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इलाज के दौरान किसान की मौत, कीटनाशक का छिड़काव करते हुआ था बेहोश

पाली जिले के जैतारण में एक किसान की कीटनाशक छिड़काव के कारण मौत हो गई. किसान छिड़काव करते हुए बेहोश हो गया था, जिसके बाद उसको अजमेर के जवाहरलाल नेहरू राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. जहां किसान ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया.

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Published : Jun 15, 2020, 6:02 PM IST

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कीटनाशक का छिड़काव करते हुए किसान की मौत

जैतारण (पाली). कुड़की गांव में एक किसान की फसलों में कीटनाशक दवा का छिड़काव करते हुए मौत हो गई है. कुड़की का सुरेशदास अपने खेतों में कीटनाशक का छिड़काव कर रहा था. छिड़काव करते हुए सुरेशदास की अचानक से तबीयत खराब हो गई. जिसके बाद वह बेहोश हो गया.

परिजनों ने किसान को ब्यावर के राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय में भर्ती कराया. जहां से डॉक्टरों ने किसान को अजमेर रैफर कर दिया. अजमेर के जवाहरलाल नेहरू राजकीय चिकित्सालय में रविवार को देर रात इलाज के दौरान किसान की मौत हो गई. पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सुपुर्द कर दिया है.

पढ़ें: बूंदी: चंबल नदी में डूबने से बालिका की मौत, दो दिन में दूसरा हादसा

कीटनाशकों का छिड़काव करते हुए किसानों की मौत की खबर आम हो गई है. 2017 में राज्यसभा में जब कृषि राज्य मंत्री से इस संबंध में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पिछले 3 सालों में 5 हजार से अधिक किसानों की मौत फसलों में कीटनाशक का छिड़काव करते हुई है.

समय के साथ फसलों में कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. वर्ष 1950 में पूरे भारत में जहां 2 हजार टन के आसपास कीटनाशक की खपत होती थी. वहीं मौजूदा समय में ये बढ़कर 1 लाख टन के पास पहुंच गई है, जो घातक है.

कीटनाशकों का तय मात्रा से ज्यादा छिड़काव करना सेहत पर बुरा असर ड़ालता है. कीटनाशकों को खरीदते समय भी किसानों को सावधानी बरतनी चाहिए. किसानों को हरे तिकाने के निशान वाले कीटनाशक ही खरीदने चाहिए. लाल और पीले तिकाने वाले कीटनाशकों के उपयोग से सेहत पर बुरा असर पड़ता है. कीटनाशक पर सीआईआर नंबर जरूर चेक करें.

जैतारण (पाली). कुड़की गांव में एक किसान की फसलों में कीटनाशक दवा का छिड़काव करते हुए मौत हो गई है. कुड़की का सुरेशदास अपने खेतों में कीटनाशक का छिड़काव कर रहा था. छिड़काव करते हुए सुरेशदास की अचानक से तबीयत खराब हो गई. जिसके बाद वह बेहोश हो गया.

परिजनों ने किसान को ब्यावर के राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय में भर्ती कराया. जहां से डॉक्टरों ने किसान को अजमेर रैफर कर दिया. अजमेर के जवाहरलाल नेहरू राजकीय चिकित्सालय में रविवार को देर रात इलाज के दौरान किसान की मौत हो गई. पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सुपुर्द कर दिया है.

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कीटनाशकों का छिड़काव करते हुए किसानों की मौत की खबर आम हो गई है. 2017 में राज्यसभा में जब कृषि राज्य मंत्री से इस संबंध में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पिछले 3 सालों में 5 हजार से अधिक किसानों की मौत फसलों में कीटनाशक का छिड़काव करते हुई है.

समय के साथ फसलों में कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. वर्ष 1950 में पूरे भारत में जहां 2 हजार टन के आसपास कीटनाशक की खपत होती थी. वहीं मौजूदा समय में ये बढ़कर 1 लाख टन के पास पहुंच गई है, जो घातक है.

कीटनाशकों का तय मात्रा से ज्यादा छिड़काव करना सेहत पर बुरा असर ड़ालता है. कीटनाशकों को खरीदते समय भी किसानों को सावधानी बरतनी चाहिए. किसानों को हरे तिकाने के निशान वाले कीटनाशक ही खरीदने चाहिए. लाल और पीले तिकाने वाले कीटनाशकों के उपयोग से सेहत पर बुरा असर पड़ता है. कीटनाशक पर सीआईआर नंबर जरूर चेक करें.

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