पाली. केंद्रीय टेक्सटाइल मंत्रालय ने आईडीपीएस के तहत प्रदेश में जयपुर बाड़मेर के साथ ही पाली में भी टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के लिए जेडएलडी प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. उसमें पाली को छोड़कर अन्य स्थानों पर तो प्रोजेक्ट का काम शुरू हो गया है मगर पाली में अभी तक कागजों में ही प्रोजेक्ट दौड़ रहा है.
शुक्रवार को जयपुर में उद्योग विभाग की बैठक में पाली में जेडएलडी को लेकर साफ तौर पर माना गया कि पाली कंपनी एसपीवी की उदासीनता से केंद्र सरकार को जल्दी प्रोजेक्ट को निरस्त करना पड़ा. इसके प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर सक्रियता नहीं दिखाई गई. अब नए सिरे से प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए संशोधित डीपीआर मांगी गई है.
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उद्योग आयुक्त डॉ कृष्ण कांत पाठक ने प्रदेश में टेक्सटाइल उद्योग के प्रदूषित पानी के ट्रीटमेंट के लिए विकास परियोजना के क्रियान्वयन में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. पाली से बैठक में भाग लेने के लिए सीईटीपी उपाध्यक्ष कमलेश सत्कार पहुंचे थे. उद्योग विभाग की जयपुर में हुई बैठक में उद्योग आयुक्त डॉ कृष्ण कांत पाठक ने कहा कि पाली में टेक्सटाइल उद्योग के समक्ष प्रदूषण की गंभीर चुनौती को देखते हुए संशोधित डीपीआर वापस देनी होगी.
बता दें कि इसके आधार पर प्रदेश सरकार केंद्रीय टेक्सटाइल मंत्रालय के समक्ष प्रभावी पैरवी कर इसे मंजूरी दिलाने का प्रयास करेगा ताकि 75 प्रतिशत अनुदान सरकार से मिल सके. शेष 25 प्रतिशत राशि उद्योग जगत के लोगों को अपने स्तर पर इकठ्ठी करनी होंगी.
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में ही जल्दी प्रोजेक्ट को मंजूरी प्रदान कर दी थी. पाली में एसपीवी के तहत कंपनी बनाई कंपनी के खाते में 7.50 करोड रुपए भी आ गए. सीईटीपी फाउंडेशन ने अपने हिस्से के 15 करोड़ जमा करवाएं. इसके बाद प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ा. एनजीटी के एक आदेश के चक्कर में इस प्रोजेक्ट को भूल ही गए. नतीजा यह रहा कि उक्त राशि अब भी बैंक खाते में ही पड़ी है. केंद्र सरकार पाली में इस प्रोजेक्ट को निरस्त कर चुकी है उद्यमियों को अब एनजीटी की सख्ती के बाद नए सिरे से इस पर काम करना पड़ रहा.