जयपुर/कुचामनसिटी. 15 अक्टूबर को घट स्थापना के साथ नवरात्रि शुरू हो रही है, जो कि 23 तारीख तक रहेगी. 24 को दशहरा मनेगा. इस बार भी अंग्रेजी तारीखों और तिथियों का तालमेल बना रहेगा, जिससे शक्ति पूजा के लिए पूरे 9 दिन मिलेंगे. रविवार को शक्ति पर्व शुरू होने से देवी का वाहन हाथी रहेगा, जो कि सुख और समृद्धि का संकेत माना जाता है. इस बार घट स्थापना के लिए दिनभर में एक ही शुभ मुहूर्त है, जो कि सुबह 9.27 से शुरू होगा.
क्यों करते हैं कलश स्थापना ? कलश स्थापना का अर्थ है नवरात्रि के वक्त ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का घट यानी कलश में आह्वान करना. शक्ति तत्व के कारण घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है. नवरात्रि के पहले दिन पूजा की शुरुआत दुर्गा पूजा के लिए संकल्प लेकर ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) में कलश स्थापना करके की जाती है.
- नवरात्रि में स्थापित कलश नकारात्मक ऊर्जा खत्म कर देता है. इससे घर में शांति रहती है.
- कलश को सुख और समृद्धि देने वाला माना गया है.
- घर में रखा कलश माहौल भक्तिमय बनाता है. इससे पूजा में एकाग्रता बढ़ती है.
- घर में बीमारियां हों तो नारियल का कलश उसको दूर करने में मदद करता है.
- कलश को भगवान गणेश का रूप भी माना जाता है. इससे कामकाज में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं.
नवरात्रि के व्रत-उपवास में इन बातों का ध्यान रखें : नवरात्रि में वैसे तो 9 दिनों तक बिना अन्न खाए सिर्फ फल खाकर उपवास करने का विधान है, लेकिन इतने कठिन नियम पालन नहीं हो सकते तो दूध और फलों का रस पीकर भी व्रत किया जा सकता है. इतना भी न किया जा सके तो एक वक्त खाना खाकर व्रत कर सकते हैं या पूरे 9 दिनों तक बिना नमक का भोजन करने का भी नियम ले सकते हैं.
नवरात्रि में व्रत-उपवास के दौरान लहसुन, प्याज, तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला और किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए. इन दिनों गुस्सा करने और झूठ बोलने से भी बचना चाहिए. इन नियमों को ध्यान में रखकर व्रत किया जाना चाहिए. बीमार, बच्चे और बूढ़े लोगों को व्रत नहीं करना चाहिए, साथ ही जिन लोगों को देर रात तक जागना पड़ता है या डिस्टर्ब रूटीन वालों को भी व्रत करने से बचना चाहिए.
ऐसे जलाएं अखंड ज्योति : नवरात्रि में नौ दिन तक अखंड ज्योत जलाई जाती है. घी का दीपक देवी के दाहिनी ओर, तेल वाला देवी के बाईं ओर रखना चाहिए. अखंड ज्योत 9 दिनों तक जलती रहनी चाहिए. जब ज्योत में घी डालना हो या बत्ती ठीक करनी हो तो अखंड दीपक की लौ से एक छोटा दीपक जलाकर अलग रख लें. दीपक ठीक करते हुए अखंड ज्योत बुझ भी जाए तो छोटे दीपक की लौ से फिर जलाई जा सकती है. छोटे दीपक की लौ को घी में डुबोकर ही बुझाएं.