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भरतपुर का सरसों तेल उद्योग संकट में, 60% तेल मिलें बंद, विदेशी तेलों की सस्ती कीमतों का असर - MUSTERED OIL BUSINESS

भरतपुर का तेल उद्योग विदेशी तेलों और नीतियों से संकट में है. मिलें बंद हो रही हैं और किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा.

भरतपुर का सरसों तेल उद्योग संकट में
भरतपुर का सरसों तेल उद्योग संकट में (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 7, 2025, 8:33 AM IST

भरतपुर : जिले का सरसों तेल उद्योग इस समय गंभीर संकट से गुजर रहा है. जिले में करीब 85 तेल मिलों में से 50 मिलें बंद पड़ी हैं, जो कि कुल मिलों का 60% हैं. इस संकट के प्रमुख कारण विदेशी तेलों की बढ़ती भरमार, कम मुनाफा और सरकारी नीतियों की अनदेखी हैं, जिससे सरसों तेल मिलों का संचालन दिन-ब-दिन कठिन हो रहा है.

सरसों तेल की मांग में गिरावट : भरतपुर के सरसों तेल उद्योग का सबसे बड़ा संकट यह है कि सरसों तेल की मांग लगातार घट रही है. विदेशी तेलों की सस्ती कीमतों के कारण उपभोक्ता अब सरसों तेल के मुकाबले रिफाइंड तेल, पाम ऑयल और राइस ब्रान जैसे सस्ते तेलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. विदेशी तेलों की कीमत सरसों तेल से लगभग 10 से 15 रुपये प्रति किलो सस्ती होने के कारण घरेलू सरसों तेल का बाजार सिकुड़ता जा रहा है.

सरसों तेल व्यापारी भूपेंद्र गोयल (ETV Bharat Bharatpur)

इसे भी पढ़ें- भरतपुर के सरसों की 'ताकत' छीन रहा ये रोग, कम पैदावार की आशंका से घबराए किसान

एमएसपी से कम कीमतों ने किसानों को किया असंतुष्ट : सरसों तेल व्यापारी भूपेंद्र गोयल के अनुसार, भरतपुर सरसों मंडी में सरसों का वर्तमान भाव 5721 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है, जबकि सरकार ने इसके लिए 5950 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया है. इस अंतर के कारण किसान अपनी उपज को बेचने से बच रहे हैं, क्योंकि उन्हें उनके मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल रहा. पिछले साल सरसों का भाव 6500–7000 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन इस साल भाव में 500 से 1000 रुपये तक की गिरावट आई है. मंडी में आवक भी पिछले साल के मुकाबले 20% कम हो गई है.

सरसों तेल की 60% तेल मिलें बंद
सरसों तेल की 60% तेल मिलें बंद (ETV Bharat GFX)

मौसम की अनिश्चितता और बुवाई में गिरावट : भूपेंद्र गोयल का कहना है कि किसानों को उचित मूल्य न मिलने के कारण वे सरसों की बुवाई घटा रहे हैं. इस साल जिले में मौसम की अनिश्चितता के कारण सरसों का रकबा कम हुआ है और तेल उत्पादन की मात्रा भी घटने का खतरा है. यदि यह स्थिति बनी रही, तो अगले साल सरसों की आपूर्ति और कम हो सकती है, जिससे संकट और गहरा सकता है.

सरकार से अपील : सरसों तेल व्यापारी भूपेंद्र ने सरकार से अपील की है कि अगर समय रहते नीतियों में बदलाव नहीं किए गए, तो भारत को भविष्य में 100% खाद्य तेल आयात पर निर्भर होना पड़ेगा, जिससे घरेलू किसानों और छोटे तेल उद्योगों का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा. उनका कहना है कि सरकार को विदेशी तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिए, ताकि घरेलू तेल उद्योग को मजबूती मिल सके. इसके अलावा, सरकार को सरसों की सरकारी खरीद को बढ़ावा देना चाहिए और किसानों को उनका सही एमएसपी देना चाहिए.

इसे भी पढ़ें- यूपी, एमपी समेत कई राज्यों के किसानों की झोली भरेगा भरतपुरी सरसों, रिकॉर्ड तोड़ होगी पैदावार

आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम : देशी तेल उद्योग को मजबूत करने के लिए सरकार को सब्सिडी और समर्थन देने की आवश्यकता है, ताकि भारत तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सके. भरतपुर जैसे शहरों का तेल उद्योग अगर फिर से अपने पांवों पर खड़ा हो सके, तो इससे न सिर्फ स्थानीय किसानों को फायदा होगा, बल्कि भारत की आर्थिक और खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी.

भरतपुर का सरसों तेल उद्योग विदेशी तेलों और सरकारी नीतियों की अनदेखी से जूझते हुए अस्तित्व बचाने की कोशिश कर रहा है. यदि स्थिति में सुधार नहीं किया गया, तो आने वाले समय में देशी तेल मिलें पूरी तरह खत्म हो सकती हैं, जिससे भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ेगा. सरकार को चाहिए कि घरेलू तेल उद्योग को समर्थन दे, आयात नीति में सुधार करे और किसानों को उनके फसल का सही मूल्य दिलाए, ताकि भारत तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सके और भरतपुर जैसे शहरों का तेल उद्योग पुनः अपनी पहचान बना सके.

भरतपुर : जिले का सरसों तेल उद्योग इस समय गंभीर संकट से गुजर रहा है. जिले में करीब 85 तेल मिलों में से 50 मिलें बंद पड़ी हैं, जो कि कुल मिलों का 60% हैं. इस संकट के प्रमुख कारण विदेशी तेलों की बढ़ती भरमार, कम मुनाफा और सरकारी नीतियों की अनदेखी हैं, जिससे सरसों तेल मिलों का संचालन दिन-ब-दिन कठिन हो रहा है.

सरसों तेल की मांग में गिरावट : भरतपुर के सरसों तेल उद्योग का सबसे बड़ा संकट यह है कि सरसों तेल की मांग लगातार घट रही है. विदेशी तेलों की सस्ती कीमतों के कारण उपभोक्ता अब सरसों तेल के मुकाबले रिफाइंड तेल, पाम ऑयल और राइस ब्रान जैसे सस्ते तेलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. विदेशी तेलों की कीमत सरसों तेल से लगभग 10 से 15 रुपये प्रति किलो सस्ती होने के कारण घरेलू सरसों तेल का बाजार सिकुड़ता जा रहा है.

सरसों तेल व्यापारी भूपेंद्र गोयल (ETV Bharat Bharatpur)

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एमएसपी से कम कीमतों ने किसानों को किया असंतुष्ट : सरसों तेल व्यापारी भूपेंद्र गोयल के अनुसार, भरतपुर सरसों मंडी में सरसों का वर्तमान भाव 5721 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है, जबकि सरकार ने इसके लिए 5950 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया है. इस अंतर के कारण किसान अपनी उपज को बेचने से बच रहे हैं, क्योंकि उन्हें उनके मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल रहा. पिछले साल सरसों का भाव 6500–7000 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन इस साल भाव में 500 से 1000 रुपये तक की गिरावट आई है. मंडी में आवक भी पिछले साल के मुकाबले 20% कम हो गई है.

सरसों तेल की 60% तेल मिलें बंद
सरसों तेल की 60% तेल मिलें बंद (ETV Bharat GFX)

मौसम की अनिश्चितता और बुवाई में गिरावट : भूपेंद्र गोयल का कहना है कि किसानों को उचित मूल्य न मिलने के कारण वे सरसों की बुवाई घटा रहे हैं. इस साल जिले में मौसम की अनिश्चितता के कारण सरसों का रकबा कम हुआ है और तेल उत्पादन की मात्रा भी घटने का खतरा है. यदि यह स्थिति बनी रही, तो अगले साल सरसों की आपूर्ति और कम हो सकती है, जिससे संकट और गहरा सकता है.

सरकार से अपील : सरसों तेल व्यापारी भूपेंद्र ने सरकार से अपील की है कि अगर समय रहते नीतियों में बदलाव नहीं किए गए, तो भारत को भविष्य में 100% खाद्य तेल आयात पर निर्भर होना पड़ेगा, जिससे घरेलू किसानों और छोटे तेल उद्योगों का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा. उनका कहना है कि सरकार को विदेशी तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिए, ताकि घरेलू तेल उद्योग को मजबूती मिल सके. इसके अलावा, सरकार को सरसों की सरकारी खरीद को बढ़ावा देना चाहिए और किसानों को उनका सही एमएसपी देना चाहिए.

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आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम : देशी तेल उद्योग को मजबूत करने के लिए सरकार को सब्सिडी और समर्थन देने की आवश्यकता है, ताकि भारत तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सके. भरतपुर जैसे शहरों का तेल उद्योग अगर फिर से अपने पांवों पर खड़ा हो सके, तो इससे न सिर्फ स्थानीय किसानों को फायदा होगा, बल्कि भारत की आर्थिक और खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी.

भरतपुर का सरसों तेल उद्योग विदेशी तेलों और सरकारी नीतियों की अनदेखी से जूझते हुए अस्तित्व बचाने की कोशिश कर रहा है. यदि स्थिति में सुधार नहीं किया गया, तो आने वाले समय में देशी तेल मिलें पूरी तरह खत्म हो सकती हैं, जिससे भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ेगा. सरकार को चाहिए कि घरेलू तेल उद्योग को समर्थन दे, आयात नीति में सुधार करे और किसानों को उनके फसल का सही मूल्य दिलाए, ताकि भारत तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सके और भरतपुर जैसे शहरों का तेल उद्योग पुनः अपनी पहचान बना सके.

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