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पाली में प्रदूषण के आंकड़े को कम करने की कवायद तेज, ये है मुख्य उद्देश्य

पाली में कपड़ा इकाइयों से निकलने वाला प्रदूषित पानी लगातार प्रदूषण का कारण बनता जा रहा है. इसके चलते पाली के कपड़ा उद्योग पर बंद होने का संकट मंडराने लगा है. एनजीटी की लगातार सख्ती के चलते कपड़ा उद्योग और यहां के व्यापारी दूसरे शहरों में पलायन करने लगे हैं. ऐसे में पाली में कपड़ा उद्योग को बचाने के लिए पाली प्रशासन व पलूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से कई जतन किए जा रहे हैं.

pollution in pali, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड
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Published : Aug 8, 2019, 8:19 PM IST

पाली. कपड़ा उद्योग को बचाने के लिए पाली प्रशासन व पलूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से कई जतन किए जा रहे हैं. इन सभी का उद्देश्य पाली के प्रदूषण के आंकड़े को कम करना और कपड़ा उद्योग को फिर से संचालित करना है. गुरुवार को प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से पाली के सभी कपड़ा इकाइयों के उद्यमी व फैक्ट्रियों में काम करने वाले कलर मास्टरों के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. इस शिविर में सभी को आगामी दिनों में एनजीटी के आदेश पर लामेला प्लांट लगाने के बारे में बताया गया.

पाली में प्रदूषण कम करने की कवायद

गौरतलब है कि पाली में 600 से ज्यादा कपड़ा इकाई संचालित हो रही है. इन सभी कपड़ा इकाइयों में डाइंग व प्रिंटिंग का काम होता है. इन कपड़ों की धुलाई के बाद में निकलने वाला रंगीन पानी लगातार पाली की बांडी नदी में बहाया जाता है. इस कारण से बांडी नदी पूरी तरह से रंगीन हो चुकी है. वहीं, पानी नदी के रास्ते में आने वाला नेहड़ा बांध पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है.

यह भी पढ़ें : बड़ा खुलासा : देश में सबसे ज्यादा दूषित पानी पी रहे राजस्थान के लोग, आईएमआईएस रिपोर्ट ने खोली पोल

इस कारण से इस बांध व नदी के किनारे बसे किसानों के खेत व कुएं बंजर हो गए. ऐसे में किसानों की स्थिति को देखते हुए एनजीटी ने अपना सख्त रवैया अपनाकर पाली के कपड़ा उद्योग को लामेला प्लांट लगाने के निर्देश दे दिए हैं.

पढ़ें: सीकर में बेटे ने मां को फोन कर कहा 'मैं मर रहा हूं' और कुछ देर बाद उसने काट लिया अपना गला

एनजीटी के आदेश के अनुसार कपड़ा इकाइयां लामेला प्लांट लगाने के बाद ही संचालित हो पाएंगी. तब तक इन कपड़ों से निकलने वाला रंगीन पानी ट्रीट करने के लिए सीईटीपी में डाला जाएगा. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रशिक्षण शिविर का मुख्य उद्देश्य कपड़ा फैक्ट्रियों में काम करने वाले कलर मास्टरों को प्रदूषित पानी को फैक्ट्री में ही ट्रीट करने की जानकारी देना है. इसके साथ ही कपड़ा उद्यमियों को भी लामेला प्लांट लगाने की जानकारी देना था.

पाली. कपड़ा उद्योग को बचाने के लिए पाली प्रशासन व पलूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से कई जतन किए जा रहे हैं. इन सभी का उद्देश्य पाली के प्रदूषण के आंकड़े को कम करना और कपड़ा उद्योग को फिर से संचालित करना है. गुरुवार को प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से पाली के सभी कपड़ा इकाइयों के उद्यमी व फैक्ट्रियों में काम करने वाले कलर मास्टरों के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. इस शिविर में सभी को आगामी दिनों में एनजीटी के आदेश पर लामेला प्लांट लगाने के बारे में बताया गया.

पाली में प्रदूषण कम करने की कवायद

गौरतलब है कि पाली में 600 से ज्यादा कपड़ा इकाई संचालित हो रही है. इन सभी कपड़ा इकाइयों में डाइंग व प्रिंटिंग का काम होता है. इन कपड़ों की धुलाई के बाद में निकलने वाला रंगीन पानी लगातार पाली की बांडी नदी में बहाया जाता है. इस कारण से बांडी नदी पूरी तरह से रंगीन हो चुकी है. वहीं, पानी नदी के रास्ते में आने वाला नेहड़ा बांध पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है.

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इस कारण से इस बांध व नदी के किनारे बसे किसानों के खेत व कुएं बंजर हो गए. ऐसे में किसानों की स्थिति को देखते हुए एनजीटी ने अपना सख्त रवैया अपनाकर पाली के कपड़ा उद्योग को लामेला प्लांट लगाने के निर्देश दे दिए हैं.

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एनजीटी के आदेश के अनुसार कपड़ा इकाइयां लामेला प्लांट लगाने के बाद ही संचालित हो पाएंगी. तब तक इन कपड़ों से निकलने वाला रंगीन पानी ट्रीट करने के लिए सीईटीपी में डाला जाएगा. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रशिक्षण शिविर का मुख्य उद्देश्य कपड़ा फैक्ट्रियों में काम करने वाले कलर मास्टरों को प्रदूषित पानी को फैक्ट्री में ही ट्रीट करने की जानकारी देना है. इसके साथ ही कपड़ा उद्यमियों को भी लामेला प्लांट लगाने की जानकारी देना था.

Intro:समाचार में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आरओ अमित शर्मा की बाईट है।


पाली. पाली में कपड़ा इकाइयों से निकलने वाला प्रदूषित पानी लगातार प्रदूषण का कारण बनता जा रहा है। इसके चलते पाली के कपड़ा उद्योग पर बंद होने का संकट मंडराने लगा है। एनजीटी की लगातार सख्ती के चलते कपड़ा उद्योग और यहां के व्यापारी दूसरे शहरों में पलायन करने लगे हैं। ऐसे में पाली के कपड़ा उद्योग को बचाने के लिए पाली प्रशासन व पोलूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से कहीं जतन किए जा रहे हैं। इन सभी का उद्देश्य पाली के प्रदूषण के आंकड़े को कम करना और कपड़ा उद्योग को फिर से संचालित करना है। गुरुवार को प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से पाली के सभी कपड़ा इकाइयों के उद्यमी व फैक्ट्रियों में काम करने वाले कलर मास्टरों के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में सभी को आगामी दिनों में एनजीटी के आदेश पर लामेला प्लांट लगाने के बारे में बताया गया।


Body:गौरतलब है कि पाली में 600 से ज्यादा कपड़ा इकाई संचालित हो रही है। इन सभी कपड़ा इकाइयों में डाइंग व प्रिंटिंग का काम होता है। इन कपड़ों की धुलाई के बाद में निकलने वाला रंगीन पानी लगातार पाली की बांडी नदी में बहाया जाता है। इस कारण से बांडी नदी पूरी तरह से रंगीन हो चुकी है। वहीं पानी नदी के रास्ते में आने वाला नेहड़ा बांध पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है। इस कारण से इस बांध व नदी के किनारे बसे किसानों के खेत व कुएं बंजर हो गए। ऐसे में किसानों की स्थिति को देखते हुए एनजीटी ने अपना सख्त रवैया अपनाकर पाली के कपड़ा उद्योग को लामाला प्लांट लगाने के निर्देश दे दिए हैं। एनजीटी के आदेश के अनुसार कपडा इकाइय लामेला प्लांट लगाने के बाद ही संचालित हो पाएगी। तब तक इन कपड़ों से निकलने वाला रंगीन पानी ट्रीट करने के लिए सीईटीपी में डाला जाएगा। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने बताया की इस प्रशिक्षण शिविर का मुख्य उद्देश्य कपड़ा फैक्ट्रियों में काम करने वाले कलर मास्टरों को प्रदूषित पानी को फैक्ट्री में ही ट्रीट करने की जानकारी देना है। इसके साथ ही कपड़ा उद्यमियों को भी लामेला प्लांट लगाने की जानकारी देना था।


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