पाली. डॉक्टरों के सलाह देने से पहले ही कोरोना संक्रमित मरीज के परिजन रेमडेसिविर इंजेक्शन का इंतजाम करने में जुट जाते हैं. इंजेक्शन के लिए इधर-उधर हाथ पैर मारते नजर आ रहे हैं. अचानक से बढ़े इस संक्रमण और इंजेक्शन की मांग के चलते बाजारों में इसकी कालाबाजारी बढ़ चुकी है.
4800 का यह इंजेक्शन लोगों को 40 से 50 हजार में बेचा जा रहा है. इन सभी के बीच ईटीवी भारत दर्शकों को बताना चाहता है कि इस इंजेक्शन का उपयोग अस्पताल में भर्ती होने वाले सभी मरीजों के लिए आवश्यक नहीं है. विशेषज्ञों ने भी इस बात को पुरजोर से रखा है.
तेज बुखार नहीं उतरने पर
डॉक्टरों ने बताया कि बुखार कोरोना का मुख्य लक्षण है. मरीज को बुखार 100 डिग्री से अधिक हो और उसका तापमान कम होने का नाम नहीं ले रहा हो उस परिस्थिति में इस इंजेक्शन को लगाया जाता है. सामान्य बुखार में मरीजों को सामान्य दवा ही दी जाती है.
फेफड़ों में बढ़ जाए संक्रमण
डॉक्टरों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते शरीर में सबसे पहले फेफड़ों पर ही प्रभाव पड़ता है. वर्तमान परिस्थितियों में कुछ ही दिनों में कोरोना संक्रमण के चलते ही फेफड़े पूरी तरह से खत्म हो रहे हैं. इसकी जानकारी मरीज की सीटी स्कैन करवाने पर मिल रही है. सीटी स्कैन में 25 के आंकड़े को सबसे ज्यादा गंभीर माना गया है. वही 5 से ऊपर पॉइंट आने के बाद शरीर में संक्रमण मान लिया जाता है और सिटी स्कोर के बाद ऑक्सीजन के स्तर को देखते हुए रेमेडीज शिविर इंजेक्शन लगाया जाता.
ऑक्सीजन के स्तर के आधार पर लगता है इंजेक्शन
डॉक्टरों ने बताया कि रेमेडेसिविर लगाने के लिए मरीज के शरीर की ऑक्सीजन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. सामान्य मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 90 से 99 तक आता है. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते यह स्तर काफी नीचे गिर जाता है और मरीज को सांस लेने में दिक्कत आती है. मरीज को ऑक्सीजन दी जाती है. साथ ही शरीर में सुधार नहीं होने और ऑक्सीजन का स्तर नहीं बढ़ने पर उसे रेमेडीज सीनियर इंजेक्ट किया जाता है.