जयपुर : राजधानी के दो मेडिकल कॉलेजों को बम ब्लास्ट का धमकी मिली है. ई-मेल के जरिए मिले इस धमकी में सब्जेक्ट में मदुरई दरगाह का जिक्र करते हुए आरडीएक्स आत्मघाती विस्फोट करने की बात की गई है और लिखा गया है "हमें हिंदी नहीं चाहिए". यह धमकी भरा ई-मेल दो दिन पहले, यानी 20 फरवरी की सुबह 9 बजकर 23 मिनट पर एसएमएस मेडिकल कॉलेज की मेल आईडी पर भेजा गया है, जिसमें एक और मेडिकल कॉलेज का जिक्र किया गया है.
धमकी मेल में आगे लिखा गया है कि इससे पहले कि ब्लास्ट का IED एक्टिवेशन हो, पूरे स्टाफ को बाहर निकालने का काम करें. मेल में लिखा गया है कि एसएमएस मेडिकल कॉलेज के इस ऑपरेशन को तैयार करने में सिर्फ पांच दिन लगे, लेकिन डेढ़ साल से इसमें हिस्सा लेने वाले स्टूडेंट्स का दिमाग तैयार करने में लगे हैं. इसीलिए इस धमकी को बहुत गंभीरता से लिया जाए.
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पुलिस जांच जारी : एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर दीपक माहेश्वरी ने बताया कि जैसे ही इस धमकी ई-मेल के बारे में पता चला, कॉलेज प्रशासन ने तुरंत जयपुर पुलिस को इसके बारे में सूचित कर दिया. उसके बाद पुलिस अपने स्तर पर अपनी जांच कर रही है. हालांकि, अभी तक पूरा मामला एक फेक ई-मेल का लग रहा है.
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ई-मेल के जरिये मिली धमकी के बाद एसएमएस मेडिकल कॉलेज में एक बार तो हड़कंप मच गया, लेकिन सर्च और पुलिस जांच में कुछ संदिग्ध नहीं मिलने पर राहत की सांस ली गई. जानकारी सामने आने के बाद एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने पुलिस को इसकी सूचना दी. शुरुआती तौर पर पुलिस जांच में अभी तक इस मेल को फेक माना जा रहा है, लेकिन पुलिस एहतियातन इसकी जांच कर रही है और संबंधित एजेंसी को इसके बारे में सूचना दे दी गई है.
धमकी मेल के आखिर में लिखा गया है, "Remote Control Systems (RCS) Galileo was procured by Jaffar Sait IPS and K Radhakrishnan IPS from Italy. So, where is it now?"
पुलिस ने क्या कहा ? : पूरे मामले को लेकर जयपुर डीसीपी ईस्ट तेजस्विनी गौतम का कहना है कि जयपुर पुलिस को शनिवार को ही इस थ्रेट ई-मेल के बारे में सूचित किया गया है, जिसे लेकर पुलिस अपने स्तर पर जांच कर रही है. हालांकि, जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल इस ई-मेल में किया गया है, उसे देखते हुए प्रारंभिक तौर पर इसे फेक माना जा रहा है. बावजूद इसके एहतियातन जयपुर पुलिस इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर रही है.
वहीं, इस पूरे घटनाक्रम में बड़े सवाल यह खड़े होते हैं कि जब 20 फरवरी को यानी 2 दिन पहले एसएमएस मेडिकल कॉलेज को यह थ्रेड ई-मेल मिल गया था तो जयपुर पुलिस के साथ इसको दो दिन बाद यानी शनिवार को क्यों साझा किया गया. ऐसे में इसे एसएमएस मेडिकल कॉलेज की प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही के तौर पर देखा जा रहा है.