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लापरवाही : 5 वर्षों में लगाए गए 9 लाख पौधे, जिंदा बचे सिर्फ सवा लाख - Quarter million

पौधरोपण को लेकर सरकार हर साल समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाने के साथ हर जिले में लाखों की संख्या में पौधे भी लगवाती है. लेकिन पर्याप्त देखरेख के अभाव में ढेरों पौधे नष्ट हो जाते हैं. 5 साल में 5 करोड़ रुपए खर्च कर झुंझुनू जिले की ग्राम पंचायतों की ओर से 9 लाख पौधे लगाए गए थे, लेकिन हाल में गणना के दौरान कुल 1,22,000 पौधे ही जिंदा पाए गए.

due to lack of care plants are Destroying
देखरेख के अभाव में नष्ट हो रहे पौधे
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Published : Aug 26, 2020, 2:30 PM IST

झुंझुनू. जिले की ग्राम पंचायतों की ओर से 5 साल में मनरेगा योजना में 5 करोड़ रुपए खर्च कर 9 लाख पौधे लगाए गए थे. वर्ष 2015 से 2019 तक लगाए गए इन पौधों की गणना की गई तो जीवित पौधों की गणना करवाने पर 5 साल बाद केवल 1,22,000 पौधे ही जिंदा पाए गए. बाकी सभी पौधे मुरझाकर नष्ट हो गए. लक्ष्य पूरे करने के लिए लगाए गए पौधों की सुरक्षा के नाम पर परिसर के चारों ओर खाई खोदी गई, चौकीदार रखे गए तथा टैंकर द्वारा पानी देने की भी व्यवस्था की गई.

देखरेख के अभाव में नष्ट हो रहे पौधे

इसके बाद भी ग्राम पंचायतों के कर्मचारियों की बेरुखी के चलते पाले से बचाव के उपाय नहीं करने तथा स्थाई चौकीदार की व्यवस्था नहीं होने पर 85 फीसदी पौधे नष्ट हो गए. ऐसे में क्षेत्र को हरा भरा रखने के लिए उठाए जा रहे कदम बेकार साबित हो रहे हैं. अफसर और कर्मचारी भी पौधरोपण के बाद समय-समय पर उसकी सुध नहीं लेते हैं, जिससे वे नष्ट हो जाते हैं.

यह भी पढ़ें: SPECIAL: 87 साल के भैरूलाल का 'अमर प्रेम', पत्नी की याद में 6 साल से कर रहे वीरान पड़े श्मशान को गुलजार

पौधों का रखा जाए लेखा जोखा, करें सत्यापन...

5 वर्षों के अनुभव से सबक लेते हुए इस वर्ष जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट ने पौधों की देखरेख और बचाव के लिए कड़े कदम उठाए हैं. सभी ग्राम पंचायतों के सचिवों, सरपंचों तथा तकनीकी अधिकारियों को पाबंद किया है कि ग्राम पंचायतों द्वारा लगाए गए पौधों को पंचायत के स्थाई स्टॉक रजिस्टर में दर्ज किया जाए. यह भी निर्देश दिया कि साल में दो बार सत्यापन भी करवाया जाए. जिस कर्मचारी के समय में पौधे नष्ट होते हैं, उसकी जिम्मेदारी तय की जाएगी.

यह भी पढ़ें: स्पेशल: 'वेस्ट को बेस्ट' बनाने का नायाब तरीका...बिना लागत तैयार कर दिए 2 हजार नीम के पौधे

करने होंगे सही समय पर कार्य...

जिला परिषद द्वारा इस साल जारी सभी स्वीकृतियों में पौधों की समयबद्ध निराई, गुड़ाई, टैंकर द्वारा साल में कम से कम 5 बार सिंचाई, वृक्ष मित्र के रूप में स्थाई नरेगा श्रमिकों को परिसर विशेष की जिम्मेदारी तय करने और वित्त आयोग से प्राप्त अनुदानों के साथ वनस्पति एवं सीमेंट के ट्री गार्ड की व्यवस्था की गई है. जिला परिषद ने ग्राम पंचायतों को प्राप्त अनुदानों से पौधरोपण तथा परिसरों की हरियाली के कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं.

झुंझुनू. जिले की ग्राम पंचायतों की ओर से 5 साल में मनरेगा योजना में 5 करोड़ रुपए खर्च कर 9 लाख पौधे लगाए गए थे. वर्ष 2015 से 2019 तक लगाए गए इन पौधों की गणना की गई तो जीवित पौधों की गणना करवाने पर 5 साल बाद केवल 1,22,000 पौधे ही जिंदा पाए गए. बाकी सभी पौधे मुरझाकर नष्ट हो गए. लक्ष्य पूरे करने के लिए लगाए गए पौधों की सुरक्षा के नाम पर परिसर के चारों ओर खाई खोदी गई, चौकीदार रखे गए तथा टैंकर द्वारा पानी देने की भी व्यवस्था की गई.

देखरेख के अभाव में नष्ट हो रहे पौधे

इसके बाद भी ग्राम पंचायतों के कर्मचारियों की बेरुखी के चलते पाले से बचाव के उपाय नहीं करने तथा स्थाई चौकीदार की व्यवस्था नहीं होने पर 85 फीसदी पौधे नष्ट हो गए. ऐसे में क्षेत्र को हरा भरा रखने के लिए उठाए जा रहे कदम बेकार साबित हो रहे हैं. अफसर और कर्मचारी भी पौधरोपण के बाद समय-समय पर उसकी सुध नहीं लेते हैं, जिससे वे नष्ट हो जाते हैं.

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पौधों का रखा जाए लेखा जोखा, करें सत्यापन...

5 वर्षों के अनुभव से सबक लेते हुए इस वर्ष जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट ने पौधों की देखरेख और बचाव के लिए कड़े कदम उठाए हैं. सभी ग्राम पंचायतों के सचिवों, सरपंचों तथा तकनीकी अधिकारियों को पाबंद किया है कि ग्राम पंचायतों द्वारा लगाए गए पौधों को पंचायत के स्थाई स्टॉक रजिस्टर में दर्ज किया जाए. यह भी निर्देश दिया कि साल में दो बार सत्यापन भी करवाया जाए. जिस कर्मचारी के समय में पौधे नष्ट होते हैं, उसकी जिम्मेदारी तय की जाएगी.

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करने होंगे सही समय पर कार्य...

जिला परिषद द्वारा इस साल जारी सभी स्वीकृतियों में पौधों की समयबद्ध निराई, गुड़ाई, टैंकर द्वारा साल में कम से कम 5 बार सिंचाई, वृक्ष मित्र के रूप में स्थाई नरेगा श्रमिकों को परिसर विशेष की जिम्मेदारी तय करने और वित्त आयोग से प्राप्त अनुदानों के साथ वनस्पति एवं सीमेंट के ट्री गार्ड की व्यवस्था की गई है. जिला परिषद ने ग्राम पंचायतों को प्राप्त अनुदानों से पौधरोपण तथा परिसरों की हरियाली के कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं.

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