नागौर. जिले के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर के 37 पद स्वीकृत होने के बावजूद भी 11 पद कई सालों से रिक्त पड़े है. डॉक्टर और नर्सिंग कर्मचारियों के कई पद रिक्त होने से अस्पताल में अव्यवस्था का आलम है.
जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में 4 सर्जन चिकित्सक के पद स्वीकृत होने के बावजूद अब तक नहीं भरे गए. जिससे मरीजों को जोधपुर, जयपुर, बीकानेर या अजमेर जाने को मजबूर होना पड़ता है. अस्पताल में आने वाले घायल की कोई व्यवस्था नहीं होने के बावजूद उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है.
जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में 3 साल पहले 2 डॉक्टर सर्जन हुआ करते थे जो अस्पताल में ऑपरेशन भी करते थे. सर्जन डॉक्टर विजय चौधरी अन्य यूरोलॉजी जयपुर स्थानांतरण हो चुके हैं, लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद 4 सर्जन के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं. प्रसूताओं और महिलाओं को सोनोग्राफी कराने के लिए जिले के सबसे बड़े अस्पताल में 1 महीने का वक्त दिया जा रहा है. जिन्हें आर्थिक भार भी उठाना पड़ रहा है.
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अस्पताल में एक दिन में करीब 40 मरीजों की सोनोग्राफी जांच ही हो पाती है अन्य को आगामी तारीख दी जा रही है. इसके कारण रोजाना आने वाले मरीजों की जांच भी नहीं हो पाती और प्रेगनेंसी लगातार अमरबेल की तरह बढ़ती जाती है.
कुछ ऐसी स्थिति मेडिसिन विभाग में भी है, जहां सबसे बड़े अस्पताल में रोजाना औसतन 1000 मरीजों के होने के बावजूद पीएमओ का पद रिक्त पड़ा है. आउटडोर में मरीज परेशान होते हैं अधिकतर चिकित्सक अवकाश पर रहने से मरीजों को निराश लौटना पड़ता है.