सूखी सामग्री और भोजन के पैकेट लगातार पहुंचाई जा रहे हैं...
- जिले में 4426 बेड के 66 क्वॉरेंटाइन सेंटर खोले गए हैं...
- जिले भर में लोगों की स्क्रीनिंग के लिए 658 मेडिकल टीमों का गठन किया गया है...
- अब तक जिले में 36 लाख 97 हजार उन लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है...
- अब तक 37169 प्रवासियों को चिन्हित कर उन्हें होम कोरनटाइन किया जा चुका है...
- जिले में मेडिकल की 13 रैपिड रिएक्शन टास्क फोर्स का गठन किया गया है...
- जिले में 2 अस्पतालों में 299 रन बनाए गए हैं...
- जिले में अब तक 321000 लोगों को मई तक का राशन उपलब्ध करवा दिया गया है...