नागौर. प्रदेश में मानसून आने वाला है और इस दौरान ही जमीनी विवाद में एकाएक बढ़ोतरी देखी जाती है. कई बार जमीनी विवाद बड़ी घटनाओं में तब्दील हो जाते हैं. इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो, इसको लेकर नागौर पुलिस ने एहतियात के तौर पर पहले से ही योजना बनाकर काम शुरू कर दिया है. इसको लेकर नागौर के जिला पुलिस अधीक्षक डॉ. विकास पाठक ने एक नई पहल भी की है.
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नागौर के पुलिस अधीक्षक डॉ. विकास पाठक ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि वर्षा ऋतु के दौरान जमीनी विवाद को लेकर झगड़ा होने के मामलों में बढ़ोतरी हो जाती है. इसके निराकरण के लिए नागौर पुलिस ने जमीनी विवाद संबंधित मामलों को गंभीरता लिया है और रेवेन्यू अधिकारी से समन्वय कर जमीन संबंधित मामलों का निस्तारण किया जा रहा है. इसमें नागौर जिला पुलिस को सफलता भी मिलनी शुरू हो गई है. डॉ. विकास पाठक ने बताया कि हाल में खींवसर उपखंड क्षेत्र में 4 भाइयों के 10 साल से चले आ रहे पुराने जमीनी विवाद को आपसी समझाइश के साथ निपटाया गया है.
नागौर में पिछले कुछ साल में ये बड़े मामले सामने आए
नागौर में बारिश के मौसम दौरान के जमीन के बंटवारे को लेकर झगड़े होते हैं. इस दौरान एफआईआर भी दर्ज हो जाती है. इसे रोकने को लेकर नागौर पुलिस ने राजस्व कार्मिकों के साथ सीएलजी सदस्यों और प्रभावित काश्तकारों के साथ बैठक आयोजित करके आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की शुरुआत की हैं. पहले के बड़े मामलों की बात करें तो साल 2015 में नागौर जिले के मेड़ता उपखंड के डांगावास गांव में जमीनी विवाद को लेकर 5 दलितों की हत्या राजनीतिक मुद्दा बन गया था और इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी.
साल 2016 में नागौर जिले के मकराना थाना इलाके के जूसरी गांव में रसूखदारों ने जमीन विवाद मामले में जीप से कुचलकर दलित युवक की हत्या कर दी थी. साल 2018 में जमीनी विवाद को लेकर मामा-भांजे में हुए विवाद के चलते अजमेरी गेट इलाके में भांजे ने अपने मामा की हत्या कर दी थी. ऐसे में नागौर पुलिस की कोशिश है कि ऐसे मुकदमों में कमी आए और खूनी रिश्तों में दरार की बजाय प्रेम बढ़े.