पाली. पुलिस ने अधिवक्ता नारायण सिंह राठौड़ की हत्या के मामले में 24 घंटे में खुलासा कर दिया है. पुलिस के मुताबिक बिलाड़ा के रहने वाले अधिवक्ता की हत्या उनके द्वारा पहने जाने वाले करीब डेढ़ किलो सोने के भूषणों के कारण की गई और इस वारदात को अंजाम देने वाले 3 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं.
पुलिस का कहना है कि इस मामले में जब 3 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो उन्होंने अधिवक्ता की हत्या करना कबूल कर लिया. साथ ही बताया कि वो हर दिन करीब डेढ़ किलो सोने के आभूषण पहनकर कोर्ट जाते थे. इसलिए आरोपियों ने पहले आभूषणों को लूटने के लिए साजिश रची और फिर वारदात को अंजाम दे दिया. आरोपियों ने अधिवक्ता की हत्या कर उनकी कार को आग लगा दी और शव को सोजत के चावंडिया गांव के पास एक कुएं में फेंक दिया.
पुलिस अधीक्षक राहुल कोटोकी ने बताया कि 28 मई को अधिवक्ता नारायण सिंह के बेटे सतपाल सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसके पिता 27 मई की दोपहर अपनी नैनो कार लेकर घर से निकले थे. लेकिन, कुछ समय के बाद वो घर नहीं लौटे. साथ ही ये भी कहा कि इस दौरान उन्होंने अपने पूरे आभूषण पहन रखे थे. इसके बाद बुधवार रात को जैतारण पुलिस को भीलवाड़ा मार्ग पर एक कार में आग लगने की सूचना मिली. पुलिस ने जब इस कार के बारे में जानकारी जुटाई तो गुमशुदा अधिवक्ता नारायण सिंह की कार की पहचान हुई.
पुलिस अधीक्षक के मुताबिक इसके बाद गुरुवार को अधिवक्ता नारायण सिंह का शव सोजत क्षेत्र के चावंडिया गांव की सरहद के पास एक कुएं में मिला.उनके शरीर से सभी सोने के आभूषण गायब दिखे. लूट के मकसद से की गई हत्या को भांपते हुए पुलिस ने संदिग्धों की तलाश शुरू की. मामले में पुलिस ने बिलाड़ा निवासी उमेश सोनी, प्रभु पटेल और अर्जुन देवासी को हिरासत में लेकर पूछताछ की. पूछताछ के दौरान तीनों ने डेढ़ किलो सोना लूटने की फिराक में अधिवक्ता नारायण सिंह की हत्या करना कबूल किया.
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पुलिस अधीक्षक राहुल कोटोकी ने बताया कि अधिवक्ता नारायण सिंह राठौड़ सीरवी क्षेत्र में गोल्डमैन के नाम से पहचान रखते थे. वो अपने शरीर पर करीब डेढ़ किलो सोना पहनकर घूमते थे. उनके इस शौक को देखते हुए लोग उनके साथ सेल्फी लेने के लिए उन्हें शादी- समारोहों और अन्य कार्यक्रमों में बुलाते रहते थे.
पुलिस अधीक्षक के मुताबिक तीन अभियुक्तों में उमेश सोनी अधिवक्ता के पहचान का था. उसी ने अधिवक्ता नारायण सिंह को फोटो खिंचवाने के बहाने सभी आभूषण पहनकर आने के लिए कहा था. अधिवक्ता जब उमेश के पास पहुंचे तो उमेश के साथ अर्जुन देवासी और प्रभु पटेल भी मौजूद थे. सभी अधिवक्ता की नैनो कार में बैठकर बिलाड़ा मार्ग पर निकल गए. कुछ दूर जाने के बाद अधिवक्ता के पीछे की सीट पर बैठे अर्जुन देवासी ने गमछे से अधिवक्ता का गला घोंटकर हत्या कर दी. इसके बाद अधिवक्ता के सभी आभूषण लेकर तीनों ने उनकी कार को आग लगा दी. आग लगाने के दौरान अर्जुन देवासी के भी शरीर के कई हिस्से झुलस गए. इसके बाद तीनों ने अधिवक्ता के शव को चावंडिया के पास एक कुएं में फेंक दिया.