नागौर. इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में देश तरक्की कर रहा है. दुनियाभर में बहुमंजिला इमारतों का निर्माण हो रहा है. शहरों में जहां फ्लैट कल्चर बढ़ रहा है तो वहीं गांवों में भी लोग जरूरत के हिसाब से दो या तीन मंजिल के मकान बनवा रहे हैं, लेकिन जिले का एक गांव ऐसा भी है जहां मकान में दूसरी मंजिल का निर्माण कराने का रिवाज ही नहीं है. यहां लोग 500 साल पुरानी परंपरा को निभाते हुए एक मंजिल का मकान ही बनवा रहे हैं.
जिले के पांचला सिद्धा गांव में आज भी गांव में जो नए मकान बन रहे हैं वह अधिकतर एक मंजिल के ही रहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यह गांव की करीब 500 साल पुरानी परंपरा है और आज भी लोग इसका निर्वहन कर रहे हैं. इस अनूठी परंपरा को जानने के लिए हम आपको ले चलते हैं नागौर जिले के पांचला सिद्धा गांव में. गांव की इस अनूठी परंपरा का संबंध पांचला सिद्धा स्थित जसनाथ आसन से है.
दरअसल, संत जसनाथ महाराज के अनुयायी बोयत जी बेनीवाल ने पांचला सिद्धा गांव में जसनाथ आसन की स्थापना की थी. उनके शिष्य दूदाजी महाराज का चमत्कार मारवाड़ के साथ ही मेवाड़ तक में लोग मानते थे. बताया जाता है कि मेवाड़ के महाराणा जगत सिंह ने जसनाथ आसान का पुनर्निर्माण एक गढ़ के रूप में करवाया था और इस महल के भीतर दो मंजिल का एक भवन बनवाया, जिसे दुदोजी का महल कहते हैं.
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उस समय संत दुदोजी के सम्मान में ग्रामीणों ने यह फैसला लिया कि गांव में यह महल ही सबसे ऊंचा रहेगा. इसलिए उस समय गांव में हर घर एक ही मंजिल का बनाने का निर्णय लिया गया. जसनाथ आसन के सम्मान में 500 साल पहले लिए गए अपने बुजुर्गों के इस संकल्प को गांव के लोग आज भी शिद्दत से निभा रहे हैं.
पांचला सिद्धा गांव के डूंगर सिंह बताते हैं कि यह 500 साल पुरानी परंपरा है कि गांव में आज भी कोई दो मंजिल का मकान नहीं बनाता है. उनका कहना है कि संत जसनाथ महाराज के शिष्य यहां तपस्या करते थे और उनका चमत्कार जोधपुर महाराजा के साथ ही उदयपुर के महाराजा भी मानते थे. इस जगह पर 500 साल पहले राजपरिवार द्वारा महल बनाकर संत के प्रति सम्मान प्रकट किया गया था. तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि गांव में कोई भी मकान दो मंजिल का नहीं बनाया जाता है. इस परंपरा का गांव के लोग आज भी सम्मान करते हैं और अपना मकान एक ही मंजिल का बनाते हैं.
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गांव के पुखराज बताते हैं कि वर्तमान में गांव की आबादी करीब 3500 है और करीब 200 मकान हैं और सभी एक मंजिल के ही हैं. यहां तक कि जो लोग अभी नए मकान बनवा रहे हैं, वे भी एक मंजिल का ही मकान बनवा रहे हैं. जबकि ग्रामीण मांगीलाल बिश्नोई का कहना है कि जसनाथ महाराज के आसन के प्रति पांचला सिद्धा के साथ ही आसपास के गांवों के लोगों का भी अटूट विश्वास है. यहां नागौर जिले के 36 कौम के लोग आते हैं. इसके साथ ही न केवल राजस्थान बल्कि प्रदेश के बाहर के लोगों की भी इस स्थान के प्रति गहरी श्रद्धा है. यहां देशभर से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं, वह पूरी भी होती है.
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जसनाथ आसान के महंत सूरजनाथ सिद्ध बताते हैं कि उदयपुर के महाराणा जगत सिंह की किसी समस्या का समाधान जसनाथ आसन में तपस्या करने वाले संत दुदोजी के चमत्कार से हुआ था. तब उन्होंने यहां संत दुदोजी के लिए एक महल बनवाया था, जो उस समय गांव में सबसे ऊंचा था. तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि यह महल ही गांव में सबसे ऊंचा रहेगा. इसलिए लोगों ने यह निर्णय लिया कि वे अपना मकान एक मंजिल का ही बनाएंगे.
उनका यह भी कहना है कि बीते कुछ सालों में जसनाथ आसन के भीतर ही तीन मंजिल की एक इमारत बनाई गई है. इसके साथ ही यहां आने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए बनवाई गई धर्मशाला भी दो मंजिल की बनवाई गई है. महंत सूराजनाथ बताते हैं कि कुछ सालों से वे ग्रामीणों से आह्वान कर रहे हैं कि जसनाथ आसन की जो चमत्कारी शक्ति है, उनसे अनुमति लेकर अपनी जरूरत के अनुसार एक से अधिक मंजिल का भी मकान बना सकते हैं.
हालांकि, गांव में अब जो नए मकान बन रहे हैं, उनमें से कुछ मकानों की छत पर जरूरत के हिसाब से एकाद कमरे बनाए जा रहे हैं. लेकिन अपने मकान की छत पर कमरे बनाने वाले ग्रामीण भी इन कमरों पर पट्टियां या आरसीसी की छत नहीं बनवा रहे हैं. इसके बजाय छत पर बने कमरों में लोहे के टीनशेड ही लगवाए जा रहे हैं. इस तरह पांचला सिद्धा गांव के लोग जसनाथ आसन के संतों के सम्मान में अपने पूर्वजों द्वारा बनाई गई इस परंपरा को आज भी निभा रहे हैं.