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5 जून से होगी वन्यजीवों की गणना, लॉकडाउन के कारण एक महीने की हो चुकी है देरी

लॉकडाउन के कारण वन्यजीवों की गणना एक महीने देरी से की जा रही है. 5 जून से वॉटरहॉल पद्धति से जीवों की गणना की जाएगी. जिसके लिए 110 से 115 वॉटरहॉल चिन्हित कर लिए गए हैं. गणना में शामिल कर्मचारियों को इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है.

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5 जून से होगी वन्यजीवों की गणना, लॉकडाउन के कारण एक महीने की हो चुकी है देरी
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Published : Jun 3, 2020, 8:02 PM IST

नागौर. कोरोना वायरस के असर को कम करने के लिए देश भर में लॉकडाउन लागू जारी है. जिसका असर वन्य जीवों की गणना पर भी देखने को मिला. लॉकडाउन के कारण वन्यजीवों की गणना एक महीने देरी से की जा रही है. सामान्यतय वन्य जीवों की गणना हर साल बुद्ध पूर्णिमा (वैशाख पूर्णिमा) पर शुरू होती है. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते इसमें एक महीने की देरी हो गई है.

वन्य जीवों की गणना वॉटरहॉल पद्धति से की जाती है

अब वन्य जीवों की गणना ज्येष्ठ पूर्णिमा पर यानि 5 जून को होगी. जिसके लिए वन-विभाग के कर्मचारियों ने पूरी तैयारी कर ली है. वन्य जीवों की गणना वॉटरहॉल पद्धति से की जाती है. इसके लिए विभाग ने 110 से 115 वॉटरहॉल चिन्हित कर लिए हैं. चिन्हित किए गए वॉटरहॉल्स पर वनविभाग के कर्मचारी 5 जून सुबह 8 बजे से 6 जून सुबह 8 बजे तक तैनात रहेंगे और पानी पीने आने वाले वन्य जीवों की गणना करेंगे.

क्या है वॉटरहॉल पद्धति ?

वॉटरहॉल पानी का स्त्रोत होता है. जहां वन्य जीव आकर पानी पीते हैं. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार 24 घंटों में हर वन्य जीव किसी ना किसी वॉटरहॉल पर पानी पीने जरूर आता है. वॉटरहॉल्स पर वनकर्मियों की कड़ी निगरानी होती है. वो वहां आने वाले सभी जीवों की संख्या काउंट कर लेते हैं.

पढ़ें: जयपुर एयरपोर्ट पर यात्रियों की कम संख्या के चलते 9 उड़ानें रद्द

लेकिन वॉटरहॉल पद्धति से वन्य जीवों की गणना को विशेषज्ञ सही नहीं मानते हैं. फिलहाल इसी विधि से वन्यजीवों की गणना की जाती है. डीएफओ ज्ञानचंद ने कहा कि जिलेभर में 110-115 टीमों का गठन कर लिया गया है और इनमें शामिल कर्मचारियों को वन्य जीवों की गणना का प्रशिक्षण भी दिया गया है. उनका कहना है कि वन विभाग के कर्मचारियों के अलावा वाइल्ड लाइफ में रुचि रखने वाले लोगों की भी वन्यजीवों गणना में मदद ली जाएगी.

नागौर. कोरोना वायरस के असर को कम करने के लिए देश भर में लॉकडाउन लागू जारी है. जिसका असर वन्य जीवों की गणना पर भी देखने को मिला. लॉकडाउन के कारण वन्यजीवों की गणना एक महीने देरी से की जा रही है. सामान्यतय वन्य जीवों की गणना हर साल बुद्ध पूर्णिमा (वैशाख पूर्णिमा) पर शुरू होती है. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते इसमें एक महीने की देरी हो गई है.

वन्य जीवों की गणना वॉटरहॉल पद्धति से की जाती है

अब वन्य जीवों की गणना ज्येष्ठ पूर्णिमा पर यानि 5 जून को होगी. जिसके लिए वन-विभाग के कर्मचारियों ने पूरी तैयारी कर ली है. वन्य जीवों की गणना वॉटरहॉल पद्धति से की जाती है. इसके लिए विभाग ने 110 से 115 वॉटरहॉल चिन्हित कर लिए हैं. चिन्हित किए गए वॉटरहॉल्स पर वनविभाग के कर्मचारी 5 जून सुबह 8 बजे से 6 जून सुबह 8 बजे तक तैनात रहेंगे और पानी पीने आने वाले वन्य जीवों की गणना करेंगे.

क्या है वॉटरहॉल पद्धति ?

वॉटरहॉल पानी का स्त्रोत होता है. जहां वन्य जीव आकर पानी पीते हैं. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार 24 घंटों में हर वन्य जीव किसी ना किसी वॉटरहॉल पर पानी पीने जरूर आता है. वॉटरहॉल्स पर वनकर्मियों की कड़ी निगरानी होती है. वो वहां आने वाले सभी जीवों की संख्या काउंट कर लेते हैं.

पढ़ें: जयपुर एयरपोर्ट पर यात्रियों की कम संख्या के चलते 9 उड़ानें रद्द

लेकिन वॉटरहॉल पद्धति से वन्य जीवों की गणना को विशेषज्ञ सही नहीं मानते हैं. फिलहाल इसी विधि से वन्यजीवों की गणना की जाती है. डीएफओ ज्ञानचंद ने कहा कि जिलेभर में 110-115 टीमों का गठन कर लिया गया है और इनमें शामिल कर्मचारियों को वन्य जीवों की गणना का प्रशिक्षण भी दिया गया है. उनका कहना है कि वन विभाग के कर्मचारियों के अलावा वाइल्ड लाइफ में रुचि रखने वाले लोगों की भी वन्यजीवों गणना में मदद ली जाएगी.

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