नागौर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही दावा करे कि सरकार ने दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर पीड़िता को जल्द न्याय दिलाने के लिए थानाधिकारी से लेकर एसपी तक को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. मगर पुलिस इसको लेकर कितना गंभीर है, इसका एक ताजा उदाहरण नागौर जिले में सामने आया है. बता दें कि यहां एक दिव्यांग महिला से दुष्कर्म और दो बार जानलेवा हमले के बाद भी पुलिस ने रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की, ऐसा पीड़िता का आरोप है.
पीड़िता महिला का कहना है कि उसके पति गांव के एक स्कूल में पढ़ाते थे. उसके संचालक समदन पूनिया ने उसके घर आकर उसके साथ ज्यादती की. पीड़िता ने बताया कि यह बात किसी को बताने पर उसे और उसके पति को जान से मारने की भी धमकी दी. वह लगातार कई दिन तक उसका शोषण करता रहा. उन्होंने बताया कि आरोपी उसका पीछा नहीं छोड़ा और वहां उसे और पति को जान से मरवाने के लिए हमला करवाया. इसी तरह उन पर दूसरी बार भी हमला करवाया गया.
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वहीं, पीड़िता का यह भी आरोप है कि उसने खुनखुना थाने में डाक से रिपोर्ट भेजी तो दर्ज नहीं की गई. बेरी गांव में हुए हमले को लेकर मौलासर थाने में मामला दर्ज करवाने गए तो पुलिसकर्मियों ने 3 बार रिपोर्ट फाड़ दी और बाद में अपने हिसाब से रिपोर्ट लिखवाई. उन्होंने बताया कि पहले दुष्कर्म, फिर मारपीट और बाद में जानलेवा हमला और आग लगाकर जलाने की कोशिश के बाद दिव्यांग दुष्कर्म पीड़िता अपने पति के साथ शुक्रवार को जब सीओ ऑफिस पहुंची तो यहां मीडिया के सामने आपबीती बताते हुए फफककर रो पड़ी.
इधर, इस मामले को लेकर एसपी डॉ विकास पाठक का कहना है कि महिला ने शुक्रवार को ही दुष्कर्म के मामले की रिपोर्ट पेश की है. जिस पर खुनखुना थाने में मामला दर्ज किया जा रहा है. साथ ही पुलिस पर लगे आरोपों के मामले में डीडवाना एएसपी जांच कर रहे हैं.