पाली. कोरोना संक्रमण से पाली जिला अभी भी जूझ रहा है. बाहर से लौट रहे प्रवासी लगातार संक्रमित मरीजों में तब्दील होते जा रहे हैं. इन सभी के बीच कई गांव ऐसे भी हैं, जहां लोगों ने लॉकडाउन के साथ ही ऐसे सुरक्षा इंतजाम किए कि संक्रमण उस गांव को छू भी नहीं पाया.
कोरोना के खिलाफ पाली के सोजत उपखंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर जयपुर हाइवे पर स्थित खोखरा ग्राम पंचायत ने ऐसी जंग लड़ी कि महामारी दूर से ही निकल गई. लॉकडाउन के बाद इस ग्राम पंचायत में 306 प्रवासी महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक से लौट कर आए. इन प्रवासियों के लौटते ही यहां के ग्रामीणों ने अपने गांव में संक्रमण का खतरा महसूस कर लिया था. उसके बाद शुरू हुआ इस गांव को संक्रमित मुक्त रखने का कारवां.
यहां तजुर्बे और जोश की जुगलबंदी ने कमाल कर दिया. बुजुर्गों ने अपने तजुर्बे का इस्तेमाल किया तो वहीं युवाओं ने अपने जोश, जुनून और सक्रियता को दर्शाया. करीब 2 माह तक इस ग्राम पंचायत में युवाओं ने अपनी पूरी भागीदारी निभाई और बुजुर्गों ने उन्हें निर्देशित किया. इसके चलते सोजत उपखंड की एकमात्र खोखरा ग्राम पंचायत पूरी तरह से covid-19 के संक्रमण से मुक्त रही.
ईटीवी भारत ने ग्रामीणों से जाना कि कैसे यहां लोगों ने प्लानिंग कर कोविड-19 को दूर रखा. खोखरा ग्राम पंचायत के बुजुर्गों ने बताया कि कोरोना संक्रमण बीमारी के बारे में उन्होंने काफी सुना था. उन्हें भी चिंता थी कि उनके परिवार के कई युवा दूसरे प्रदेशों में रह रहे हैं. ऐसे में जब लॉकडाउन लगा तो सभी युवा अपने गांव की तरफ रुख करने लगे. बुजुर्गों को पहले ही आभास था कि इन घर लौट रहे युवाओं से गांव में संक्रमण फैल सकता है.
प्लानिंग से किया काम
इसके चलते बुजुर्गों ने गांव में संक्रमण को रोकने के लिए पहले से ही प्लान तैयार किया और अपने घर लौट आए युवाओं को गांव के बाहर ही 14 दिन के लिए रोक दिया गया. इन सभी प्रवासी युवाओं के लिए भोजन भी गांव के युवाओं द्वारा गांव के बाहर ही बनाया गया. 14 दिन का समय पूरा होने के बाद चिकित्सा कर्मचारियों के पूरा स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद ही उन प्रवासी युवाओं को गांव की सीमा में प्रवेश किया गया. यही नतीजा रहा कि बुजुर्गों के निर्देशन में खोखरा में चली यह कार्य प्रणाली काफी सफल रही.
इन 2 माह में खोखरा ग्राम पंचायत में 306 प्रवासी युवा अपने घर आए. लेकिन उसके बाद भी किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं फैला और लॉकडाउन खुल जाने के बाद यह गांव आज भी सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना मुक्त रहने के लिए हर सावधानी को बरतता नजर आ रहा है.
हाइजीन का रखा ख्याल
खोखरा ग्राम पंचायत के युवाओं ने बताया कि कोविड-19 के खतरे को देखते हुए सभी युवाओं ने बुजुर्गों के निर्देशन में गांव को स्वच्छ रखने का निर्णय लिया. इसी के चलते गांव में साफ सफाई की व्यवस्था के साथ ही प्रत्येक 7 दिन में पूरे गांव को सैनिटाइज करने की भी जिम्मेदारी उठाई गई. 2 माह में इन युवाओं ने अपने ही स्तर पर करीब 8 बार ट्रैक्टर से पूरे गांव को हाइपोक्लोराइट से सेनेटाइज किया.
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समाजसेवी कहते हैं कि सैनिटाइज करने के साथ प्रशासन से मिले माल्क भी घर-घर जाकर बांटे, जिससे लोग बाहर निकलने से पहले मास्क का इस्तेमाल करें. वहीं, क्वॉरेंटाइन हुए लोगों को मानसिक रूप से बार- बार प्रेरित किया, जिससे वे लोग बिना परेशान हुए 14 दिन गुजार पाएं.
ग्राम पंचायत को सुरक्षित रखने में युवाओं ने अपनी पूरी भागीदारी निभाई. गांव के सभी युवाओं ने तीन पारी में अलग-अलग टीमें बनाई. इन सभी युवाओं का कार्य गांव में सोशल डिस्टेंस, बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी, साथ ही गांव में बीमार हो रहे लोगों को तुरंत अस्पताल ले जाने की जिम्मेदारी तय की गई. गांव की सीमा पर यह युवा हर समय मौजूद रहते हैं, ताकि बाहर से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का इनके पास रिकॉर्ड रह सके.