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नागौर: राज्य वृक्ष खेजड़ी को खोखला बना रहा है कीड़ा, हरे-भरे पेड़ बन गए ठूंठ

कृषि प्रधान नागौर जिले में खेजड़ी का पेड़ किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. राज्य वृक्ष का दर्जा प्राप्त इस पेड़ की फलियां और पत्तों से भी किसानों को अच्छी खासी आमदनी हो जाती है. लेकिन, इन पेड़ों में कीड़ा लगने से हरे-भरे पेड़ ठूंठ बन रहे हैं. जो किसानों के लिए चिंता का विषय है.

Kejri in bad condition, खेजड़ी में लगे कीड़े नागौर
खेजड़ी को खोखला बना रहा है कीड़ा
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Published : Jan 15, 2020, 8:17 PM IST

नागौर. राज्य वृक्ष खेजड़ी को थार का कल्प वृक्ष भी कहा जाता है. यह पेड़ किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इसका कारण यह है कि खेतों में लगे खेजड़ी के पेड़ किसानों की रोजमर्रा की जिंदगी में तो काम आते ही हैं.

खेजड़ी को खोखला बना रहा है कीड़ा

इसके साथ ही इस पेड़ की फलियां और पत्तियां बेचने से भी उन्हें अच्छी खासी आमदनी होती है. लेकिन, नागौर जिले में खेजड़ी के कई हरे-भरे पेड़ ठूंठ बनते जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि एक लट या कीड़ा लगने से हरे-भरे खेजड़ी के पेड़ों की यह हालत हो रही है.

खेजड़ी के हरे भरे पेड़ों के ठूंठ में तब्दील होने से किसानों में चिंता बढ़ रही है. क्योंकि, खेती के साथ ही पशुपालन भी किसानों के लिए आमदनी का एक जरिया है और खेजड़ी की पत्तियां कई पालतू पशुओं के लिए पौष्टिक भोजन भी है. पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू ने बताया कि खेजड़ी के पेड़ में लट या कीड़ा लगने से खेजड़ी के हरे-भरे पेड़ सुख रहे हैं. यह समस्या तेजी से बढ़ रही है.

पढ़ें- जोधपुर: पश्चिमी विक्षोभ के चलते मौसम ने ली करवट, तेज हवा के साथ हल्की बारिश

पर्यावरण प्रेमी भांभू का मानना है कि लट की समस्या पहले भी थी. लेकिन, सांप जैसे रेंगने वाले जीव जो पेड़ो के नीचे बने बिल में रहते थे. वे इन कीड़ों को खाकर पेड़ों की इनसे रक्षा करते थे. लेकिन, अब रेंगने वाले जीवों की संख्या लगातार घट रही है. इसके चलते पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों की संख्या बढ़ रही है. उनका कहना है कि किसानों को जागरूक करके ही इस समस्या पर अंकुश लगाया जा सकता है.

नागौर. राज्य वृक्ष खेजड़ी को थार का कल्प वृक्ष भी कहा जाता है. यह पेड़ किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इसका कारण यह है कि खेतों में लगे खेजड़ी के पेड़ किसानों की रोजमर्रा की जिंदगी में तो काम आते ही हैं.

खेजड़ी को खोखला बना रहा है कीड़ा

इसके साथ ही इस पेड़ की फलियां और पत्तियां बेचने से भी उन्हें अच्छी खासी आमदनी होती है. लेकिन, नागौर जिले में खेजड़ी के कई हरे-भरे पेड़ ठूंठ बनते जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि एक लट या कीड़ा लगने से हरे-भरे खेजड़ी के पेड़ों की यह हालत हो रही है.

खेजड़ी के हरे भरे पेड़ों के ठूंठ में तब्दील होने से किसानों में चिंता बढ़ रही है. क्योंकि, खेती के साथ ही पशुपालन भी किसानों के लिए आमदनी का एक जरिया है और खेजड़ी की पत्तियां कई पालतू पशुओं के लिए पौष्टिक भोजन भी है. पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू ने बताया कि खेजड़ी के पेड़ में लट या कीड़ा लगने से खेजड़ी के हरे-भरे पेड़ सुख रहे हैं. यह समस्या तेजी से बढ़ रही है.

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पर्यावरण प्रेमी भांभू का मानना है कि लट की समस्या पहले भी थी. लेकिन, सांप जैसे रेंगने वाले जीव जो पेड़ो के नीचे बने बिल में रहते थे. वे इन कीड़ों को खाकर पेड़ों की इनसे रक्षा करते थे. लेकिन, अब रेंगने वाले जीवों की संख्या लगातार घट रही है. इसके चलते पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों की संख्या बढ़ रही है. उनका कहना है कि किसानों को जागरूक करके ही इस समस्या पर अंकुश लगाया जा सकता है.

Intro:कृषि प्रधान नागौर जिले में खेजड़ी का पेड़ किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। राज्य वृक्ष का दर्जा प्राप्त इस पेड़ की फलियां और पत्तों से भी किसानों को अच्छी खासी आमदनी हो जाती है। लेकिन इन पेड़ों में कीड़ा लगने से हरे-भरे पेड़ ठूंठ बन रहे हैं। जो किसानों के लिए चिंता का विषय है।


Body:नागौर. राज्य वृक्ष खेजड़ी को थार का कल्प वृक्ष भी कहा जाता है। यह पेड़ किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसका कारण यह है कि खेतों में लगे खेजड़ी के पेड़ किसानों की रोजमर्रा की जिंदगी में तो काम आते ही हैं। इसके साथ ही इस पेड़ की फलियां और पत्तियां बेचने से भी उन्हें अच्छी खासी आमदनी होती है। लेकिन नागौर जिले में खेजड़ी के कई हरे-भरे पेड़ ठूंठ बनते जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि एक लट या कीड़ा लगने से हरे-भरे खेजड़ी के पेड़ों की यह हालत हो रही है।
खेजड़ी के हरे भरे पेड़ों के ठूंठ में तब्दील होने से किसानों में चिंता बढ़ रही है। क्योंकि खेती के साथ ही पशुपालन भी किसानों के लिए आमदनी का एक जरिया है और खेजड़ी की पत्तियां कई पालतू पशुओं के लिए पौष्टिक भोजन भी है। पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू ने बताया कि खेजड़ी के पेड़ में लट या कीड़ा लगने से खेजड़ी के हरे-भरे पेड़ सुख रहे हैं। यह समस्या तेजी से बढ़ रही है।


Conclusion:पर्यावरण प्रेमी भांभू का मानना है कि लट की समस्या पहले भी थी। लेकिन सांप जैसे रेंगने वाले जीव जो पेड़ो के नीचे बने बिल में रहते थे। वे इन कीड़ों को खाकर पेड़ों की इनसे रक्षा करते थे। लेकिन अब रेंगने वाले जीवों की संख्या लगातार घट रही है। इसके चलते पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों की संख्या बढ़ रही है। उनका कहना है कि किसानों को जागरूक करके ही इस समस्या पर अंकुश लगाया जा सकता है।
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बाईट- हिम्मताराम भाम्भू, पर्यावरण प्रेमी, नागौर।
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