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नागौर: अव्यवस्था की बीमारी से जूझ रहा जवाहरलाल नेहरू अस्पताल, रिक्त पड़े चिकित्सकों के पद - नागौर न्यूज

नागौर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में कई पद रिक्त पड़े है, लेकिन सरकार के नुमाइंदो का इस ओर ध्यान नहीं जा रहा है. सोनोग्राफी के लिए प्रसूताओं को 1 माह का वक्त दिया जा रहा है. जिससे उनके स्वास्थ पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

Jawaharlal Nehru Hospital Nagaur, जवाहरलाल नेहरू अस्पताल नागौर
जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में अव्यवस्था
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Published : Jan 27, 2020, 6:59 PM IST

नागौर. जिले के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर के 37 पद स्वीकृत होने के बावजूद भी 11 पद कई सालों से रिक्त पड़े है. डॉक्टर और नर्सिंग कर्मचारियों के कई पद रिक्त होने से अस्पताल में अव्यवस्था का आलम है.

जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में 4 सर्जन चिकित्सक के पद स्वीकृत होने के बावजूद अब तक नहीं भरे गए. जिससे मरीजों को जोधपुर, जयपुर, बीकानेर या अजमेर जाने को मजबूर होना पड़ता है. अस्पताल में आने वाले घायल की कोई व्यवस्था नहीं होने के बावजूद उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है.

जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में अव्यवस्था

जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में 3 साल पहले 2 डॉक्टर सर्जन हुआ करते थे जो अस्पताल में ऑपरेशन भी करते थे. सर्जन डॉक्टर विजय चौधरी अन्य यूरोलॉजी जयपुर स्थानांतरण हो चुके हैं, लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद 4 सर्जन के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं. प्रसूताओं और महिलाओं को सोनोग्राफी कराने के लिए जिले के सबसे बड़े अस्पताल में 1 महीने का वक्त दिया जा रहा है. जिन्हें आर्थिक भार भी उठाना पड़ रहा है.

पढ़ें- स्पेशल: 11 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हो रहा है MCH भवन, महिलाओं को मिलने वाली है बड़ी सौगात

अस्पताल में एक दिन में करीब 40 मरीजों की सोनोग्राफी जांच ही हो पाती है अन्य को आगामी तारीख दी जा रही है. इसके कारण रोजाना आने वाले मरीजों की जांच भी नहीं हो पाती और प्रेगनेंसी लगातार अमरबेल की तरह बढ़ती जाती है.

कुछ ऐसी स्थिति मेडिसिन विभाग में भी है, जहां सबसे बड़े अस्पताल में रोजाना औसतन 1000 मरीजों के होने के बावजूद पीएमओ का पद रिक्त पड़ा है. आउटडोर में मरीज परेशान होते हैं अधिकतर चिकित्सक अवकाश पर रहने से मरीजों को निराश लौटना पड़ता है.

नागौर. जिले के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर के 37 पद स्वीकृत होने के बावजूद भी 11 पद कई सालों से रिक्त पड़े है. डॉक्टर और नर्सिंग कर्मचारियों के कई पद रिक्त होने से अस्पताल में अव्यवस्था का आलम है.

जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में 4 सर्जन चिकित्सक के पद स्वीकृत होने के बावजूद अब तक नहीं भरे गए. जिससे मरीजों को जोधपुर, जयपुर, बीकानेर या अजमेर जाने को मजबूर होना पड़ता है. अस्पताल में आने वाले घायल की कोई व्यवस्था नहीं होने के बावजूद उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है.

जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में अव्यवस्था

जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में 3 साल पहले 2 डॉक्टर सर्जन हुआ करते थे जो अस्पताल में ऑपरेशन भी करते थे. सर्जन डॉक्टर विजय चौधरी अन्य यूरोलॉजी जयपुर स्थानांतरण हो चुके हैं, लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद 4 सर्जन के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं. प्रसूताओं और महिलाओं को सोनोग्राफी कराने के लिए जिले के सबसे बड़े अस्पताल में 1 महीने का वक्त दिया जा रहा है. जिन्हें आर्थिक भार भी उठाना पड़ रहा है.

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अस्पताल में एक दिन में करीब 40 मरीजों की सोनोग्राफी जांच ही हो पाती है अन्य को आगामी तारीख दी जा रही है. इसके कारण रोजाना आने वाले मरीजों की जांच भी नहीं हो पाती और प्रेगनेंसी लगातार अमरबेल की तरह बढ़ती जाती है.

कुछ ऐसी स्थिति मेडिसिन विभाग में भी है, जहां सबसे बड़े अस्पताल में रोजाना औसतन 1000 मरीजों के होने के बावजूद पीएमओ का पद रिक्त पड़ा है. आउटडोर में मरीज परेशान होते हैं अधिकतर चिकित्सक अवकाश पर रहने से मरीजों को निराश लौटना पड़ता है.

Intro:नागौर जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में कई पद रिक्त
मेडिकल ऑफिसर के 11 पद 4 सर्जन के पद आज तक नहीं भरे सोनोग्राफी के लिए 1 महीने का दिया जा रहा है वक्त

नागौर की जनता जिले के 10 विधायकों के भरोसे जिला मुख्यालय पर मेडिकल कॉलेज का सपना तो देख रही है वहीं दूसरी ओर जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में कई पद रिक्त पड़े है लेकिन माननीय विधायक इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हे । सोनोग्राफी के लिए महिलाओं,प्र्र्सूताओ को 1 महीने का वक्त दिया जा रहा है


Body:नागौर जिले के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर के 37 पद स्वीकृत होने के बावजूद भी 11 पद कई सालों से रिक्त पड़े है। डॉक्टर और नसिग कर्मचारियों के भी कई पद रिक्त होने से उनके पावर की पोल खोलकर रख दिया हे । जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में चार सर्जन चिकित्सक के पद स्वीकृत होने के बावजूद आज तक नहीं भरें जिससे मरीजों को जोधपुर जयपुर बीकानेर या अजमेर जाने को मजबूर है या फिर प्राइवेट अस्पतालों में मोटी रकम देकर उन्हें ऑपरेशन करने पड़ रहे हैं । जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में आने वाले घायल की कोई व्यवस्था नहीं होने के बावजूद उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है


जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में 3 साल पहले दो डॉक्टर सर्जन हुआ करते थे जो अस्पताल में ऑपरेशन भी करते थे सर्जन डॉक्टर विजय चौधरी अन्य यूरोलॉजी जयपुर स्थानांतरण हो चुके हैं लेकिन काफी अरसा बीत जाने के बाद चार् सर्जन के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं ।

प्र्र्सूताओ और महिलाओं को सोनोग्राफी कराने के लिए जिले के सबसे बड़े अस्पताल में 1 महीने का वक्त दिया जा रहा है जिन्हें आर्थिक भार भी उठाना पड़ रहा है। जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में यदि आपको सोनोग्राफी करानी है तो अगले एक माह बाद आना पड़ेगा इसके चलते एक दिन में करीब 40 मरीजों की सोनोग्राफी जांच ही हो पाती है अन्य को आगामी तारीख दी जा रही है इसके कारण रोजाना आने वाले मरीजों की जांच भी नहीं हो पाती और इसके चलते प्रेगनेंसी लगातार अमरबेल की तरह बढ़ती जाती है

कुछ ऐसी स्थिति मेडिसिन विभाग में भी है जहां सबसे बड़े अस्पताल में रोज औसतन को पीड़ित 1000 मरीजों की होने के बावजूद पीएमओ का पद रिक्त पड़ा है। आउटडोर में मरीज परेशान होते हैं अधिकतर चिकित्सक अवकाश पर रहने से मरीजों को निराश लौटना पड़ता है।






Conclusion:जिले के सबसे बड़े अस्पताल में जरूरतमंद व्यक्ति को योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पा रहा है । इसलिए प्राइवेट अस्पताल फल-फूल रहे हैं ।

बाइट सूकुमार कश्यप , मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नागौर
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