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विधानसभा उप चुनाव: खींवसर फिर बनी हॉट सीट...दो प्रत्याशी नहीं, दो परिवारों के वर्चस्व की लड़ाई

राजस्थान में दो सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान 21 अक्टूबर को होगा और मतगणना 24 अक्टूबर को की जाएगी. ऐसे में खींवसर से भाजपा-रालोपा गठबंधन के प्रत्याशी नारायण बेनीवाल हैं. तो कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा को चुनावी मैदान में उतारा है. दोनों ही प्रत्याशी अपने-अपने चुनावी प्रचार में जुट गए है. इस रिपोर्ट के जरिए जानिए चुनावी रण में कैसे है दोनों प्रत्याशियों के दांवे.

Rajasthan By Election, Khinwsar assembly election,
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Published : Oct 14, 2019, 3:58 PM IST

Updated : Oct 14, 2019, 4:35 PM IST

खींवसर (नागौर). राजस्थान में मंडावा और खींवसर में उपचुनाव होने हैं. लेकिन खींवसर सीट को एक बार फिर से हॉट सीट मानी जा रही है. जिसपर ना केवल राजधानी जयपुर बल्कि दिल्ली तक की नजर बनी हुई है. एक तरफ बीजेपी-आरएलपी गठबंधन ने हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल पर दांव लगाया है. तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भी पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा को अपना चेहरा बनाया है. जो दिग्गज जाट नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे हैं.

पढ़ें- सांसद हनुमान बेनीवाल ने भाई नारायण के खींवसर से प्रत्याशी बनने के पीछे बताई ये बड़ी वजह

खींवसर के उप चुनाव में एक तरफ मिर्धा परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है तो दूसरी तरह बेनीवाल का गढ़ को बचाने के लिए वर्चस्व की लड़ाई बन गई है. ऐसे में जहां भाजपा के दिग्गज नेताओं सहित खुद बेनीवाल ने अपने किले को बचाने के लिए मोर्चा संभाल रखा है तो. कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र मिर्धा भी लगातार अपने स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर विधानसभा क्षेत्र में जबरदस्त प्रचार में जुटे हैं.

खींवसर फिर बनी हॉट सीट...दो प्रत्याशी नहीं, दो परिवारों के वर्चस्व की लड़ाई

हालांकि हनुमान बेनीवाल ने बीते कुछ सालों में मिर्धा परिवार का सियासी तिलिस्म को तोड़ा है. उन्होंने मिर्धा परिवार के कद्दावर चेहरों को हराया, पहले खींवसर अपने नाम किया और फिर नागौर. अब उपचुनाव के रण में बेनीवाल ने अपने भाई को उतारा है. वहीं नारायण बेनीवाल ने चुनाव के मुद्दों सहित खुद के प्रत्याशी घोषित होने पर बताया कि जनता खुद चाहती है कि वो प्रत्याशी हो, क्योंकि 11 सालों में वो क्षेत्र मेंं काम करते आए है. वहीं विधानसभा पहुंचने के बाद सबसे पहले वो डार्क जोन सहित कनेक्शनों के नियमितीकरण के कामों को करवाएंगे.

पढ़ें- बेनीवाल के लिए हो सकती है वर्चस्व की लड़ाई, हमारी तो 3 पीढ़ियां क्षेत्र की सेवा में : हरेंद्र मिर्धा

हरेंद्र मिर्धा का दावा

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस से प्रत्याशी हरेंद्र मिर्धा ने लगातार तीन बार इस सीट पर कांग्रेस के चुनाव हारने पर बताया कि यह सिर्फ पहले कांग्रेस का गढ़ रही थी. लेकिन जातिगत समीकरणों के बिगड़ जाने से सीट पर जो त्रिकोणीय मुकाबला हुआ. उसमें कांग्रेस को नुकसान रहा. लेकिन अब की बार दोनों ही उम्मीदवार एक कास्ट के हैं और चुनाव आमने सामने का है. ऐसे में कांग्रेस को सीधा फायदा होगा.

खींवसर (नागौर). राजस्थान में मंडावा और खींवसर में उपचुनाव होने हैं. लेकिन खींवसर सीट को एक बार फिर से हॉट सीट मानी जा रही है. जिसपर ना केवल राजधानी जयपुर बल्कि दिल्ली तक की नजर बनी हुई है. एक तरफ बीजेपी-आरएलपी गठबंधन ने हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल पर दांव लगाया है. तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भी पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा को अपना चेहरा बनाया है. जो दिग्गज जाट नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे हैं.

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खींवसर के उप चुनाव में एक तरफ मिर्धा परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है तो दूसरी तरह बेनीवाल का गढ़ को बचाने के लिए वर्चस्व की लड़ाई बन गई है. ऐसे में जहां भाजपा के दिग्गज नेताओं सहित खुद बेनीवाल ने अपने किले को बचाने के लिए मोर्चा संभाल रखा है तो. कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र मिर्धा भी लगातार अपने स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर विधानसभा क्षेत्र में जबरदस्त प्रचार में जुटे हैं.

खींवसर फिर बनी हॉट सीट...दो प्रत्याशी नहीं, दो परिवारों के वर्चस्व की लड़ाई

हालांकि हनुमान बेनीवाल ने बीते कुछ सालों में मिर्धा परिवार का सियासी तिलिस्म को तोड़ा है. उन्होंने मिर्धा परिवार के कद्दावर चेहरों को हराया, पहले खींवसर अपने नाम किया और फिर नागौर. अब उपचुनाव के रण में बेनीवाल ने अपने भाई को उतारा है. वहीं नारायण बेनीवाल ने चुनाव के मुद्दों सहित खुद के प्रत्याशी घोषित होने पर बताया कि जनता खुद चाहती है कि वो प्रत्याशी हो, क्योंकि 11 सालों में वो क्षेत्र मेंं काम करते आए है. वहीं विधानसभा पहुंचने के बाद सबसे पहले वो डार्क जोन सहित कनेक्शनों के नियमितीकरण के कामों को करवाएंगे.

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हरेंद्र मिर्धा का दावा

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस से प्रत्याशी हरेंद्र मिर्धा ने लगातार तीन बार इस सीट पर कांग्रेस के चुनाव हारने पर बताया कि यह सिर्फ पहले कांग्रेस का गढ़ रही थी. लेकिन जातिगत समीकरणों के बिगड़ जाने से सीट पर जो त्रिकोणीय मुकाबला हुआ. उसमें कांग्रेस को नुकसान रहा. लेकिन अब की बार दोनों ही उम्मीदवार एक कास्ट के हैं और चुनाव आमने सामने का है. ऐसे में कांग्रेस को सीधा फायदा होगा.

Last Updated : Oct 14, 2019, 4:35 PM IST
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