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Special : बड़े पीर साहब की दरगाह 'टूरिज्म सर्किट' में शामिल...यहां मौजूद है 800 साल पुरानी हस्तलिखित कुरान - rajasthan hindi news

नागौर के बड़े पीर साहब की दरगाह को प्रदेश की सरकार ने राजस्थान टूरिज्म सर्किट में शामिल किया है. 800 साल से भी ज्यादा पुरानी यह दरगाह कादरिया संप्रदाय की देश की सबसे बड़ी दरगाह के रूप में अपनी अलग पहचान रखती है. यहां सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी की मजार है. जहां देशभर से अकीदतमंद आते हैं. राजस्थान टूरिज्म सर्किट में शामिल होने के बाद यहां आने वाले जायरीनों की संख्या बढ़ने के साथ ही सुविधाओं में भी इजाफा होने की उम्मीद बंधी है. देखिये ये रिपोर्ट...

Nagaur Dargah of Bare Pir Saheb, Nagaur news
बड़े पीर साहब की दरगाह टूरिज्म सर्किट में शामिल
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Published : Nov 5, 2020, 5:45 PM IST

नागौर. कोरोना काल में मंदी की चपेट में आए पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार ने नागौर जिले के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के 10 स्थानों को राजस्थान टूरिज्म सर्किट में शामिल किया है. इन 10 स्थानों में जिला मुख्यालय स्थित सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी (बड़े पीर साहब) की दरगाह भी शामिल है. सरकार के इस कवायद से जिले में देशी-विदेशी सैलानियों की आवाजाही में बढ़ोतरी होने की उम्मीद जगी है. इसका सीधा असर मंदी का सामना कर रहे जिले के पर्यटन उद्योग पर भी होने की संभावना है.

बड़े पीर साहब की दरगाह टूरिज्म सर्किट में शामिल...

सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी की दरगाह को बड़े पीर साहब की दरगाह के नाम से भी जानते हैं. करीब 800 साल पुरानी यह दरगाह कादरिया संप्रदाय की देश की सबसे बड़ी और विश्व में दूसरी सबसे बड़ी दरगाह के रूप में अपनी अलग पहचान रखती है. सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी को ही भारत में कादरिया संप्रदाय का जन्मदाता माना जाता है.

दरगाह में सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी और उनके वंशजों की मजार है, जहां देशभर से जायरीन आते हैं. हालांकि, अभी कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए दरगाह में जायरीनों की आवाजाही बंद है. अब यहां आने वाले जायरीनों और अकीदतमंदों को मिलने वाली सुविधाओं में भी इजाफा होने की उम्मीद बंधी है.

Nagaur Dargah of Bare Pir Saheb, Nagaur news
दरगाह पर भारी संख्या में आते हैं जायरीन...

दरगाह बड़े पीर साहब के सज्जाद नशीन सैयद सदाकत अली जीलानी बताते हैं कि इस दरगाह में एक संग्रहालय भी है. जहां सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी और उनके वंशजों से जुड़ी कई ऐतिहासिक वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं. उनका यह भी दावा है कि देश की किसी भी दरगाह में स्थित यह एकमात्र और अनूठा संग्रहालय है. दरगाह आने वाले जायरीन संग्रहालय में जरूर आते हैं.

800 साल पुरानी हस्तलिखित कुरान है यहां...

इस संग्रहालय में 800 साल पुरानी हस्तलिखित कुरान शरीफ है, जो सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी ने अपने हाथ से लिखी थी. इसके साथ ही उनकी छड़ियां और साफा भी यहां प्रदर्शित किया गया है. इस म्यूजियम में पालकी भी रखी हुई है जो औरंगजेब ने उनको उपहार में दी थी.

यह भी पढ़ें. Special: खास है जयपुर का 'पेपर मैन', भारतीय परंपरा को पुनः जीवित करने के लिए घूम रहा पूरा विश्व

इसके साथ ही मारवाड़ के तत्कालीन राजा द्वारा एक गांव भी उन्हें भेंट किया गया था. जिसकी घोषणा का ताम्र पत्र आज भी इस संग्रहालय में सुरक्षित रखा हुआ है. इसके साथ ही ऐतिहासिक महत्व की कई वस्तुएं भी इस संग्रहालय में रखी गई हैं.

Nagaur Dargah of Bare Pir Saheb, Nagaur news
800 साल पुरानी कुरान...

आकर्षण का केंद्र हैं शुतुरमुर्ग के अंडे...

दरगाह के सज्जादा नशीन सैयद सदाकत अली जीलानी बताते हैं कि पुराने समय में शुतुरमुर्ग के अंडों को सजावटी वस्तु के रूप में भी काम में लिया जाता था. दरगाह में बने म्यूजियम में शुतुरमुर्ग के दो अंडे भी रखे हुए हैं, जो काफी पुराने हैं. इसके साथ ही पुराने पोस्टकार्ड, डाक टिकट, सजावट के काम आने वाला सामान और पुराने सिक्कों का भी नायाब संग्रह इस म्यूजियम में है.

Nagaur Dargah of Bare Pir Saheb, Nagaur news
संग्रहालय में है शुतुरमुर्ग का अंडा...

बगदाद से आए थे सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी...

सैयद सदाकत अली जीलानी बताते हैं कि बगदाद से ख्वाजा गरीब नवाज और सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी साथ ही अजमेर आए थे. अजमेर के तारागढ़ में बड़े पीर साहब का चिल्ला भी है. इसके बाद मेड़ता सिटी होते हुए सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी नागौर पहुंचे. यहां जिस खेजड़ी के पेड़ के नीचे वे बैठते थे. वह आज भी मौजूद है.

बड़े पीर साहब की दरगाह के साथ ये 9 स्थान भी टूरिस्ट सर्किट में...

राजस्थान के पर्यटन विभाग ने हाल ही में बड़े पीर साहब की दरगाह के साथ ही नागौर फोर्ट, लाडनूं का जैन मंदिर, खाटू की ऐतिहासिक बावड़ी, खींवसर फोर्ट, कुचामन फोर्ट, मांझवास गांव के पशुपतिनाथ मंदिर, झोरड़ा के हरिराम बाबा मंदिर, कुचामन फोर्ट के संग्रहालय और नागौर फोर्ट के संग्रहालय को टूरिस्ट सर्किट में शामिल किया है.

पर्यटकों और अकीदतमंदों के लिए सुविधाओं में होगी बढ़ोतरी...

बड़े पीर साहब की दरगाह के सज्जादा नशीन सैयद सदाकत अली जीलानी बताते हैं कि टूरिस्ट सर्किट में शामिल होने के बाद इन स्थानों के बारे में पर्यटन विभाग के ब्रोशर और अन्य स्थानों पर जानकारी प्रकाशित की जाएगी. इससे बाहर से आने वाले पर्यटकों को इन स्थानों पर आने के लिए आकर्षित किया जा सकता है. इसके साथ ही इन स्थानों पर आने वाले पर्यटकों और अकीदतमंदों के लिए सुविधाओं में बढ़ोतरी होने की भी उम्मीद बंधी है.

यह भी पढ़ें. Special : राजस्थान के इस पंचायत समिति में 25 साल से हो रहा भाजपा-कांग्रेस का गठबंधन...कहानी दिलचस्प है

इस कवायद का मकसद जिले में देसी और विदेशी पर्यटकों की आवाजाही को बढ़ावा देना है. उम्मीद की जा रही है कि कोरोना संक्रमण का खतरा कम होने पर पर्यटन विभाग की इस कवायद का सकारात्मक असर देखने को मिलेगा.

नागौर. कोरोना काल में मंदी की चपेट में आए पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार ने नागौर जिले के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के 10 स्थानों को राजस्थान टूरिज्म सर्किट में शामिल किया है. इन 10 स्थानों में जिला मुख्यालय स्थित सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी (बड़े पीर साहब) की दरगाह भी शामिल है. सरकार के इस कवायद से जिले में देशी-विदेशी सैलानियों की आवाजाही में बढ़ोतरी होने की उम्मीद जगी है. इसका सीधा असर मंदी का सामना कर रहे जिले के पर्यटन उद्योग पर भी होने की संभावना है.

बड़े पीर साहब की दरगाह टूरिज्म सर्किट में शामिल...

सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी की दरगाह को बड़े पीर साहब की दरगाह के नाम से भी जानते हैं. करीब 800 साल पुरानी यह दरगाह कादरिया संप्रदाय की देश की सबसे बड़ी और विश्व में दूसरी सबसे बड़ी दरगाह के रूप में अपनी अलग पहचान रखती है. सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी को ही भारत में कादरिया संप्रदाय का जन्मदाता माना जाता है.

दरगाह में सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी और उनके वंशजों की मजार है, जहां देशभर से जायरीन आते हैं. हालांकि, अभी कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए दरगाह में जायरीनों की आवाजाही बंद है. अब यहां आने वाले जायरीनों और अकीदतमंदों को मिलने वाली सुविधाओं में भी इजाफा होने की उम्मीद बंधी है.

Nagaur Dargah of Bare Pir Saheb, Nagaur news
दरगाह पर भारी संख्या में आते हैं जायरीन...

दरगाह बड़े पीर साहब के सज्जाद नशीन सैयद सदाकत अली जीलानी बताते हैं कि इस दरगाह में एक संग्रहालय भी है. जहां सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी और उनके वंशजों से जुड़ी कई ऐतिहासिक वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं. उनका यह भी दावा है कि देश की किसी भी दरगाह में स्थित यह एकमात्र और अनूठा संग्रहालय है. दरगाह आने वाले जायरीन संग्रहालय में जरूर आते हैं.

800 साल पुरानी हस्तलिखित कुरान है यहां...

इस संग्रहालय में 800 साल पुरानी हस्तलिखित कुरान शरीफ है, जो सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी ने अपने हाथ से लिखी थी. इसके साथ ही उनकी छड़ियां और साफा भी यहां प्रदर्शित किया गया है. इस म्यूजियम में पालकी भी रखी हुई है जो औरंगजेब ने उनको उपहार में दी थी.

यह भी पढ़ें. Special: खास है जयपुर का 'पेपर मैन', भारतीय परंपरा को पुनः जीवित करने के लिए घूम रहा पूरा विश्व

इसके साथ ही मारवाड़ के तत्कालीन राजा द्वारा एक गांव भी उन्हें भेंट किया गया था. जिसकी घोषणा का ताम्र पत्र आज भी इस संग्रहालय में सुरक्षित रखा हुआ है. इसके साथ ही ऐतिहासिक महत्व की कई वस्तुएं भी इस संग्रहालय में रखी गई हैं.

Nagaur Dargah of Bare Pir Saheb, Nagaur news
800 साल पुरानी कुरान...

आकर्षण का केंद्र हैं शुतुरमुर्ग के अंडे...

दरगाह के सज्जादा नशीन सैयद सदाकत अली जीलानी बताते हैं कि पुराने समय में शुतुरमुर्ग के अंडों को सजावटी वस्तु के रूप में भी काम में लिया जाता था. दरगाह में बने म्यूजियम में शुतुरमुर्ग के दो अंडे भी रखे हुए हैं, जो काफी पुराने हैं. इसके साथ ही पुराने पोस्टकार्ड, डाक टिकट, सजावट के काम आने वाला सामान और पुराने सिक्कों का भी नायाब संग्रह इस म्यूजियम में है.

Nagaur Dargah of Bare Pir Saheb, Nagaur news
संग्रहालय में है शुतुरमुर्ग का अंडा...

बगदाद से आए थे सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी...

सैयद सदाकत अली जीलानी बताते हैं कि बगदाद से ख्वाजा गरीब नवाज और सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी साथ ही अजमेर आए थे. अजमेर के तारागढ़ में बड़े पीर साहब का चिल्ला भी है. इसके बाद मेड़ता सिटी होते हुए सैयद सैफुद्दीन अब्दुल वहाब जीलानी नागौर पहुंचे. यहां जिस खेजड़ी के पेड़ के नीचे वे बैठते थे. वह आज भी मौजूद है.

बड़े पीर साहब की दरगाह के साथ ये 9 स्थान भी टूरिस्ट सर्किट में...

राजस्थान के पर्यटन विभाग ने हाल ही में बड़े पीर साहब की दरगाह के साथ ही नागौर फोर्ट, लाडनूं का जैन मंदिर, खाटू की ऐतिहासिक बावड़ी, खींवसर फोर्ट, कुचामन फोर्ट, मांझवास गांव के पशुपतिनाथ मंदिर, झोरड़ा के हरिराम बाबा मंदिर, कुचामन फोर्ट के संग्रहालय और नागौर फोर्ट के संग्रहालय को टूरिस्ट सर्किट में शामिल किया है.

पर्यटकों और अकीदतमंदों के लिए सुविधाओं में होगी बढ़ोतरी...

बड़े पीर साहब की दरगाह के सज्जादा नशीन सैयद सदाकत अली जीलानी बताते हैं कि टूरिस्ट सर्किट में शामिल होने के बाद इन स्थानों के बारे में पर्यटन विभाग के ब्रोशर और अन्य स्थानों पर जानकारी प्रकाशित की जाएगी. इससे बाहर से आने वाले पर्यटकों को इन स्थानों पर आने के लिए आकर्षित किया जा सकता है. इसके साथ ही इन स्थानों पर आने वाले पर्यटकों और अकीदतमंदों के लिए सुविधाओं में बढ़ोतरी होने की भी उम्मीद बंधी है.

यह भी पढ़ें. Special : राजस्थान के इस पंचायत समिति में 25 साल से हो रहा भाजपा-कांग्रेस का गठबंधन...कहानी दिलचस्प है

इस कवायद का मकसद जिले में देसी और विदेशी पर्यटकों की आवाजाही को बढ़ावा देना है. उम्मीद की जा रही है कि कोरोना संक्रमण का खतरा कम होने पर पर्यटन विभाग की इस कवायद का सकारात्मक असर देखने को मिलेगा.

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