पाली. जिले में पेयजल से जुड़े हालात मुश्किल होते जा रहे है. 6 जुलाई तक अगर मानसून जिले में दस्तक नहीं देता है तो मामला ओर गंभीर हो सकता है. पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े बांध और पाली की जीवन रेखा माने जाने वाला जवाई बांध में मात्र 795.25 एमसीएफटी पानी बचा है. इसमें लगभग 600 एमसीएफटी डेड स्टोरेज निकालने के बाद मात्र 195.25 एमसीएफटी पानी शेष रहता है. वर्तमान में जवाई बांध से प्रतिदिन 7 एमसीएफटी पानी खर्च हो रहा है. इसके हिसाब से जलदाय विभाग 195.25 एमसीएफटी पानी से 27 दिन यानी 15 से 17 जुलाई तक पाली के लोगों की प्यास बुझा सकता है. इसके बाद जलदाय विभाग को जवाई बांध के डेड स्टोरेज पानी का उपयोग करना पड़ सकता है.
10 साल बाद पाली की हलक तर करने के लिए प्रशासन को जोधपुर पाली के बीच पानी की ट्रेन मंगवानी पड़ सकती है. इसको लेकर प्रशासन ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली है. प्रशासन की ओर से जोधपुर डीआरएम को पत्र लिखकर वाटर ट्रेन का स्टीमेट बनाने को कह दिया है. अधिकारी उम्मीद जता रहे है कि समय पर मानसून आने के बाद अगर जवाई बांध में बरसाती पानी की आवक हो जाती है, तो वाटर ट्रेन को पाली तक नहीं मंगवाना पड़ेगा.
गौरतलब है कि पाली में तीन बार पेयजल को लेकर ऐसे हालात पैदा हो चुके हैं. जिसमें पाली के हलक तर करने के लिए जोधपुर से ट्रेन द्वारा पानी मंगवाना पड़ा था. जानकारी के अनुसार जोधपुर से वर्ष 2002 और 2009 में पीने के पानी के लिए ट्रेन से पानी का संचालन किया गया था. वहीं 2016 में भी पेयजल संकट को लेकर प्रशासन ने वाटर ट्रेन का प्रस्ताव रेलवे को भी भेजा था. इस दौरान सरकार ने 7 से 8 करोड रुपए की वित्तीय स्वीकृति भी दी थी.