नागौर. जिले के खेराट गांव में माननाथ रहते हैं. पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन कोरोना वायरस से फैलने वाली महामारी कोविड-19 कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इनको बखूबी है. तभी को छत्तीसगढ़ से घर लौटे अपने दो बेटे, बहू और दो पोतियों को परिवार के बाकी लोगों से अलग रखने का इंतजाम उनके घर आने से पहले ही कर लिया.
- बुजुर्ग पिता ने खेतों में बहू-बेटों लिए तैयार की झोपड़ी
- होम क्वारंटाइन के घास-फूस से तैयार की है झोपड़ी
- छत्तीसगढ़ से नागौर लौटकर आए हैं बेटे और बहू
इन लोगों के रहने के लिए माननाथ ने अपने खेत पर ही घास की इस कुटिया को तैयार कर दिया. रायपुर से आए बेटे, बहू और पोतियां इस कुटिया में होम आइसोलेट रहेंगे. माननाथ बताते हैं कि उनके दो बेटे, बड़े बेटे की पत्नी और दो बच्चे छत्तीसगढ़ के रायपुर में रहते हैं. लॉकडाउन के बीच उनके निजी वाहन से गांव आने की जानकारी मिली तो खुशी हुई, लेकिन साथ ही यह भी पता चला कि उन्हें कुछ दिन तक परिवार से अलग रहना पड़ेगा.
माननाथ ने दो दिन में तैयार किया है झोपड़ा:
बहू के खातिर माननाथ इस झोपड़ी को तैयार करने के लिए खुद जुट गए और दो दिन में कड़ी मेहनत करके खेत पर ही इस घास-फूस की कुटिया को तैया कर दिया. इतना ही नहीं इस कुटिया में बिलजी की सप्लाई भी की गई है. जिसे क्वारेंटाइन के दौरान इसमें रहने वाले लोग गर्मी और अंधेर से बचने के लिए लाइट, कूलर और पंखे का भी उपयोग कर सकेंगे.
लॉकडाउन में रायपुर में फंसे थे बेटे और बहू:
माननाथ के बड़े बेटे मेघराज बताते हैं कि वो और उनका छोटा भाई रायपुर में फर्नीचर बनाने का काम करते हैं. लॉकडाउन के बाद से ही वहां वो फंसे थे फिर जब सरकार ने अपने घर लौटने की अनुमति दी तो निजी वाहन से वो पत्नी, छोटे भाई और दो बेटियों के साथ घर लौटे हैं.
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माननाथ की हो रही जमकर तारीफ:
फिलहाल, रहना, खाना और सोना सब इसी कुटिया में इन लोगों का होता है. होम क्वारंटाइन का समय पूरा होने के बाद ये लोग अपने घर में जाकर रहेंगे. अनपढ़ होने के बावजूद भी कोरोना वायरस से इतनी सजगता और सतर्कता को लेकर माननाथ जमकर तारीफ हो रही है.