कोटा. विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक सुनील ओझा ने अपने कोटा दौरे पर मांग उठाई कि अन्य धर्मों की तरह मंदिरों और मठों का आधिपत्य सरकार के पास ना होकर धर्म गुरुओं को मिलना चाहिए. ओझा ने मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्र और राज्य सरकार पर ईडब्ल्यूएस स्कीम के तहत आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा की. साथ ही इस की विसंगतियों को दूर करने की मांग उठाई.
ओझा ने कहा कि मंदिर और मठों को विप्र फाउंडेशन मजबूती से रखना चाहती है. हमारी मांग है कि सरकार का कोई आधिपत्य इन पर नहीं होना चाहिए. जिस तरह से दूसरे धर्मों में यह आधिपत्य धर्मगुरुओं के पास है, इसी तरह से मंदिरों का आधिपत्य हमारे संरक्षक धर्मगुरुओं को मिलना चाहिए. ओझा आज कोटा दौरे पर आए थे. जहां उन्होंने ब्राह्मण समाज के कई कार्यक्रमों में शिरकत की. विप्र फाउंडेशन और ब्राह्मण समाज के अन्य संगठनों ने भी उनका स्वागत किया.
ईडब्ल्यूएस विसंगतियों पर उन्होंने कहा कि जिस तरह से आरक्षण का लाभ दूसरे समाज के लोगों को मिल रहा है. हम उसका विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन ब्राह्मण समाज को ईडब्ल्यूएस का लाभ 10 फीसदी मिल रहा है. हमारी मांग 14 फीसदी की थी, लेकिन फिर भी हम संतुष्ट हैं. हालांकि उसकी विसंगतियों को दूर करने की मांग उठा रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार दोनों से आग्रह है कि यहां पर कुछ सरलीकरण किया जाए और इसके साथ-साथ इसकी सुविधाएं भी अन्य लोगों के बराबर मिले. इस दौरान मावली के विधायक धर्म नारायण जोशी, कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष ममता शर्मा व पूर्व विधायक विद्याशंकर नंदवाना सहित कई लोग मौजूद थे.
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कोटा में होगा राजनीतिक चिंतनः राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भुवनेश्वर शर्मा चच्चू भैया ने कहा कि राजस्थान की सीटों पर एक तिहाई से ज्यादा 72 से 74 विधायक ब्राह्मण हुआ करते थे, लेकिन दोनों ही पार्टियों की अनदेखी के चलते अब विधायकों की संख्या घटती जा रही है. इसी को देखते हुए हाड़ौती की धरती कोटा से राजस्थान की दिशा और दशा के लिए ब्राह्मण समाज मंथन चिंतन करेगा. इसके लिए एक महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा. इसमें 100 फीसदी मंथन चिंतन राजनीतिक पर ही होगा. आने वाले चुनाव में समाज की भूमिका तय की जाएगी. हम हमारी जितनी शक्ति होगी, दिखाएंगे. इसकी शुरुआत कोटा से ही हम करने वाले हैं.