ETV Bharat / state

विश्व प्रवासी पक्षी दिवस विशेष : प्रवासी पक्षी साइबेरियन सारस ने जमाया नागौर के डीडवाना में डेरा

साइबेरियन सारस पक्षियों का समूह इन दिनों नागौर जिले के डीडवाना में अपना डेरा जमाए हुए है. विशेषज्ञ का कहना है कि हजारों मील का सफर कर यह पक्षी सुदूर साइबेरिया से भारत आता है.

साइबेरियन सारस पक्षियों का समूह डीडवाना में डेरा जमाए हुए
author img

By

Published : May 11, 2019, 11:39 PM IST

नागौर. 'पंछी नदिया पवन के झोंके कोई सरहद ना इन्हें रोके, सरहद इंसानों के लिए है' रिफ्यूजी फिल्म का यह गाना इन साइबेरियन सारस पक्षियों के समूह पर बिल्कुल सटीक लगता है. जो कि इन दिनों नागौर जिले के डीडवाना में अपना डेरा जमाए हुए है. इस प्रवासी पक्षी को राजहंस भी कहते हैं.

नागौर जिले के डीडवाना में हजारों की तादाद में साइबेरियन सारस माइग्रेट करके हर साल डीडवाना आते है. पक्षियों का ये समूह, डीडवाना में कुछ महीनों अपना प्रवास करता है. विशेषज्ञ बताते है कि हजारों मील का सफर कर यह पक्षी सुदूर साइबेरिया से भारत आता है. अपने इस सफर के दौरान हर रात यह पक्षी लगभग 500 किलोमीटर की यात्रा करता है और 50 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से यह अपनी यात्रा करते है. इनका भारत मे आने का समय सर्दी का मौसम है.

साइबेरियन सारस पक्षियों का समूह डीडवाना में डेरा जमाए हुए

इन परिंदों के लिए डीडवाना में अनुकूलताए है. इनका पसंदीदा भोजन यहां मिलता है. पक्षी विशेषज्ञ कहते है कि पहले ये पक्षी सर्दी का मौसम खत्म होते ही चले जाते थे लेकिन इनको अब यहां अनुकूलता मिलने से इन्होंने पिछले कुछ वर्षों से यहां प्रवास करने का समय भी बढ़ाया है. भारत मे आने वाले इन पक्षियों के लिए इनके हेबिटेट क्षेत्र को विकसित करना चाहिए ताकि यह पक्षी यहां लगातार आते रहे.

सांभर झील, नागौर के डीडवाना, फलौदी के खींचन प्रदेश में कई इलाके है जहां ये कुरजां प्रवासी पक्षी बहुतायत से आता है. यहां आने के पीछे कारण है कि यह वेटलैंड क्षेत्र होने के साथ-साथ यहां इनके भोजन के लिए खाने में काम आने वाली स्पाइलोरिना यहां शहर के बाहर भरे पानी मे बहुतायत में मिलती है. जो इनका पसंदीदा भोजन है.

यूएन ने हाल ही में ग्लोबल बायो डायवर्सिटी को लेकर रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट को 400 से ज्यादा विशेषज्ञों ने तैयार किया है. रिपोर्ट के मुताबिक इंसान ने अपने लिए प्रकृति से छेड़छाड़ करने के साथ-साथ पक्षियों के हेबिटेट और इनके रहवास क्षेत्र को नुकसान पंहुचाया है. मानव द्वारा किये जा रहे इस नुकसान की वजह से 10 लाख प्रजातियां आज संकट में आ गई है. जिसे देखते हुए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए ताकि इनकी प्रजातियां बचाई जा सके.

नागौर. 'पंछी नदिया पवन के झोंके कोई सरहद ना इन्हें रोके, सरहद इंसानों के लिए है' रिफ्यूजी फिल्म का यह गाना इन साइबेरियन सारस पक्षियों के समूह पर बिल्कुल सटीक लगता है. जो कि इन दिनों नागौर जिले के डीडवाना में अपना डेरा जमाए हुए है. इस प्रवासी पक्षी को राजहंस भी कहते हैं.

नागौर जिले के डीडवाना में हजारों की तादाद में साइबेरियन सारस माइग्रेट करके हर साल डीडवाना आते है. पक्षियों का ये समूह, डीडवाना में कुछ महीनों अपना प्रवास करता है. विशेषज्ञ बताते है कि हजारों मील का सफर कर यह पक्षी सुदूर साइबेरिया से भारत आता है. अपने इस सफर के दौरान हर रात यह पक्षी लगभग 500 किलोमीटर की यात्रा करता है और 50 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से यह अपनी यात्रा करते है. इनका भारत मे आने का समय सर्दी का मौसम है.

साइबेरियन सारस पक्षियों का समूह डीडवाना में डेरा जमाए हुए

इन परिंदों के लिए डीडवाना में अनुकूलताए है. इनका पसंदीदा भोजन यहां मिलता है. पक्षी विशेषज्ञ कहते है कि पहले ये पक्षी सर्दी का मौसम खत्म होते ही चले जाते थे लेकिन इनको अब यहां अनुकूलता मिलने से इन्होंने पिछले कुछ वर्षों से यहां प्रवास करने का समय भी बढ़ाया है. भारत मे आने वाले इन पक्षियों के लिए इनके हेबिटेट क्षेत्र को विकसित करना चाहिए ताकि यह पक्षी यहां लगातार आते रहे.

सांभर झील, नागौर के डीडवाना, फलौदी के खींचन प्रदेश में कई इलाके है जहां ये कुरजां प्रवासी पक्षी बहुतायत से आता है. यहां आने के पीछे कारण है कि यह वेटलैंड क्षेत्र होने के साथ-साथ यहां इनके भोजन के लिए खाने में काम आने वाली स्पाइलोरिना यहां शहर के बाहर भरे पानी मे बहुतायत में मिलती है. जो इनका पसंदीदा भोजन है.

यूएन ने हाल ही में ग्लोबल बायो डायवर्सिटी को लेकर रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट को 400 से ज्यादा विशेषज्ञों ने तैयार किया है. रिपोर्ट के मुताबिक इंसान ने अपने लिए प्रकृति से छेड़छाड़ करने के साथ-साथ पक्षियों के हेबिटेट और इनके रहवास क्षेत्र को नुकसान पंहुचाया है. मानव द्वारा किये जा रहे इस नुकसान की वजह से 10 लाख प्रजातियां आज संकट में आ गई है. जिसे देखते हुए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए ताकि इनकी प्रजातियां बचाई जा सके.

Intro:Body:

विश्व प्रवासी पक्षी दिवस विशेष : प्रवासी पक्षियों के रहवास हो संरक्षित

special story of birds from nagaur

special story, nagaur, rajasthan, नागौर, राजस्थान



नागौर. 'पंछी नदिया पवन के झोंके कोई सरहद ना इन्हें रोके, सरहद इंसानों के लिए है' रिफ्यूजी फिल्म का यह गाना इन साइबेरियन सारस पक्षियों के समूह पर बिल्कुल सटीक लगता है. जो कि इन दिनों नागौर जिले के डीडवाना में अपना डेरा जमाए हुए है. इस प्रवासी पक्षी को राजहंस भी कहते हैं. 

नागौर जिले के डीडवाना में हजारों की तादाद में साइबेरियन सारस माइग्रेट करके हर साल डीडवाना आते है. पक्षियों का ये समूह, डीडवाना में कुछ महीनों अपना प्रवास करता है. विशेषज्ञ बताते है कि हजारों मील का सफर कर यह पक्षी सुदूर साइबेरिया से भारत आता है. अपने इस सफर के दौरान हर रात यह पक्षी लगभग 500 किलोमीटर की यात्रा करता है और 50 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से यह अपनी यात्रा करते है. इनका भारत मे आने का समय सर्दी का मौसम है. 

इन परिंदों के लिए डीडवाना में अनुकूलताए है. इनका पसंदीदा भोजन यहां मिलता है. पक्षी विशेषज्ञ कहते है कि पहले ये पक्षी सर्दी का मौसम खत्म होते ही चले जाते थे लेकिन इनको अब यहां अनुकूलताएं मिलने से इन्होंने पिछले कुछ वर्षों से यहां प्रवास करने का समय भी बढ़ाया है. भारत मे आने वाले इन पक्षियों के लिए इनके हेबिटेट क्षेत्र को विकसित करना चाहिए ताकि यह पक्षी यहां लगातार आते रहे. 

सांभर झील, नागौर के डीडवाना, फलौदी के खींचन प्रदेश में कई इलाके है जहां ये कुरजां प्रवासी पक्षी बहुतायत से आता है. यहां आने के पीछे कारण है कि यह वेटलैंड क्षेत्र होने के साथ-साथ यहां इनके भोजन के लिए खाने में काम आने वाली स्पाइलोरिना यहां शहर के बाहर भरे पानी मे बहुतायत से मिलती है. जो इनका पसंदीदा भोजन है. 

यूएन ने हाल ही में ग्लोबल बायो डायवर्सिटी को लेकर रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट को 400 से ज्यादा विशेषज्ञों ने तैयार किया है. रिपोर्ट के मुताबिक इंसान ने अपने लिए प्रकृति से छेड़छाड़ करने के साथ-साथ पक्षियों के हेबिटेट और इनके रहवास क्षेत्र को नुकसान पंहुचाया है. मानव द्वारा किये जा रहे इस नुकसान की वजह से 10 लाख प्रजातियां आज संकट में आ गई है. रिपोर्ट को देखते हुए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए ताकि इनकी प्रजातियां बचाई जा सके. 


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.