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दधिमती माता मंदिर के पास खुदाई में मिले शिलालेख पर गहराया विवाद, कलेक्टर से मिले मंदिर ट्रस्ट के प्रतिनिधि

नागौर के गोठ मांगलोद गांव में दधिमती माता मंदिर के पास निकले एक पुरातत्व महत्व के शिलालेख को लेकर को लेकर विवाद गहरा गया है. दधिमती माताजी मंदिर प्रन्यास की ओर से एक प्रतिनिधि मंडल ने इस मामले को लेकर कलेक्टर से मुलाकात की है.

inscription found in excavation in nagaur, नागौर खुदाई में मिला शिलालेख
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Published : Oct 9, 2019, 2:19 PM IST

नागौर. गोठ मांगलोद गांव में दधिमती माता मंदिर के पास निकले एक पुरातत्व महत्व के शिलालेख को लेकर को लेकर विवाद की स्थिति में दधिमती माताजी मंदिर ट्रस्ट के ओर से प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर से मुलाकात कर ज्ञापन दिया है. दधिमती माताजी मंदिर के पास एक धर्मशाला में खुदाई के दौरान एक शिलालेख मिला था. इसमें एक व्यक्ति को घोड़े पर बैठे हुए और तलवार हाथ में लिया हुआ दिखाया गया है.

खुदाई में मिला शिलालेख को लेकर विवाद

दधिमती माताजी मंदिर ट्रस्ट की ओर से बताया है कि ट्रस्ट के भवन में पड़े एक शिलालेख के कारण तनाव की स्थिति पैदा हो रही है. गांव के कुछ लोग शिलालेख पर अंकित प्रतिमा को ग्वाला की प्रतिमा बताकर उसे वहीं स्थापित करने की मांग कर रहे हैं. वहीं प्रन्यास का आरोप है कि कुछ लोग दाधीच समाज द्वारा बनवाई गई धर्मशाला पर कब्जा करने की नियत से जान बूझकर इस मामले को तूल दिया जा रहा है.

ये पढ़ें: टोंक के मालपुरा में लगा कर्फ्यू, विधायक ने कहा- गैर-जिम्मेदाराना अफसरों को संस्पेंड करना चाहिए

इस शिलालेख का प्राच्य भाषा संस्थान जोधपुर से अनुवाद करवाया गया है. इसके अनुसार यह शिलालेख मारवाड़ के राजा सूरसिंह के समय का है. इसमें एक वीर योद्धा को दर्शाया गया है. अनुवाद के अनुसार दक्षिण के युद्ध में इस योद्धा ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. उसक याद में संवत 1664 में यह शिलालेख बनवाया गया है.

ये पढ़ें: टोंक में जुलूस पर पथराव की घटना के बाद मालपुरा इलाके में लगा कर्फ्यू

ट्रस्ट के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि यह मामला जिला सतर्कता समिति के समक्ष भी पेश किया गया था. इस पर समिति की ओर से जायल उपखंड अधिकारी को आदेश दिया गया है कि पुलिस की मदद लेकर इस विवादित शिलालेख को पुरातत्व विभाग के अजमेर संग्रहालय में भेजा जाए. लेकिन एक महीने बाद भी इस आदेश की पालना नहीं हुई है. ट्रस्ट की ओर से मांग की गई है कि सतर्कता समिति के आदेश की पालना में शिलालेख को अजमेर संग्रहालय भिजवाय जाए.

नागौर. गोठ मांगलोद गांव में दधिमती माता मंदिर के पास निकले एक पुरातत्व महत्व के शिलालेख को लेकर को लेकर विवाद की स्थिति में दधिमती माताजी मंदिर ट्रस्ट के ओर से प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर से मुलाकात कर ज्ञापन दिया है. दधिमती माताजी मंदिर के पास एक धर्मशाला में खुदाई के दौरान एक शिलालेख मिला था. इसमें एक व्यक्ति को घोड़े पर बैठे हुए और तलवार हाथ में लिया हुआ दिखाया गया है.

खुदाई में मिला शिलालेख को लेकर विवाद

दधिमती माताजी मंदिर ट्रस्ट की ओर से बताया है कि ट्रस्ट के भवन में पड़े एक शिलालेख के कारण तनाव की स्थिति पैदा हो रही है. गांव के कुछ लोग शिलालेख पर अंकित प्रतिमा को ग्वाला की प्रतिमा बताकर उसे वहीं स्थापित करने की मांग कर रहे हैं. वहीं प्रन्यास का आरोप है कि कुछ लोग दाधीच समाज द्वारा बनवाई गई धर्मशाला पर कब्जा करने की नियत से जान बूझकर इस मामले को तूल दिया जा रहा है.

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इस शिलालेख का प्राच्य भाषा संस्थान जोधपुर से अनुवाद करवाया गया है. इसके अनुसार यह शिलालेख मारवाड़ के राजा सूरसिंह के समय का है. इसमें एक वीर योद्धा को दर्शाया गया है. अनुवाद के अनुसार दक्षिण के युद्ध में इस योद्धा ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. उसक याद में संवत 1664 में यह शिलालेख बनवाया गया है.

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ट्रस्ट के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि यह मामला जिला सतर्कता समिति के समक्ष भी पेश किया गया था. इस पर समिति की ओर से जायल उपखंड अधिकारी को आदेश दिया गया है कि पुलिस की मदद लेकर इस विवादित शिलालेख को पुरातत्व विभाग के अजमेर संग्रहालय में भेजा जाए. लेकिन एक महीने बाद भी इस आदेश की पालना नहीं हुई है. ट्रस्ट की ओर से मांग की गई है कि सतर्कता समिति के आदेश की पालना में शिलालेख को अजमेर संग्रहालय भिजवाय जाए.

Intro:नागौर जिले के गोठ मांगलोद गांव में दधिमती माता मंदिर के पास निकले एक पुरातत्व महत्व के शिलालेख को लेकर को लेकर विवाद गहरा गया है। दधिमती माताजी मंदिर प्रन्यास की ओर से एक प्रतिनिधि मंडल ने इस मामले को लेकर कलेक्टर से मुलाकात की है।


Body:नागौर. दधिमती माताजी मंदिर के पास एक धर्मशाला में खुदाई के दौरान एक शिलालेख मिला था। इसमें एक व्यक्ति को घोड़े पर बैठे हुए और तलवार हाथ में लिया हुआ दिखाया गया है।
दधिमती माताजी मंदिर प्रन्यास की ओर से दिए गए ज्ञापन में बताया गया है कि प्रन्यास के भवन में पड़े एक शिलालेख के कारण तनाव की स्थिति पैदा हो रही है। गांव के कुछ लोग शिलालेख पर अंकित प्रतिमा को ग्वाला की प्रतिमा बताकर उसे वहीं स्थापित करने की मांग कर रहे हैं। जबकी इस शिलालेख का प्राच्य भाषा संस्थान जोधपुर से अनुवाद करवाया गया है। इसके अनुसार यह शिलालेख मारवाड़ के राजा सूरसिंह के समय का है।इसमें एक वीर योद्धा को दर्शाया गया है। अनुवाद के अनुसार दक्षिण के युद्ध में इस योद्धा ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। उसी की याद में संवत 1664 में यह शिलालेख बनवाया गया है।
प्रन्यास का आरोप है कि कुछ लोग दाधीच समाज द्वारा बनवाई गई धर्मशाला पर कब्जा करने की नियत से जानबूझकर इस मामले को तूल दिया जा रहा है।


Conclusion:प्रन्यास के प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि यह मामला जिला सतर्कता समिति के समक्ष भी पेश किया गया था। इस पर समिति की ओर से जायल उपखंड अधिकारी को आदेश दिया गया है कि पुलिस की मदद लेकर इस विवादित शिलालेख को पुरातत्व विभाग के अजमेर संग्रहालय में भेजा जाए। लेकिन एक महीने बाद भी इस आदेश की पालना नहीं हुई है। प्रन्यास की ओर से मांग की गई है कि सतर्कता समिति के आदेश की पालना में शिलालेख को अजमेर संग्रहालय भिजवाय जाए।
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बाईट 1- अविनाश जोशी, महामंत्री, दधिमती माताजी मंदिर प्रन्यास।
बाईट 1- विनेश बहड, अध्यक्ष, दाधीच समाज न्यात, नागौर।
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