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नागौर में कैशलेस इलाज से दिल के छेद से पीड़ित बच्चों का रिकॉर्ड ऑपरेशन - नागौर न्यूज

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जन्मजात विकृति से जूझ रहे बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. नागौर में कार्यक्रम के तहत सैंकड़ों बच्चों को कैशलेस ऑपरेशन कर नया जीवनदान दिया गया है. साथ ही नागौर ने कैशलेस इलाज में रिकॉर्ड कायम किया है.

नागौर न्यूज,National Child Health Program
नागौर में कैशलेस इलाज लौटा रहा बच्चों की मुस्कानें
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Published : Mar 19, 2021, 8:15 AM IST

नागौर. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जन्मजात विकृति से जूझ रहे बच्चों के लिए नया सवेरा लेकर आया है. इसके तहत जिन बच्चों में जन्मजात दिल में छेद की बीमारी है, वैसे नागौर में 200 बच्चों का कैशलेस ऑपरेशन कर उन्हें जिंदगी दी गई है.

जिले की आरबीएसके टीम ने जन्मजात दिल में छेद की बीमारी से ग्रसित 200 से अधिक बच्चों का कैशलैस ऑपरेशन करवाने में रिकाॅर्ड सफलता हासिल की है. सही कहें तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाया जा रहा यह कार्यक्रम जन्मजात विकृति वाले बच्चों के लिए लाइफ लाइन साबित हुआ है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. मेहराम महिया ने बताया कि साल 2016 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरूआत से लेकर दिल में छेद की बीमारी से पीड़ित 0 से 18 वर्ष तक की उम्र के 202 नौनिहालों का कैशलैस ऑपरेशन हो चुका है.

यह भी पढ़ें. CM अशोक गहलोत ने प्रदेश को दी कई सौगातें, 1 मई से लागू होगी मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना

कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और आरसीएचओ डाॅ. मुश्ताक अहमद ने बताया कि दिल में छेद के सफल ऑपरेशन के अतिरिक्त कटे तालू, मुड़े पैर सहित विभिन्न तरह की जन्मजात विकृतियों से ग्रसित 0 से 18 साल तक की उम्र के 122 नौनिहालों का भी आरबीएसके के तहत कैशलेस इलाज करवाया जा चुका है और वे अब बिल्कुल स्वस्थ हैं.

वहीं दूसरी ओर आरबीएसके जिला समन्वयक डाॅ. शुभकरण धोलिया ने बताया कि चालू वितीय वर्ष 2020-21 में एक अप्रैल 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक 1 लाख 95 हजार 958 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई है. जिनमें से 11 हजार 140 बच्चों को इस सुविधा के लिए चुना गया है. जिनमें से 8946 बच्चों का कैशलेस उपचार किया जा चुका है.

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जन्मजात विकृति से जूझ रहे बच्चों की मुस्कानें लौटा रहा है. इसी के तहत जिन बच्चों में कटे तालू, मुड़े पैर सहित विभिन्न तरह की जन्मजात विकृतियां थी, उनका ऑपरेशन कर उसे दूर किया गया.

अब नहीं फूलती जतिन की सांसें

जिले की रियांबड़ी तहसील के पादूकलां गांव निवासी सुशील के 6 साल के पुत्र जतिन को जन्मजात दिल में छेद की बीमारी थी. गांव के आंगनबाड़ी पर डॉक्टर ने बच्चों की हेल्थ स्क्रीनिंग की और जिसके बाद जतिन की बीमारी सामने आई. डाॅ. डुकिया ने जतिन का आरबीएसके हेल्थ स्क्रीनिंग कार्ड बनाकर जिला स्तर पर आरसीएचओ कार्यालय को रेफर किया. यहां से जतिन के दिल के छेद का ऑपरेशन जयपुर के एक निजी अस्पताल में करवाने के लिए केस फाइल भेजी गई. इसके बाद इस साल 2021 को चार मार्च के दिन विशेषज्ञ चिकित्सकों ने चार मार्च को जतिन का सफल ऑपरेशन किया. अब जतिन को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है, वह सकुशल अपने घर पर स्वास्थ्य लाभ ले रहा है.

यह भी पढ़ें. विधानसभा: CM गहलोत ने भाजपा पर जमकर किया हमला, कहा- जनता को जवाब हमें देना है, आप क्यों चिंता कर रहे हो

अब साफ बोलती मोनिका और दौड़ लगाती है तानिया

जिले के देहाती क्षेत्र में रहने वाली नन्हीं बालिका मोनिका पुत्री नाथुराम कटे तालू होने के कारण साफ बोल नहीं पाती थी. ठीक इसी तरह तानिया पुत्री मनोज मुड़े हुए पैर होने के कारण ठीक से चल भी नहीं पाती थी. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम इन दोनों बालिकाओं के जीवन में उम्मीद की किरण लेकर आया. इन दोनों बालिकाओं का उच्च चिकित्सा संस्थान में सफल ऑपरेशन किया गया, आज वे बिल्कुल ठीक हैं. अब मोनिका साफ बोलने के साथ-साथ ठीक से खा-पी सकती है. वहीं तानिया को तेज चलने और धीरे-धीरे दौड़ने में किसी तरह की तकलीफ नहीं होती.

नागौर. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जन्मजात विकृति से जूझ रहे बच्चों के लिए नया सवेरा लेकर आया है. इसके तहत जिन बच्चों में जन्मजात दिल में छेद की बीमारी है, वैसे नागौर में 200 बच्चों का कैशलेस ऑपरेशन कर उन्हें जिंदगी दी गई है.

जिले की आरबीएसके टीम ने जन्मजात दिल में छेद की बीमारी से ग्रसित 200 से अधिक बच्चों का कैशलैस ऑपरेशन करवाने में रिकाॅर्ड सफलता हासिल की है. सही कहें तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाया जा रहा यह कार्यक्रम जन्मजात विकृति वाले बच्चों के लिए लाइफ लाइन साबित हुआ है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. मेहराम महिया ने बताया कि साल 2016 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरूआत से लेकर दिल में छेद की बीमारी से पीड़ित 0 से 18 वर्ष तक की उम्र के 202 नौनिहालों का कैशलैस ऑपरेशन हो चुका है.

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कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और आरसीएचओ डाॅ. मुश्ताक अहमद ने बताया कि दिल में छेद के सफल ऑपरेशन के अतिरिक्त कटे तालू, मुड़े पैर सहित विभिन्न तरह की जन्मजात विकृतियों से ग्रसित 0 से 18 साल तक की उम्र के 122 नौनिहालों का भी आरबीएसके के तहत कैशलेस इलाज करवाया जा चुका है और वे अब बिल्कुल स्वस्थ हैं.

वहीं दूसरी ओर आरबीएसके जिला समन्वयक डाॅ. शुभकरण धोलिया ने बताया कि चालू वितीय वर्ष 2020-21 में एक अप्रैल 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक 1 लाख 95 हजार 958 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई है. जिनमें से 11 हजार 140 बच्चों को इस सुविधा के लिए चुना गया है. जिनमें से 8946 बच्चों का कैशलेस उपचार किया जा चुका है.

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जन्मजात विकृति से जूझ रहे बच्चों की मुस्कानें लौटा रहा है. इसी के तहत जिन बच्चों में कटे तालू, मुड़े पैर सहित विभिन्न तरह की जन्मजात विकृतियां थी, उनका ऑपरेशन कर उसे दूर किया गया.

अब नहीं फूलती जतिन की सांसें

जिले की रियांबड़ी तहसील के पादूकलां गांव निवासी सुशील के 6 साल के पुत्र जतिन को जन्मजात दिल में छेद की बीमारी थी. गांव के आंगनबाड़ी पर डॉक्टर ने बच्चों की हेल्थ स्क्रीनिंग की और जिसके बाद जतिन की बीमारी सामने आई. डाॅ. डुकिया ने जतिन का आरबीएसके हेल्थ स्क्रीनिंग कार्ड बनाकर जिला स्तर पर आरसीएचओ कार्यालय को रेफर किया. यहां से जतिन के दिल के छेद का ऑपरेशन जयपुर के एक निजी अस्पताल में करवाने के लिए केस फाइल भेजी गई. इसके बाद इस साल 2021 को चार मार्च के दिन विशेषज्ञ चिकित्सकों ने चार मार्च को जतिन का सफल ऑपरेशन किया. अब जतिन को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है, वह सकुशल अपने घर पर स्वास्थ्य लाभ ले रहा है.

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अब साफ बोलती मोनिका और दौड़ लगाती है तानिया

जिले के देहाती क्षेत्र में रहने वाली नन्हीं बालिका मोनिका पुत्री नाथुराम कटे तालू होने के कारण साफ बोल नहीं पाती थी. ठीक इसी तरह तानिया पुत्री मनोज मुड़े हुए पैर होने के कारण ठीक से चल भी नहीं पाती थी. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम इन दोनों बालिकाओं के जीवन में उम्मीद की किरण लेकर आया. इन दोनों बालिकाओं का उच्च चिकित्सा संस्थान में सफल ऑपरेशन किया गया, आज वे बिल्कुल ठीक हैं. अब मोनिका साफ बोलने के साथ-साथ ठीक से खा-पी सकती है. वहीं तानिया को तेज चलने और धीरे-धीरे दौड़ने में किसी तरह की तकलीफ नहीं होती.

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