मकराना (नागौर). मकराना का संगमरमर पूरे प्रदेश ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. मकराना का संगमरमर दूधिया सफेदी के लिए अपनी अलग पहचान रखता है. कई बार तो संगमरमर भले ही कहीं का हो, उसे लोग मकराना का पत्थर ही कहकर बुलाते हैं, लेकिन आज मकराना का संगमरमर व्यवसाय भी लॉकडाउन की चपेट में आ गया है. जिससे मकराना के संगमरमर की चमक फीकी पड़ने लगी है.
मकराना मार्बल सफेद संगमरमर का एक प्रकार है, जो मूर्तिकला और इमारत की सजावट में उपयोग के लिए लोकप्रिय है. यह भारत के राजस्थान के मकराना शहर में खनन किया जाता है, और आगरा में ताजमहल और कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल जैसे कई प्रतिष्ठित स्मारकों के निर्माण में इस्तेमाल किया गया था.
देशव्यापी लॉकडाउन में मकराना में ही नहीं पूरे देश में सैकड़ों संगमरमर की खाने बंद हो गई हैं. सारे श्रमिक अपने-अपने क्षेत्रों में जा चुके हैं. अब मकराना का पत्थर खान से निकल नहीं रहा है. वहीं अब तक जो पत्थर निकला हुआ था, वह गोदामों में पड़ा है. ऐसे में साफ है कि जब मार्बल बिकेगा ही नहीं तो फिर इस व्यवसाय को पटरी पर लाने में बहुत मुश्किल होगी.
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यह खाने अब दोबारा कब चालू होगी, इसका कोई अता-पता नहीं है, लेकिन इस दौरान यह संगमरमर की खानों के मालिक, उनके व्यवसायी, श्रमिक तमाम लोग एकाएक बड़ी परेशानी में आ गए हैं. अब मकराना का पत्थर निकल नहीं रहा है और जो पत्थर निकला हुआ था, वह गोदामों में पड़ा है. ऐसे में साफ है कि जब पत्थर बिकेगा ही नहीं तो फिर इस व्यवसाय को पटरी पर लाने में बहुत मुश्किल होगी.
आपको बताते हैं आंकड़ों से मकराना के संगमरमर का व्यवसाय से जुड़ा आंकड़ा
- मकराना में करीब 850 ऐसी खान हैं, जिनसे संगमरमर का पत्थर निकल रहा है.
- इन खानों में और संगमरमर के पत्थर से हैंडीक्राफ्ट और मूर्तियों का व्यवसाय करने वाले करीब 5 हजार श्रमिक जुड़ें हैं.
- मकराना की करीब 1 लाख आबादी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस व्यवसाय से जुड़ी हुई.
- मार्बल व्यवसाय के बंद होने से हजारों की तादाद में ट्रांसपोर्ट में लगे ट्रक और उनमें माल ढुलाई करने वाले हजारों श्रमिक भी बेरोजगार.
- मार्बल से रॉयल्टी के रूप में सरकार को सालाना करीब 32 करोड़ रुपए मिलते हैं.
- ऐसे में सरकार को भी करीब तीन करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.
- जितना लंबा यह लॉकडाउन चलेगा, उतना राजस्व का नुकसान सरकार को होगा.
- खान मालिकों और व्यवसायियों को करीब 50 करोड़ का नुकसान हुआ.
वहीं खान मालिक मोहम्मद सलीम का कहना है कि पूर्णतया लोग बेरोजगार हो गए हैं. मकराना में एकमात्र यही व्यवसाय है, जिससे लोग जुडे़ हैं. ऐसे में सबको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सलीम कहते हैं कि श्रमिकों की मदद की कोशिश की जा रही है लेकिन व्यापार ही ठप है. ऐसे में सरकार पैकेज दे तो व्यवसाय खड़ा हो सकता है.
वहीं श्रमिकों की भी पूरी मदद हम कर पाएंगे. माइंस सोसायटी मकराना के अध्यक्ष हारून रशीद कहते हैं कि खान मालिक श्रमिकों की मदद कर रहे हैं. उनके खाने के लिए भी प्रबंध कर रहे हैं. सब आपसी सहयोग से जितनी मदद बन रही है करने की कोशिश की जा रही है. हारून रशीद बताते हैं कि मकराना में हैंडीक्राफ्ट से 10 हजार से अधिक गढ़वा मजदूर जुड़े हैं. इन मजदूरों को अंजुमन संस्था मदद कर रही है.
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वहीं मार्बल व्यवसायियों का कहना है कि अब लॉकडाउन के बड़ने से उनके सामने बड़ी मुश्किलें भी आने वाली है. ऐसे में अब मकराना के ये मार्बल व्यवसायी सरकार से पैकेज की डिमांड कर रहे हैं. जिससे मार्बल का व्यवसाय को सहायता मिल सके.