नागौर. RLP के राष्ट्रीय संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए नागौर सहित राजस्थान के कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. सांसद ने कहा कि एक तरफ तो हम भारत 2030 के लिए राष्ट्रीय रेल योजना तैयार करने की बात करते हैं. वहीं दूसरी तरफ साल से जो मापदंड रेलवे स्टेशनों के विकास के लिए तय किया हुए हैं. उनमे बदलाव नहीं करने से जिला मुख्यालयों के रेलवे स्टेशनों के भी विकास कार्य अधूरे पड़े रहते हैं.
उन्होंने नागौर जिले के नागौर मेड़ता रोड, डेगाना, मकराना, डीडवाना, कुचामन, लाडनूं आदि स्टेशनों पर एस्कलेटर लगाने की मांग की है. सांसद बेनीवाल ने कहा की रेलवे के क्षेत्र में बढ़ते निजीकरण को लेकर रेलवे मे ही कार्यरत कार्मिकों और जनता के मन में शंका है. ऐसे में रेल मंत्री जब अनुदान मांगों की बहस का जवाब दे तो यह जरूर बताए कि निजीकरण से रेलवे के जो पद हैं, उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा? सरकारी भर्तीयो पर क्या फर्क पड़ेगा?
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उन्होंने बताया कि राजस्थान में नोखा से सीकर तक नई रेल लाइन का प्रस्ताव 1997-98 के बजट में लाया गया. उत्तर पश्चिम रेलवे ने साल 2012 मे रेलवे बोर्ड को उक्त प्रस्तावित 209 किलोमीटर लाइन का अपडेटेड सर्वे भेजा. इसे सरकार यदि स्वीकृत करती है तो बीकानेर, नागौर, चूरू और सीकर जिले के कई गांवों को रेल लाइन मिल जाएगी.
बेनीवाल ने नागौर से फलोदी तक, कुचामन से डीडवाना तक नई रेलवे लाइन की स्वीकृती और राज्य की बहुप्रतीक्षित मेडता-पुष्कर रेलवे लाइन को केंद्र के स्तर से ही बजट जारी कर और मेड़ता रोड से खजवाना जाने वाले रास्ते पर फाटक संख्या 101 पर रेलवे ओवर ब्रिज बनाने की मांग की.
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बेनीवाल की ये मांगे
सांसद बेनीवाल ने जोधपुर से मेड़ता होते हुए दिल्ली तक चलने वाली मंडोर एक्सप्रेस का नाम लोक देवता वीर तेजाजी के नाम से करने, भीलवाड़ा में स्वीकृत मेमू कोच फैक्ट्री परियोजना को मूर्त रूप देने, कुचामन और नावां सिटी रेलवे स्टेशनों बंद किए गए ट्रेनों के ठहराव को फिर से शुरू करने की मांग की है.