नागौर. देशभर में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले नागौर लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस की ज्योति मिर्धा से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल का कड़ा मुकाबला होने जा रहा है. भाजपा ने चुनावी रणनीति के तहत हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से गठबंधन कर बेनीवाल को NDA उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतारा है.
वहीं, इस बार नागौर जिले के चुनाव में युवा मतदाता और पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं पर खास नजर रहेगी. भाजपा आलाकमान ने भाजपा के स्थानीय नेताओं की नागौर जिले में चल रही गुटबाजी को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ गठबंधन करके नागौर की सीट निकालने के लिए इस बार तुरुप का पत्ता फेंका है. अब देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी का यह दांव कांग्रेस की ज्योति मिर्धा के सामने किस हद तक सफल होता है.
इधर, हनुमान बेनीवाल युवाओं के सहारे संसद तक पहुंचने की बात कह कर अपनी जीत का दावा कर रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा भी कहती नजर आ रही हैं कि युवा जिले में विकास चाहते हैं और जिले में साफ-सुथरी राजनीतिक देखना पसंद करते हैं. इस बार 2014 में बेरोजगारों को रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार को चूना था लेकिन रोजगार नहीं मिला इस बार कांग्रेस को वोट करेंगे. बता दें, जाट बाहुल्य नागौर सीट हमेशा चौकानेवाले परिणाम देती है. 1977 में चुनाव के दौरान जब कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था उस वक्त कांग्रेस के नाथूराम मिर्धा ने कांग्रेस को नागौर सीट पर जीत दिलाई थी.
वहीं, नागौर लोकसभा सीट की वर्तमान स्थिति कि बात करें तो इस लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इस सीट पर19 लाख 13 हजार 46 कुल मतदाता हैं. कांग्रेस के 5 विधायक तो भारतीय जनता पार्टी के दो और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के एक विधायक है. अगर पिछली लोकसभा सीट की परिस्थिति की बात करें भारतीय जनता पार्टी के सी आर चौधरी को 4 लाख 14 हजार 791 जबकि, कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को 3 लाख 39 हजार 573 और निर्दलीय हनुमान बेनीवाल को 1लाख 59 हजार 980 वोट मिले थे.